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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जाति जनगणना को मंजूरी दी, जानिए इसका ऐतिहासिक संदर्भ

Utkarsh Classes Last Updated 01-05-2025
Union Cabinet Approves Caste Census,Know its Historical Context Census 6 min read

राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) ने आगामी राष्ट्रव्यापी जनसंख्या जनगणना में जाति गणना को शामिल करने को मंज़ूरी दे दी है। 2021 में शुरू होने वाली जनगणना में देरी हो गई है और अब इसकी 2025 में शुरू होने की उम्मीद है। सीसीपीए , जिसे सुपर कैबिनेट के रूप में भी जाना जाता है, ने 30 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में अपनी बैठक में इस प्रसत्व को मंजूरी दी।

 केंद्र सरकार का यह फ़ैसला विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा देश में जाति जनगणना की लगातार मांग की पृष्ठभूमि में आया है।

 कर्नाटक, बिहार और तेलंगाना की राज्य सरकारों ने अपने राज्यों में जाति-स्तरीय जनगणना करवाई हुई है।

भारत में जाति जनगणना का इतिहास

1872 में, भारत में पहली जनगणना अंग्रेजों द्वारा भारत के विभिन्न भागों में गैर-समकालिक रूप से आयोजित की गई थी। उस समय लॉर्ड मेयो भारत के गवर्नर जनरल थे।

पहली समकालिक जनगणना 1881 में लॉर्ड रिपन के शासनकाल में आयोजित की गई थी, और तब से 1931 तक यह हर 10 साल में आयोजित की जाती रही है।

1881 से, जनगणना गणना में जाति को शामिल किया गया था।

आखिरी जाति गणना 1931 में हुई थी।

स्वतंत्रता के बाद और एस.ई.सी.सी.

स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने आम जनता के लिए जाति गणना बंद कर दी। हालाँकि, 1951 से हर जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी की जनगणना की गई।

2011 में, सरकार ने सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एस.ई.सी.सी.) के माध्यम से जाति के आंकड़े एकत्र करने का प्रयास किया, जिसका उद्देश्य परिवारों की सामाजिक आर्थिक स्थितियों का आकलन उनकी जाति की जानकारी के साथ करना था।

  • भारत सरकार ने जाती संबंधी आंकड़े में कई विसंगतियों पाये के कारण जाति के आंकड़ों को कभी जारी नहीं किए। सरकार के अनुसार आबादी के एक बड़े हिस्से ने अपनी जाति की पहचान करने के लिए वैकल्पिक तरीके चुने। 
  • कुछ ने अपनी उपजाति का उल्लेख किया, जबकि अन्य ने अपने समुदायों को जातियों के रूप में पहचाना।
  • 2015 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना से जाति के आंकड़ों को वर्गीकृत करने के लिए अरविंद पंगरिया की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। हालाँकि, सरकार द्वारा जाति के आंकड़े जारी नहीं किए गए।

जाति जनगणना की मांग क्यों हो रही है?

  • संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में अन्य पिछड़े  वर्ग (ओबीसी) को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान है। 
  • 103वें संविधान संशोधन अधिनियम 2019 ने अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किया और सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान किया।

कल्याणकारी योजना के लिए सटीक आंकड़ों की जरूरत

  • सरकार ने इन समुदायों को लक्षित कर कई कल्याणकारी योजनाएं भी शुरू की हैं। 
  • सरकार के पास अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के आंकड़े तो हैं लेकिन सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए नीतियां बनाने के लिए 1931 के जातिगत आंकड़ों पर निर्भर है। 
  • सरकार को अपनी कल्याणकारी नीतियों को और अधिक प्रभावी बनाने और देश की योग्य आबादी तक पहुंचाने के लिए ओबीसी के नवीनतम आंकड़ों की जरूरत है। 
  • गरीबी उन्मूलन, बेरोजगारी को खत्म करने और ओबीसी के लिए संसाधनों के समान वितरण के लिए यह आंकड़े बहुत उपयोगी होगा।

स्थानीय निकायों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व

  • स्थानीय निकायों (पंचायतों और नगर पालिकाओं) में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के तहत ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान है।
  • सटीक आंकड़ों के अभाव में ओबीसी के लिए कितनी सीटें आरक्षित की जानी चाहिए, यह विवादास्पद हो गया है।

भारत में जनगणना

ब्रिटिश काल में सरकार ने जनगणना करने के लिए एक तदर्थ प्रशासनिक तंत्र बनाया था।

स्वतंत्रता के बाद, जनगणना अधिकारियों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के साथ-साथ जनसंख्या जनगणना करने की योजना प्रदान करने के लिए जनगणना अधिनियम 1948 लागू किया गया था।

जनगणना करने की जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यालय के पास है।

1951 से जनगणना हर 10 साल में की जाती है। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना में देरी हुई है।

वर्तमान रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त - मृत्युंजय कुमार नारायण

महत्वपूर्ण फुल फॉर्म

  • सीसीपीए /CCPA : कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (Cabinet Committee on Political Affairs).

2025 तटीय राज्य मत्स्य पालन सम्मेलन में 5वीं समुद्री जनगणना का शुभारंभ

FAQ

उत्तर: 1931

उत्तर: केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन महापंजीयक और जनगणना आयुक्त का कार्यालय।

उत्तर: जनगणना अधिनियम 1948

उत्तर: 2011

उत्तर: पॉलिटिकल, कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (Cabinet Committee on Political Affairs).
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