केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स, (पूर्व में ट्विटर) पर घोषणा की कि भारत ने 19 नवंबर 2023 को गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों को मानवीय सहायता का दूसरी खेप भेजी है।इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) और फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के बीच चल रहे युद्ध में 12,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
गाजा को भारतीय मानवीय सहायता
एस जयशंकर के अनुसार, 32 टन की दूसरी सहायता खेप भारतीय वायु सेना के सी-17 विमान द्वारा मिस्र के एल-अरिश हवाई अड्डे तक पहुंचाई गई। एल-अरिश एयरपॉट गाजा पट्टी के साथ मिस्र की सीमा पर राफा क्रॉसिंग से लगभग 45 किलोमीटर दूर है।
इज़राइल ने गाजा पट्टी में किसी भी मानवीय सहायता के लिए राफा को एकमात्र क्रॉसिंग पॉइंट के रूप में नामित किया है।
7 अक्टूबर 2023 को आईडीएफ और हमास के बीच युद्ध छिड़ने के बाद गाजा में फिलिस्तीनियों को मानवीय सहायता भेजने वाला भारत दुनिया का पहला देश था।
भारत ने 22 अक्टूबर, 2023 को फिलिस्तीनियों को लगभग 6.5 टन चिकित्सा सहायता और 32 टन आपदा राहत सामग्री का पहली खेप भेजी थी। सहायता में जीवन रक्षक दवाएं, सर्जिकल सामान, तंबू, शयन आदि शामिल थे।
गाजा में युद्ध
गाजा पट्टी में युद्ध में उस समय छिड़ गया जब उग्रवादी फिलिस्तीनी समूह हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमला किया और करीब 1,200 इजराइली और विदेशी लोगों की हत्या कर दी और 240 लोगों को बंधक बना लिया।
आईडीएफ ने हमास को खत्म करने और अपने बंधकों को छुड़ाने के लिए गाजा पर जवाबी हमला किया। इज़राइल ने इस क्षेत्र की नाकाबंदी कर दी है र विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, गाजा में मानवीय स्थिति बहुत गंभीर है। लोगों के पास भोजन, पानी और दवाएँ खत्म हो रही हैं और गाजा में जबाबी इजराइली हमले में लगभग 12,500 लोग मारे गए हैं, जिनमें 5000 बच्चे भी शामिल हैं।
हमास
- हमास का मतलब हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया (इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन) है। यह फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में सबसे बड़ा और सबसे उग्रवादी समूह है। यह फिलिस्तीनियों के दो प्रमुख राजनीतिक समूहों में से एक है। दूसरा राजनीतिक समूह उदारवादी फिलिस्तीनी राजनीतिक दलों का गठबंधन है जिसे फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) कहा जाता है। उदारवादी पीएलओ को फिलिस्तीनी लोगों के प्रतिनिधि के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।
- ईरान समर्थित हमास को कई देश आतंकवादी समूह मानते हैं।
- भारत पीएलओ को फिलिस्तीनियों के प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देता है और हमास को मान्यता नहीं देता है।
- हमास का उदय 1987 में इजराइल के खिलाफ पहले फिलिस्तीनी विद्रोह जिसे इंतिफादा भी कहा जाता है के दौरान्न हुआ था। हमास चरमपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड की फिलिस्तीनी शाखा है।
- यह समूह इज़राइल के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध और उसके विनाश के लिए प्रतिबद्ध है। इसका लक्ष्य इजराइल के स्थान पर एक इस्लामिक फिलिस्तीनी राज्य बनाना है।
- हमास 2007 से गाजा पट्टी में वास्तविक शासी निकाय रहा है, जब उसने राष्ट्रपति महमूद अब्बास के नेतृत्व वाले फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सत्ता से बाहर कर दिया था।
हमास के नेता
