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जापान चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पाँचवा देश बना

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Japan becomes the fifth country to make a soft landing on the Moon Space 7 min read

जापान 20 जनवरी 2024 को देर रात चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग  सफलतापूर्वक पूरा करने वाला विश्व का पांचवां देश बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर चंद्रमा पर अपनी पहली सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए जापान को बधाई दी है। इस दौरान पीएम मोदी ने दोनों देशों के अंतरिक्ष संगठनों के बीच सहयोग की आशा व्यक्त की।

जापान का मून मिशन: 

  • जापान ने 6 सितंबर, 2023 को अपने मित्सुबिशी रॉकेट से मून स्नाइपर को चांद के लिए रवाना किया था। स्नाइपर 25 दिसंबर 2023 को चांद की ऑर्बिट में पहुंचा था। तब से ये चांद की सतह की तरफ बढ़ रहा था। यह चन्द्रमा के केन्द्रीय भाग में लैंड किया गया है। 
  • जाक्सा को इसे लॉन्च करने में कुल 102 मिलियन डॉलर (लगभग एक हजार करोड़ रुपये) खर्च होने  के बाबजूद इसका लैंडर स्लिम कार्य नहीं कर पा रहा है। 
  • जबकि इसरो ने मात्र 600 करोड़ रुपये के खर्च पर न सिर्फ चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया बल्कि इसके सभी उपकरण पूर्णतः संचालित हैं।   
  • स्नाइपर पिछले मून मिशन्स में लैंडिंग के लिहाज से सबसे एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से लैस है। रडार से लैस स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेशन मून (स्लिम) लैंडर चंद्रमा के इक्वेटर के निकट लैंड किया है।

स्नाइपर का सौर सेल बिजली पैदा करने में असफल: 

  • जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के अंतरिक्ष यान का सौर सेल बिजली पैदा नहीं कर रहा है जिससे मिशन की सफलता पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। जाक्सा की टीम सौर सेल समस्या के कारण निर्धारित करने के लिए डेटा का विश्लेषण कर रही है। 

चंद्रमा पर पहुंचने वाला पांचवा देश: 

  • इससे पहले रूस, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, चीन और भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग  सफलतापूर्वक कर चुका है।
  • परन्तु जाक्सा का मानना है कि मिशन ने इसे न्यूनतम सफलता घोषित करने के मानदंडों को पूरा किया है। क्योंकि अंतरिक्ष यान ने ऑप्टिकल नेविगेशन का उपयोग करके एक सटीक और सॉफ्ट चंद्र लैंडिंग किया है। यह मिशन जापान को इस सदी में चंद्रमा पर उतरने वाला तीसरा और कुल मिलाकर पांचवां देश बनाता है।
  • छोटे पैमाने के एसएलआईएम रोबोटिक एक्सप्लोरर, जिसे सितंबर 2023 में लॉन्च किया गया था, को "मून स्नाइपर" करार दिया गया था क्योंकि इसमें "पिनपॉइंट" लैंडिंग प्रदर्शित करने के लिए नई सटीक तकनीक थी।

पिनपॉइंट लैंडिंग से लाभ: 

  • ‘स्पेस डॉट कॉम’ वेबसाइट के अनुसार पिनपॉइंट लैंडिंग का सबसे बड़ा लाभ ये है कि एक खास जगह पर पहले से फोकस किया जाता है। इसके बारे में काफी हद तक जानकारी पहले से मौजूद होती है और इसी हिसाब से लैंडर का डिजाइन और पोस्ट लैंडिंग रोवर मूवमेंट तय किया जाता है। 
  • स्नाइपर का लक्ष्य अपने आसपास का 100 मीटर क्षेत्र होगा।

स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेशन मून (स्लिम) लैंडर के बारे में:  

  • इस लैंडर का वजन 200 किलोग्राम है। लंबाई 2.4 मीटर और चौड़ाई 2.7 मीटर है। इसमें बेहतरीन रडार, लेजर रेंज फाइंडर और विजन बेस्ड नेविगेशन सिस्टम हैं। ये इक्विपमेंट्स ऐक्युरेट लैंडिंग में सहायक रहे हैं।
  • इसमें लगे कैमरे चंद्रमा पर मौजूद चट्टानों की बिल्कुल साफ तस्वीरें लेंगे।
  • इसमें लूनर एक्सप्लोरेशन व्हीकल और लूनर रोबोट भी हैं। इन्हें SORA-Q नाम दिया गया है। इनका साइज बहुत छोटा है और इन्हें हथेली पर रखा जा सकता है।

चांद पर स्नाइपर का कार्य:

  • जापान के मून मिशन स्नाइपर का लक्ष्य चांद के शिओली क्रेटर (गड्ढे) की जांच करना है। ये चांद के सी-ऑफ नेक्टर हिस्से में है। इससे हिस्से में स्नाइपर ये जांच करेगा कि चांद कैसे बना था। यहां मिनरल्स की जांच की जाएगी और साथ ही उसके अंदरूनी हिस्सों के बारे में जानकारी हासिल होगी।
  • जाक्सा के अनुसार, स्लिम एक प्रायोगिक तकनीक का परीक्षण करेगा, यह पानी और चंद्रमा पर जीवन को बनाए रखने वाले अन्य कारकों की खोज के लिए अभूतपूर्व और आवश्यक है।

2024 में कई मून मिशन आरंभ किए जाएंगे: 

  • इस वर्ष 2024 में कई चंद्र मिशन होने वाले हैं। अमेरिकी स्टार्टअप इंटुएटिव मशीन्स का लक्ष्य फरवरी के मध्य में अपना आईएम-1 लैंडर लॉन्च करना है। 
  • चीन एक प्राचीन बेसिन से नमूने प्राप्त करने के लिए 2024 की पहली छमाही में अपने चांग'ई-6 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के सुदूर हिस्से में भेजने की योजना बना रहा है। 
  • टोक्यो स्थित आईस्पेस (ispace) ने कहा है कि वह इस वर्ष अपना दूसरा चंद्रमा मिशन लॉन्च करेगा।

भारत-जापान का संयुक्त चन्द्र मिशन: 

  • लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (लुपेक्स) मिशन को इसरो और जाक्सा मिलकर लॉन्च करेंगे। इसे करीब 2026 में लॉन्च किए जाने की संभावना है। मिशन का प्रक्षेपण द्रव्यमान लगभग छह हजार किलोग्राम (6 टन) होगा।

अमेरिका का पेरेग्रीन मिशन वन असफल:  

  • 8 जनवरी 2024 संयुक्त राज्य अमेरिका ने पेरेग्रीन मिशन वन लॉन्च किया था। यह लॉन्च के कुछ ही घंटों बाद अंतरिक्ष यान में "गंभीर" ईंधन रिसाव होने के बाद लैंडिंग का प्रयास विफल हो गया था। 
  • नासा ने नवंबर 2024 में अपने चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण रोवर वाईपर (VIPER) को लॉन्च करने की योजना बनाई है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने पिछले हफ्ते अपने आर्टेमिस चंद्रमा कार्यक्रम में नए विलंब की घोषणा की, 2026 में आधी सदी में अपने पहले अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतरने का कार्यक्रम बनाया।

FAQ

उत्तर :- जापान

उत्तर - स्नाइपर

उत्तर :- स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेशन मून (स्लिम) लैंडर

उत्तर:- पाँचवा
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