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हिग्स-बोसोन के खोजकर्ता व नोबेल पुरस्कार विजेता पीटर हिग्स का 94 वर्ष की आयु में निधन

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Higgs-boson discoverer & Nobel laureate Peter Higgs dies at age of 94 Death 6 min read

ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी (फिजिसिस्ट) पीटर हिग्स का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पीटर हिग्स ने ‘हिग्स-बोसोन पार्टिकल’ यानी ‘गॉड पार्टिकल’ के खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पीटर हिग्स को ‘गॉड पार्टिकल’ की खोज के लिए मिला नोबेल प्राइज: 

  • ‘गॉड पार्टिकल’ के तहत ये समझाने में मदद मिली कि किस प्रकार बिग बैंग घटना के बाद सृष्टि की संरचना हुई थी। 
  • पीटर हिग्स ने दर्शाया था कि कैसे बोसोन इस यूनिवर्स को जोड़कर रखता है। इस खोज के लिए पीटर हिग्स को 2013 में फिजिक्स का नोबेल प्राइज दिया गया था।

एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे थे पीटर हिग्स:   

  • एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी ने उनके निधन की जानकारी देते हुए कहा कि पीटर ने लम्बी बीमारी के बाद 8 अप्रैल को अपने घर में अंतिम सांस ली। वह कई साल इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे थे। पीटर हिग्स कई साल तक एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे थे।

वर्ष 2012 में गॉड पार्टिकल की पुष्टि हुई: 

  • 1960 के दशक में हिग्स और अन्य भौतिक विज्ञानियों ने यह समझने की कोशिश की थी कि ब्रह्मांड आखिर किस चीज से बना है। इसी कोशिश में उन्होंने भौतिकी के मूल सवाल के जवाब को तलाशने की कोशिश की।
  • वर्ष 2012 में वैज्ञानिकों ने इस पर जानकारी प्राप्त कर ली, इसका नाम हिग्स बोसोन रखा गया। 4 जुलाई 2012 को हिग्स बोसोन कण के अस्तित्व की पुष्टि होने की घोषणा की गई। 2012 के पहले तक हिग्स बोसोन या गॉड पार्टिकल विज्ञान की अवधारणा थी।

पीटर हिग्स के बारे में:  

  • पीटर हिग्स का जन्म 1929 में न्यूकैसल में हुआ था। पीटर हिग्स के पिता बीबीसी में साउंड इंजीनियर थे। हिग्स का परिवार ब्रिस्टल में रहने के दौरान हिग्स ने कोटहेम ग्रामर स्कूल में खुद को बेहद प्रतिभाशाली छात्र के रुप में सिद्ध किया था। 
  • स्कूली शिक्षा के बाद हिग्स ने लंदन के किंग्स कालेज में भौतिक विज्ञान की पढ़ाई की। उस समय उन्होंने भौतिकी के एक नए विकल्प सैद्धांतिक भौतिकी को चुना।

पीटर हिग्स को कई पुरस्कार प्राप्त हुए: 

  • 1997 में उन्हें सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्र में शानदार योगदान के लिए डिरेक मेडल दिया गया। इसी वर्ष यूरोपीय भौतिकी समित ने उन्हें उच्च ऊर्जा और कणीय ऊर्जा के लिए सम्मानित किया। वर्ष 2004 में वोल्फ फाउंडेशन ने हिग्स को भौतिक शास्त्र के वोल्फ पुरस्कार से सम्मानित किया।

'गॉड पार्टिकल' की खोज में भारत का योगदान: 

  • 'गॉड पार्टिकल' की खोज में भारत का भी योगदान रहा है। 'हिग्स बोसोन' का 'हिग्स' नाम ब्रिटिश भौतिकशास्त्री पीटर हिग्स के नाम पर रखा गया है। जबकि, 'बोसोन' भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर है। 
  • वहीं, जुलाई 2012 के न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में सत्येंद्र नाथ बोस को 'फादर ऑफ गॉड पार्टिकल' बताया था।

सत्येंद्र नाथ बोस के बारे में: 

  • 1 जनवरी 1874 को कलकत्ता में जन्में सत्येंद्र नाथ बोस ने क्वांटम मैकेनिक्स और मैथेमेटिकल फिजिक्स में उल्लेखनीय काम किया था। 
  • बोस ने क्वांटम स्टेटिस्टिक्स पर एक शोधपत्र लिखा और एक ब्रिटिश जर्नल को प्रकाशन के लिए भेजा लेकिन यह प्रकाशित नहीं हो सका।
  • बोस ने 1924 में अलबर्ट आइंस्टीन को एक पत्र लिखा और साथ में अपना शोधपत्र उन्हें भेज दिया। आइंस्टीन ने बोस के काम के महत्व को समझते हुए उसे एक जर्मन जर्नल में प्रकाशित करवा दिया। इस जर्नल में ही पहली बार बोसोन शब्द का इस्तेमाल हुआ। 
  • सत्येंद्र नाथ बोस की खोज को आइंस्टीन ने ही 'बोसोन' नाम दिया था।
  • सत्येंद्र नाथ बोस को भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

हिग्स बोसोन का महत्त्व:

  • हिग्स बोसोन से कणों को भार प्राप्त होता है। और यह बिल्कुल सामान्य लगता है, लेकिन अगर कणों में भार नहीं होता तो फिर तारे नहीं बन सकते थे। आकाश गंगाएं न होंती और परमाणु भी नहीं होते और ब्रह्रांड की संरचना कुछ और ही होती।
  • भार या द्रव्यमान वह चीज है जो किसी भी चीज को अपने अंदर रख सकता है। अगर कोई भार नहीं होगा तो फिर किसी चीज के परमाणु उसके अंदर घूमते रहेंगे और जुड़ेंगे ही नहीं। इस सिद्धांत के मुताबिक, हर खाली जगह में एक फील्ड बना हुआ है जिसे हिग्स फील्ड का नाम दिया गया। इस फील्ड में कण होते हैं जिन्हें हिग्स बोसोन कहा गया। जब कणों में भार आता है तो वो एक दूसरे से मिलते हैं और आकर्षित होते हैं।

FAQ

Answer: गॉड पार्टिकल की खोज से

Answer: सत्येंद्र नाथ बोस

Answer: सत्येंद्र नाथ बोस की खोज को आइंस्टीन ने 'बोसोन' नाम दिया था।
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