भारत और यूनाइटेड किंगडम ने अगली पीढ़ी के भारतीय नौसेना के जहाजों के लिए विद्युत प्रणोदन प्रणाली (इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम ) के सह-डिजाइन, सह-निर्माण और सह-उत्पादन के लिए एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। भारतीय नौसेना के लिए विद्युत प्रणोदन प्रणाली के डिजाइन और विकास पर सहयोग के इरादे के आशय पत्र पर भारत और यूनाइटेड किंगडम के रक्षा मंत्रालयों के बीच 28 नवंबर, 2024 को पोर्ट्समाउथ, इंग्लैंड में हस्ताक्षर किए गए।
इंग्लैंड में भारत और यूनाइटेड किंगडम की विद्युत प्रणोदन प्रणाली की तीसरी संयुक्त कार्य समूह बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
वर्तमान में भारतीय नौसेना अपने युद्धपोतों के लिए डीजल और गैस टरबाइन आधारित इंजनों का उपयोग करती है और इसके लिए वह यूक्रेन और संयुक्त राज्य अमेरिका पर निर्भर है।
यूनाइटेड किंगडम के साथ हुए इस समझौते से भारतीय नौसेना के लिए विद्युत प्रणोदन प्रणाली के विकास के लिए भारत में एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होने की उम्मीद है।
भारतीय नौसेना के लिए विद्युत प्रणोदन प्रणाली का विकास, यूनाइटेड किंगडम की जीई पावर कन्वर्जन और भारत सरकार के स्वामित्व वाली भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के बीच सहयोग के माध्यम से किया जाएगा।
बीएचईएल और जीई पावर कन्वर्जन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित विद्युत प्रणोदन प्रणाली का परीक्षण भारत में बनने वाले एक लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स पर किया जाएगा और इसके सफल परीक्षण के बाद इसका उपयोग अगली पीढ़ी के भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर किया जाएगा।
अप्रैल 2022 में यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने भारत-यूनाइटेड किंगडम विद्युत प्रणोदन प्रणाली के साझेदारी पर एक संयुक्त कार्य समूह की स्थापना की घोषणा की थी।
संयुक्त कार्य समूह का उद्देश्य समुद्री क्षेत्र (नौसेना) में उपयोग के लिए विद्युत प्रणोदन प्रणाली के निर्माण में दोनों देशों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाना था।
इसके बाद अप्रैल 2022 में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल) ने भारत में एक एकीकृत पूर्ण विद्युत प्रणोदन प्रणाली के विकास के लिए ब्रिटिश फर्म जीई पावर कन्वर्जन के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू ) पर हस्ताक्षर किए।
विद्युत प्रणोदन प्रणाली स्वदेशी रूप से निर्मित भारतीय नौसेना के युद्धपोतों को शक्ति प्रदान करेगी, जिनकी विस्थापन क्षमता 6000 टन से अधिक होगी।