- इस्माइल हानियेह को व्यापक रूप से हमास का नेता माना जाता है। उसे अमेरिकी सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया है और वह वर्तमान में कतर में रह रहा है।
- मोहम्मद दीफ़ हमास की सैन्य शाखा इज़ अल-दीन अल-क़सम ब्रिगेड का नेतृत्व करते हैं। इजरायली सरकार ने मोहम्मद दीफ़ पर गाजा में सुरंगों का निर्माण करने का आरोप लगाया है जिसके द्वारा हमास लड़ाकों को गाजा से इजरायल में प्रवेश करने में मदद मिली थी ।
उग्रवादी समूह जो हमास का समर्थन कर रहे हैं
- इजरायल के साथ मौजूदा युद्ध में हमास का समर्थन करने के लिए, आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह ने भी रॉकेट से इजरायल पर हमला करने का प्रयास किया है, जिसे इजरायली एंटी-मिसाइल रक्षा प्रणाली आयरन डोम ने सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया है।
- अरबी में हिज़बुल्लाह का अर्थ है "अल्लाह की पार्टी", लेबनान में स्थित एक शिया मुस्लिम आतंकवादी और राजनीतिक समूह है। ईरान, हिज़्बुल्लाह का प्रमुख वित्तपोषक और समर्थक देश है।
- इस समूह का गठन 1982 में लेबनान के 15 साल के लंबे गृह युद्ध के दौरान किया गया था। इसे दक्षिणी लेबनान पर इज़राइल के कब्जे का विरोध करने के लिए बनाया गया था।
- इज़राइल ने क्षेत्र में स्थित इज़राइल पर हमला करने वाले फिलिस्तीनी आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए 1982 में दक्षिणी लेबनान पर आक्रमण किया था ।
- इसका नेतृत्व सैय्यद हसन नसरल्लाह कर रहे हैं।
इजरायल-फिलिस्तीनी विवाद
- इज़राइल पश्चिम एशिया में स्थित दुनिया का एकमात्र यहूदी देश है। अरब मुसलमान, जिन्हें फ़िलिस्तीनी तथा यहूदी, दोनों फ़िलिस्तीन पर दावा करते हैं।
- नवंबर 1947 में, संयुक्त राष्ट्र ने फ़िलिस्तीन के ब्रिटिश-नियंत्रित क्षेत्र को इज़राइल नामक एक यहूदी राज्य और फ़िलिस्तीन के एक मुस्लिम राज्य में विभाजित करने का एक प्रस्ताव पारित किया था ।
- संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का वहां रहने वाले अरबों और अन्य अरब देशों ने विरोध किया, जिसके कारण 1948 में अरब और यहूदियों के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में अरब हार गए और इज़राइल ने अरब क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया।
- 1967 के युद्ध में इजराइल ने जॉर्डन से पश्चिमी तट और मिस्र से गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया। इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी आबादी निवास करती है।
दो-राज्य समाधान
- 1993 में, प्रधान मंत्री यित्ज़ाक राबिन के नेतृत्व वाली इजरायली सरकार और यासर अराफात के नेतृत्व वाले फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) ने ओल्सो (नॉर्वे) में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। ओस्लो समझौते में दो-राज्य समाधान लागू करने की योजना पर सहमति हुई।
- ओस्लो समझौता एक यहूदी राज्य इज़राइल और एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य का प्रावधान करता है जिसमें गाजा और पश्चिमी तट शामिल हैं।
- दोनों पक्षों के बीच असहमति और इजराइल और फिलिस्तीन में कट्टरपंथियों के उभरने के कारण ओस्लो समझौते के प्रावधानों को अभी तक लागू नहीं किया जा सका है।
- इस बीच, इज़राइल फिलिस्तीनियों को बेदखल करके और क्षेत्र में यहूदी आबादी को बसाकर पश्चिमी तट और गाजा पट्टी की जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल को बदलने की कोशिश कर रहा है।
- 2007 से, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध का नेतृत्व ईरान द्वारा समर्थित एक उग्रवादी इस्लामी समूह, हमास द्वारा किया जा रहा है।
इजराइल के राष्ट्रपति: बेंजामिन नेतन्याह