उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर दालें उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार ने भारत दाल के ब्रांड नाम के तहत अत्यधिक रियायती दर पर खुदरा पैक में चना दाल बेचना शुरू किया है। 1 किलो के पैक के 60 रुपये प्रति किलो और 30 किलो पैक, 55 रुपये प्रति किलो की अत्यधिक रियायती दर पर उपभोक्ता को उपलब्ध कराया जा रहा है।.
भारत, जो विश्व में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है साथ ही वो दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता और आयातक भी है। हाल के दिनों में दालों खासकर तुअर (अरहर), उड़द मसूर की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, अश्विनी कुमार चौबे ने कहा की , भारत दाल का वितरण भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नेफेड), भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) , केन्द्रीय भंडार और सफल के खुदरा दुकानों के माध्यम से किया जा रहा है।
इस व्यवस्था के तहत, चना दाल राज्य सरकारों को उनकी कल्याणकारी योजनाओं, पुलिस, जेलों के तहत आपूर्ति के लिए और राज्य सरकार नियंत्रित सहकारी समितियों और निगमों के खुदरा दुकानों के माध्यम से वितरण के लिए भी उपलब्ध कराई जाती है।
भारत सरकार मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत पांच प्रमुख दालों, चना, तुअर, उड़द, मूंग और मसूर का बफर स्टॉक रखती है।
भारत में उत्पादित होने वाली सभी दालों में चना दाल का योगदान सबसे अधिक है और भारत चना दाल के मामले में आत्मनिर्भर है।
मंत्री ने कहा कि सरकार देश में दालों की कीमत पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठा रही है। हाल के कुछ कदम इस प्रकार हैं:
तुअर और उड़द के आयात को 31 मार्च 2024 तक 'मुक्त श्रेणी' में रखा गया है। इसका मतलब है कि तुअर और उड़द के आयात पर प्रतिबंध है।
मसूर पर आयात शुल्क 31 मार्च 2024 तक शून्य कर दिया गया है।
जमाखोरी को रोकने के लिए, 2 जून, 2023 को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत 31 अक्टूबर, 2023 तक की अवधि के लिए तुअर और उड़द पर स्टॉक सीमा लगा दी गई है।
उपभोक्ता मामले विभाग के ऑनलाइन स्टॉक मॉनिटरिंग पोर्टल के माध्यम से डीलरों, आयातकों, मिल मालिकों और व्यापारियों जैसी संस्थाओं द्वारा रखे गए दालों के स्टॉक की लगातार निगरानी की जाती है।
नेफेड: नेशनल एग्रिकल्चरल कोआपरेटिव मार्केटिंग फ़ैडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
एनसीसीएफ: नेशनल कोआपरेटिव कन्सूमर फ़ैडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड