अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) की तीन जजों की पीठ ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, इजरायल के पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट और हमास नेता मोहम्मद दीफ़ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इजरायल का दावा है कि उसने हमास की सैन्य शाखा इज़ अल-दीन अल-क़स्साम ब्रिगेड के नेता मोहम्मद देफ को मार डाला है।
आईसीसी ने गाजा में कथित युद्ध अपराधों के लिए इन तीनों नेताओं के खिलाफ वारंट जारी किया है। इजरायल के सबसे निकट सहयोगी देश अमेरिका ने शीर्ष इजरायली नेतृत्व के खिलाफ जारी आईसीसी वारंट की कड़ी निंदा की है।
मार्च 2023 में, आईसीसी ने यूक्रेन में रूसियों द्वारा कथित युद्ध अपराधों के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था । रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण किया और दोनों देशों के बीच युद्ध अभी भी जारी है।
17 नवंबर 2023 को, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, बोलीविया, कोमोरोस और जिबूती ने गाजा में अपनी सैन्य कार्रवाई के लिए युद्ध अपराधों के लिए इजरायली नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया किया था।
गाजा में इजरायली सैन्य कार्रवाई 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर उग्रवादी फिलिस्तीनी समूह हमास के हमले के जवाब में थी, जिसमे लगभग 1200 लोग मारे गए और 250 लोगों को हमास द्वारा बंधक बना लिया गया था ।
अपने शिकायत में इस देशों ने इजरायल पर गाजा में सभी मानवीय सहायता को रोकने का आरोप लगाया , जिसके कारण क्षेत्र में भूखमरी जैसी स्थिति पैदा हो गई थी।
साथ ही इन दोनों पर यह आरोप लगाया गया था की उन्होने इजरायली सेना को गाजा में नागरिक आबादी को जानबूझकर निशाना बनाने का आदेश दिया था।
इजरायली सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी क्योंकि इजरायल 1998 के रोम संविधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, और वह ईसीसी का सदस्य देश नहीं है।
न्यायालय ने इजरायल के इस तर्क को खारिज कर दिया, क्योंकि फिलिस्तीन जो एक संप्रभु देश नहीं है, रोम संविधि का हस्ताक्षरकर्ता है। न्यायालय ने कहा कि गाजा फिलिस्तीन का एक क्षेत्र है; इसलिए इस मामले पर उसका अधिकार क्षेत्र था।
हमास नेता मोहम्मद दीफ़ पर 7 अक्टूबर 2023 को इसराइल पर हमास के हमले के लिए हत्या, बलात्कार, यातना और बंधकों को लेने का आरोप है, जो युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ़ अपराध माना गया है।
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आईसीसी के पास अपनी कोई पुलिस नहीं है और वह खुद उस आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकता जिसके खिलाफ उसने वारंट जारी किया है।
हालांकि, जिन देशों ने 1998 के रोम संविधि पर हस्ताक्षर किए हैं और जो आईसीसी के सदस्य हैं, उनका कर्तव्य है कि वे बेंजामिन नेतन्याहू, योआव गैलेंट और मोहम्मद डेफ को गिरफ्तार करें यदि वे उनके देश का दौरा करते हैं।
यही कारण है कि व्लादिमीर पुतिन 2023 में ब्रीक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका नहीं गए, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका आईसीसी का सदस्य देश है।
व्लादिमीर पुतिन के जल्द ही भारत आने की उम्मीद है, लेकिन भारत पुतिन को गिरफ्तार करने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि भारत 1998 के रोम संविधि पर हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
इसी तरह, 2015 में, सुडान के राष्ट्रपति उमर हसन अल-बशीर भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए थे।
2009 और 2010 में, आईसीसी ने डारफुर में युद्ध अपराधों के लिए राष्ट्रपति उमर हसन अल-बशीर के खिलाफ वारंट जारी किया। वह पहले ऐसे राष्ट्राध्यक्ष हैं जिनके खिलाफ आईसीसी ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
आईसीसी ने भारत से राष्ट्रपति बशीर को गिरफ्तार करने का अनुरोध किया, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया था ।
अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) की स्थापना 2002 में युद्ध अपराध, नरसंहार, आक्रामकता और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपी व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए की गई थी।
यह अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से अलग है, जहाँ दो देशों के बीच विवादों का समाधान किया जाता है।
आईसीसी में, स्वतंत्र अभियोजक मामला दर्ज कर सकते हैं।
आईसीसी का गठन 1998 के रोम संविधि के प्रावधानों के तहत किया गया था।
एक सौ चौबीस देशों ने रोम संविधि की पुष्टि की है और वेआईसीसी के सदस्य हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका, यूक्रेन, रूस, इज़राइल, चीन और भारतजैसे देश ,आईसीसी के सदस्य नहीं हैं।
मुख्यालय: द हेग, नीदरलैंड