भारत की सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश, न्यायमूर्ति फातिमा बीवी का 23 नवंबर 2023 को केरल के कोल्लम शहर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। न्यायमूर्ति फातिमा बीवी 96 साल की थीं।
न्यायमूर्ति फातिमा बीवी न केवल भारत में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनने वाली पहली मुस्लिम महिला थीं, बल्कि पूरे एशिया क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला भीं थीं।
न्यायमूर्ति फातिमा बीवी के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी
- न्यायमूर्ति फातिमा बीवी का जन्म 30 अप्रैल, 1927 को केरल के पथानामथिट्टा जिले के पंडालम के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। खदीजा बीवी और अन्नवीटिल मीरा साहिब न्यायमूर्ति फातिमा बीवी के माता-पिता थे।
- उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पथानामथिट्टा के कैथोलिकेट हाई स्कूल से की और यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- केरल की अन्ना चांडी से प्रेरित होकर उनके पिता अन्नावीटिल मीरा साहब ने फातिमा बीवी को कानून में करियर बनाने के लिए राजी किया।
- न्यायमूर्ति अन्ना चांडी भारत की पहली महिला न्यायाधीश (1937) और पहली महिला उच्च न्यायालय की न्यायाधीश (1959 में केरल उच्च न्यायालय) थीं। अन्ना चांडी को 1937 में त्रावणकोर रियासत में मुंसिफ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
- फातिमा बीवी ने त्रिवेन्द्रम के लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की।
- 1950 में फातिमा बीवी बार काउंसिल से स्वर्ण पदक पाने वाली पहली महिला कानून स्नातक बनीं और उन्होंने कोल्लम जिला अदालत में एक वकील के रूप में अपना अभ्यास शुरू किया।
- उन्होंने प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर , मुंसिफ के रूप में केरल राज्य न्यायिक सेवा में शामिल हुईं और बाद में 1974 में जिला सत्र न्यायाधीश बन गईं।
- उन्हें 1983 में केरल उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
- 1989 में राष्ट्रपति आर वेंकट रमन ने फातिमा बीबी को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया। वह 1992 में सुप्रीम कोर्ट जज के पद से सेवानिवृत्त हुईं।
- न्यायाधीश के रूप में पद छोड़ने के बाद, उन्हें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (1993-1997) का सदस्य नियुक्त किया गया।
- उन्हें 1997 में राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था।
राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान विवाद
न्यायमूर्ति फातिमा बीवी को एक विवादास्पद परिस्थिति में तमिलनाडु के राज्यपाल पद से इस्तीफा देना पड़ा।
2001 में, तमिलनाडु में विधान सभा चुनाव में, जे. जयललिता के नेतृत्व वाली एआईएडीएमके पार्टी ने विधानसभा में बहुमत हासिल किया। जे. जयललिता को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत छह साल के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था।
हालाँकि, फातिमा बीवी ने जे. जयललिता को तमिलनाडु में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया क्योंकि एआईएडीएमके विधायक दल ने जे. जयललिता को मुख्यमंत्री के रूप में चुना था।
केंद्र सरकार ने फातिमा बीवी के जे. जयललिता को सरकार बनाने के निमंत्रण की आलोचना की। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति को राज्यपाल को वापस बुलाने की सिफारिश की क्योंकि राज्यपाल अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रही हैं।
उन्होंने 2001 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया