रक्षा और अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-रेडिएशन मिसाइल रुद्रएम-II का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस मिसाइल को 28 मई 2024 को ओडिशा के तट के पास से भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 एमके-I लड़ाकू विमान से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। .
रुद्रएम-II, रुद्रएम-1 मिसाइल का नवीनतम और उन्नत संस्करण है।
रुद्रएम-1 मिसाइल का सफल परीक्षण अक्टूबर 2020 में सुखोई-30 एमके-I लड़ाकू विमान द्वारा प्रक्षेपित कर किया गया था।
डीआरडीओ के मुताबिक, मिसाइल परीक्षण के दौरान मिसाइल ने सभी निर्धारित परीक्षण मानदंडो को हासिल
किया ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकॉ और रूडरएम-II मिसाइल परियोजना में शामिल उद्योग जगत के भागीदारों को बधाई दी।
रुद्रएम-II मिसाइल हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है जिसे लड़ाकू विमान द्वारा जमीन पर स्थित लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए प्रक्षेपित किया जा सकता है।
यह मिसाइल पहली घरेलू एंटी-रेडिएशन मिसाइल है जिसे शत्रु दमन वायु रक्षा (एसईएडी) मिशन के हिस्से के रूप में दुश्मन के जमीन-आधारित रडार और निगरानी प्रणाली को लक्षित करने के लिए विकसित किया गया है। इसे दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें रडार, रेडियो फ़्रीक्वेंसी संपत्ति और अन्य संचार उपकरण शामिल हैं।
यह मिसाइल एक ठोस चालित सुपरसोनिक मिसाइल है। डीआरडीओ के अनुसार, रुद्रम-II मिसाइल 200 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकती है और 6,791 किमी/घंटा (मैक 5.5) की अधिकतम गति प्राप्त कर सकती है।
इस मिसाइल को 3 से 15 किमी की ऊंचाई से प्रक्षेपित किया जा सकता है और इसकी मारक क्षमता 350 किमी है।
इस मिसाइल की खास बात ही की इसे दागे जाने से पहले शत्रु के ठीकानों को मिसाइल की प्रक्षेपण प्रणाली में पहले से ही डाल दिया जाता है और फिर मिसाइल के प्रक्षेपित होने पर इसकी आंतरिक मार्गदर्शन प्रणाली इसे पहले से चिह्नित दुश्मन के ठीकानों तक ले जाती और उसे नष्ट कर देती है।
रुद्रएम-1 मिसाइल, जिसका परीक्षण 2000 में किया गया था, की रेंज 100-150 किमी है और इसकी अधिकतम गति मैक 2 (ध्वनि की गति से दो गुना) है। रुद्रएम-1 मिसाइल को 1 किमी से 15 किमी की ऊंचाई से प्रक्षेपित किया जा सकता है।
रुद्रएम-1 को केवल भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमके-I विमान से ही प्रक्षेपित किया जा सकता है। रुद्रएम-II को मिराज 2000 विमान और SU-30MKI विमान से प्रक्षेपित किया जा सकता है।
भारत ने 2001 में रूस से अपनी पहली विकिरण-विरोधी मिसाइल, केएच-31एएस और केएच-31पीएस खरीदी
थी । बाद में, भारत ने 2019 में मिसाइल का अधिक उन्नत संस्करण- केएच-31पीडी को रूस से खरीदा था। भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना दोनों वर्तमान में केएच-31रूसी मिसाइलों का उपयोग कर रहे हैं । स्वदेश में विकसित रुद्रएम-II धीरे-धीरे रूसी मिसाइलों की जगह ले लेगी।
डीआरडीओ केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के तहत प्रमुख रक्षा अनुसंधान और विकास निकाय है। यह भारतीय सशस्त्र बलों के लिए अत्याधुनिक रक्षा तकनीक विकसित करता है।