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भारत ने बांग्लादेश निर्यात कार्गो के लिए ट्रांसशिपमेंट ट्रांजिट सुविधा बंद की

Utkarsh Classes Last Updated 11-04-2025
India stops Transhipment transit facility for Bangladeshi export cargo Economy 6 min read

भारत सरकार ने 8 अप्रैल 2025 से भारतीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों का उपयोग करके तीसरे देशों को निर्यात करने के लिए बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ले ली है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा इस आशय की एक अधिसूचना जारी की गई है। 

भारत सरकार ने जून 2020 में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के सत्ता में रहने के दौरान बांग्लादेश को ट्रांसशिपमेंट सुविधा प्रदान की थी। अगस्त 2024 में शेख हसीना के भारत भाग जाने और बांग्लादेश में एक नई अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध खराब होते चले गए हैं। 

भारत सरकार का यह निर्णय 4 अप्रैल 2025 को बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के बीच बैठक के बाद आया है।

इस कदम से बांग्लादेश के अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने की संभावना है, जिसकी अर्थव्यवस्था निर्यात पर निर्भर है और देश में राजनीतिक उथल-पुथल तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा हाल ही में उसके निर्यात पर टैरिफ लगाए जाने के कारण निर्यात में काफी गिरावट देखी गई है।

बांग्लादेश पर प्रभाव 

इस कदम से बांग्लादेश के अर्थव्यवस्था जो निर्यात पर निर्भर है, को नुकसान पहुंचने की संभावना है। बांग्लादेश आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और उसका निर्यात देश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण गिरता जा रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा बांग्लादेश से आयात की जाने वाली सामानो पर अतिरिक शुल्क की घोषणा के बाद बांग्लादेश के अर्थव्यवस्था की मुश्किलें और बढ़ गई है।

किन देशों को छूट दी गई है?

  • बांग्लादेश के नेपाल और भूटान को निर्यात के लिए भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों का उपयोग करने की अनुमति भारत सरकार द्वारा दी गई है।
  • बाकी दुनिया के लिए भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों का उपयोग करके कंटेनरों या बंद बॉडी वाले ट्रकों में भारतीय बंदरगाहों या हवाई अड्डों दारा बांग्लादेश द्वारा किए जाने वाले निर्यात की सुविधा को वापस ले लिया गया है।

ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस लेने का कारण

आधिकारिक कारण

  • भारत सरकार के अनुसार, यह निर्णय भारतीय निर्यातक के हितों की रक्षा के लिए लिया गया है।
  • बांग्लादेशी कार्गो की लगातार आमद से भारतीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर भीड़भाड़ बहुत बढ़ गई थी।
  • भीड़भाड़ के कारण भारतीय निर्यातक को रसद में देरी और उच्च लागत का सामना करना पड़ रहा था, जिससे भारतीय निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था।

अनौपचारिक कारण

  • यह बांग्लादेश को सबक सिखाने के लिए किया गया है, जो भारत के खिलाफ चीन का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है और चीन के साथ रणनीतिक संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है

भारतीय चिकन नेक पर मुहम्मद यूनुस

मार्च 2025 में चीन की अपनी यात्रा के दौरान मुहम्मद यूनुस ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत एक भूमि से घिरा हुआ क्षेत्र है और बांग्लादेश उनके लिए समुद्र तक पहुँचने का एकमात्र रास्ता है।

  • उन्होंने चीन को बांग्लादेश में निवेश करने और भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास लालमोनिरहाट में स्थित बांग्लादेश वायु सेना के हवाई अड्डे को पुनर्जीवित करने के लिए भी आमंत्रित किया।
  • लालमोनिरहाट भारतीय चिकन नेक क्षेत्र के पास है और इस क्षेत्र में चीन की उपस्थिति भारत के लिए एक बहुत ही गंभीर सुरक्षा खतरा होगी।

चिकन नेक कॉरिडोर

  • 8 पूर्वोत्तर राज्य- असम, सिक्किम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा- एक संकरी सड़क और रेल पट्टी कॉरिडोर के माध्यम से मुख्य भूमि से जुड़े हुए हैं, जिसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक कहा जाता है।
  • सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जो पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग क्षेत्र से होकर गुजरता है, सिर्फ़ 20-22 किलोमीटर चौड़ा है।
  • ये राज्य सामूहिक रूप से बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, चीन और म्यांमार के साथ भूमि सीमा साझा करते हैं।
  • सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है, और भारत कभी भी किसी शत्रुतापूर्ण विदेशी शक्ति-बांग्लादेश या चीन को कॉरिडोर के लिए ख़तरा बनने की अनुमति नहीं देगा।

ट्रांसशिपमेंट पर डबल्यूटीओ के नियम

विश्व व्यापार संगठन (डबल्यूटीओ) के नियमों के अनुसार सभी डबल्यूटीओ के सदस्यों को भूमि से घिरे देशों से आने-जाने वाले माल के लिए पारगमन की स्वतंत्रता की अनुमति देना आवश्यक है।

डबल्यूटीओ व्यापार सुविधा समझौते, अनुच्छेद 11, सीमा पार व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए पारदर्शी प्रक्रियाओं, कम निरीक्षण और क्षेत्रीय सहयोग का आह्वान करता है।

भारत और बांग्लादेश दोनों ही डबल्यूटीओ के सदस्य हैं।

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FAQ

उत्तर: जून 2020, हालाँकि इसे 8 अप्रैल 2025 से वापस ले लिया गया है।

उत्तर: सिर्फ नेपाल और भूटान को

उत्तर: पश्चिम बंगाल सिलिगुड़ी से होकर। यह 20-22 किमी चौड़ा है और इसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर भी कहा जाता है।

उत्तर: बांग्लादेश में, यह बांग्लादेश वायु सेना का एक परित्यक्त वायु सेना बेस है जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर या भारत के चिकन नेक के पास है।
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