न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी ने लोकपाल के न्यायिक सदस्य के रूप में ली शपथ
Utkarsh ClassesLast Updated
07-02-2025
Appointment
5 min read
27 मार्च 2024 को न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी ने लोकपाल के न्यायिक सदस्य के रूप में शपथ ली है। भारत के लोकपाल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएम खानविलकर ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
शपथ ग्रहण समारोह में केन्द्रीय सतर्कता आयुक्तप्रवीण कुमार श्रीवास्तव और सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
नए सदस्यों का शपथ ग्रहण:
पंकज कुमार और अजय तिर्की ने लोकपाल सदस्य के रूप में शपथ ली है। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन 27 मार्च 2024 को नई दिल्ली स्थित भारतीय लोकपाल कार्यालय में किया गया।
नई नियुक्तियां, दो वर्तमान न्यायिक सदस्यों न्यायमूर्ति पीके मोहंती और न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी ने 26 मार्च को लोकपाल में अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है।
साथ ही तीन सदस्यों डीके जैन, अर्चना रामसुंदरम और महेंद्र सिंह ने भी 26 मार्च 2024 को लोकपाल में अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है।
नए सदस्यों का संक्षिप्त परिचय:
न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी, भारत के लोकपाल के न्यायिक सदस्य के रूप में शामिल होने से पहले भारत के 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। इससे पहले, वह कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे।
पंकज कुमार गुजरात कैडर के 1986 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। भारत के लोकपाल के सदस्य के रूप में शामिल होने से पहले वह गुजरात के मुख्य सचिव थे।
अजय तिर्की मध्य प्रदेश कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। भारत के लोकपाल के सदस्य के रूप में शामिल होने से पहले वह भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग के सचिव थे।
लोकपाल के बारे में:
लोकपाल संस्था की आधिकारिक शुरुआत पहली बार वर्ष 1809 में स्वीडन में हुई।
20वीं शताब्दी में एक संस्था के रूप में ओम्बुड्समैन का विकास हुआ। इसका द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तेज़ी से विकास हुआ।
1962 में न्यूजीलैंड और नॉर्वे ने यह प्रणाली अपनाई और ओम्बुड्समैन के विचार का प्रसार करने में यह बेहद अहम सिद्ध हुआ।
भारत में लोकपाल के बारे में:
भारत में संवैधानिक ओम्बुड्समैन का विचार सर्वप्रथम वर्ष 1960 के दशक की शुरुआत में कानून मंत्री अशोक कुमार सेन ने संसद में प्रस्तुत किया था।
लोकपाल एवं लोकायुक्त शब्द प्रख्यात विधिवेत्ता एलएम सिंघवी ने पेश किया।
लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 ने संघ (केंद्र) के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था की।
ये संस्थाएँ बिना किसी संवैधानिक दर्जे वाले वैधानिक निकाय हैं।
2011 तक इससे संबंधित विधेयक पारित करने हेतु आठ प्रयास किये गए, लेकिन सभी प्रयास असफल रहे।
वर्ष 2011 में सरकार ने प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में मंत्रियों का एक समूह भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने हेतु सुझाव देने के लिये गठित किया। ये समिति लोकपाल विधेयक के प्रस्ताव का परीक्षण करने के लिये गठित की गई थी ।
अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में ‘भ्रष्टाचार के विरुद्ध भारत आंदोलन’ ने केंद्र में तत्कालीन यूपीए सरकार पर दबाव बनाया। इसके परिणामस्वरूप संसद के दोनों सदनों में लोकपाल व लोकायुक्त विधेयक, 2013 पारित हुआ।
1 जनवरी, 2014 को राष्ट्रपति ने इसे अपनी सम्मति दी, जो 16 जनवरी, 2014 को लागू हो गया।
लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 ने केंद्र के लिए लोकपाल और राज्यों के लिए लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था की है।
FAQ
उत्तर : न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी ने लोकपाल के न्यायिक सदस्य के रूप में शपथ ली।
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