चीनी सरकार ने संसाधन संपन्न दक्षिण चीन सागर में एक गहरे समुद्र अनुसंधान सुविधा ,जिसे गहरे समुद्र अंतरिक्ष स्टेशन के रूप में भी जाना जाता है, को को मंजूरी दे दी है। इस चीनी गहरे समुद्र के अंतरिक्ष स्टेशन में ड्रिलिंग जहाज मेंगज़ियांग भी शामिल होगा, जिसका लक्ष्य पृथ्वी के आवरण तक सबसे पहले पहुंचना है।
संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बाद चीन गहरे समुद्र में अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और संचालित करने वाला दुनिया का तीसरा देश होगा।
अमेरिकी गहरे समुद्र में अंतरिक्ष स्टेशन एनआर-1 एक परमाणु-संचालित पनडुब्बी थी जिसे 2008 में सेवानिवृत्त कर दिया गया था और यह समुद्र में 900 मीटर की गहराई तक गई थी।
परमाणु रिएक्टर द्वारा संचालित सोवियत AS-12 लोशारिक 2000 मीटर की गहराई तक गया था और 2019 में भीषण आग लगने के बाद रूसियों ने इसे छोड़ दिया था।
चीनी गहरे समुद्र अंतरिक्ष स्टेशन के बारे में
- चीनी गहरे समुद्र का अंतरिक्ष स्टेशन एक अनुसंधान सुविधा होगी जो दक्षिण चीन सागर की सतह से 2000 मीटर नीचे तैनात होगी।
- इसके 2030 तक चालू होने की उम्मीद है और यह एक महीने तक के लिए 6 वैज्ञानिकों तक की मेजबानी कर सकता है।
- इस अनुसंधान सुविधा का उपयोग शीत रिसाव पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन करने के लिए किया जाएगा।
- शीत रिसाव पारिस्थितिकी तंत्र समुद्र में उन स्थानों को संदर्भित करता है जहां हाइड्रोजन सल्फाइड, मीथेन जैसे रसायन और अन्य हाइड्रोकार्बन युक्त तरल पदार्थ, समुद्र तल में स्थित दरारों से निकाल कर समुद्र तल/पानी में जमा हो जाती है।
चीनी गहरे समुद्र अंतरिक्ष स्टेशन का महत्व
- दक्षिण चीन सागर में लगभग 70 बिलियन टन मीथेन हाइड्रेट्स जिसे ‘अग्नि बर्फ; भी कहते है, चीन के ज्ञात तेल और गैस भंडार के आधे के बराबर है।
- इस क्षेत्र में कोबाल्ट और निकल सांद्रता जैसे दुर्लभ खनिज भंडार भी शामिल हैं जो भूमि आधारित खदानों की तुलना में तीन गुना अधिक कोबाल्ट और निकल का उत्पादन कर सकते हैं।
- यहाँ 600 से अधिक प्रजातियाँ हैं जो विषम परिस्थितियों में भी जीवित रह सकती हैं और कुछ में ऐसे एंजाइम पाये जाते है जो कैंसर के उपचार में उपयोगी होते हैं।
- इस स्टेशन की तैनाती से दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावों को भी मजबूती मिलेगी।
दक्षिण चीन सागर में विवाद
- दक्षिण चीन सागर, पश्चिमी प्रशांत महासागर का हिस्सा है जो दक्षिण पूर्व एशियाई मुख्यभूमि की सीमा पर फेला हुआ है।
- यह क्षेत्र मत्स्य संसाधनों से समृद्ध, दुनिया का एक प्रमुख शिपिंग मार्ग है।
- माना जाता है कि दक्षिण चीन सागर में स्थित पारासेल्स और स्प्रैटलिस द्वीप समूह के आसपास के क्षेत्र हाइड्रोकार्बन और अन्य खनिज संसाधनों से समृद्ध हैं।
- यह क्षेत्र चीन, ताइवान, वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई के बीच विवादित है।
- चीन, दक्षिण चीन के एक विशाल क्षेत्र पर अपना दावा करता है और क्षेत्र में अपना दावा मजबूत करने के लिए कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कर रहा है।
- वियतनाम पारासेल्स और स्प्रैटलिस द्वीप दोनों पर दावा करता है जबकि फिलीपींस का स्कारबोरो शोल (चीन में हुआंगयान द्वीप के रूप में जाना जाता है) पर चीन के साथ विवाद है।