भारत सरकार ने 8 अप्रैल 2025 से भारतीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों का उपयोग करके तीसरे देशों को निर्यात करने के लिए बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ले ली है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा इस आशय की एक अधिसूचना जारी की गई है।
भारत सरकार ने जून 2020 में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के सत्ता में रहने के दौरान बांग्लादेश को ट्रांसशिपमेंट सुविधा प्रदान की थी। अगस्त 2024 में शेख हसीना के भारत भाग जाने और बांग्लादेश में एक नई अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध खराब होते चले गए हैं।
भारत सरकार का यह निर्णय 4 अप्रैल 2025 को बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के बीच बैठक के बाद आया है।
इस कदम से बांग्लादेश के अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने की संभावना है, जिसकी अर्थव्यवस्था निर्यात पर निर्भर है और देश में राजनीतिक उथल-पुथल तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा हाल ही में उसके निर्यात पर टैरिफ लगाए जाने के कारण निर्यात में काफी गिरावट देखी गई है।
इस कदम से बांग्लादेश के अर्थव्यवस्था जो निर्यात पर निर्भर है, को नुकसान पहुंचने की संभावना है। बांग्लादेश आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और उसका निर्यात देश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण गिरता जा रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा बांग्लादेश से आयात की जाने वाली सामानो पर अतिरिक शुल्क की घोषणा के बाद बांग्लादेश के अर्थव्यवस्था की मुश्किलें और बढ़ गई है।
किन देशों को छूट दी गई है?
आधिकारिक कारण
अनौपचारिक कारण
मार्च 2025 में चीन की अपनी यात्रा के दौरान मुहम्मद यूनुस ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत एक भूमि से घिरा हुआ क्षेत्र है और बांग्लादेश उनके लिए समुद्र तक पहुँचने का एकमात्र रास्ता है।
विश्व व्यापार संगठन (डबल्यूटीओ) के नियमों के अनुसार सभी डबल्यूटीओ के सदस्यों को भूमि से घिरे देशों से आने-जाने वाले माल के लिए पारगमन की स्वतंत्रता की अनुमति देना आवश्यक है।
डबल्यूटीओ व्यापार सुविधा समझौते, अनुच्छेद 11, सीमा पार व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए पारदर्शी प्रक्रियाओं, कम निरीक्षण और क्षेत्रीय सहयोग का आह्वान करता है।
भारत और बांग्लादेश दोनों ही डबल्यूटीओ के सदस्य हैं।
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