उल्फा, केंद्र सरकार और असम सरकार ने नई दिल्ली में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए
Utkarsh ClassesLast Updated
07-02-2025
Agreements and MoU
4 min read
केंद्र सरकार, असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम यानी उल्फा के मध्य त्रिपक्षीय समझौते पर 29 दिसंबर 2023 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करना है।
बैठक में असम के सीएम हिमंता बिस्वा शरमा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के डीजीपी भी मौजूद रहे।
भारत सरकार, असम सरकार और उल्फा के बीच जो समझौता हुआ है, इससे असम में अब स्थाई शान्ति बहाल की जा सकती है। यह समझौता असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों की शांति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
29 दिसंबर 2023 को उल्फा के 700 कैडरों ने आत्मसमर्पण कर दिया।
उल्फा समर्थक वार्ता गुट का 16 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व, अध्यक्ष अरबिंद राजखोवा ने किया। प्रतिनिधिमंडल में 16 उल्फा सदस्य और 14 लोग नागरिक समाज से शामिल हैं।
उल्फा संगठन के महासचिव अनूप चेतिया ने शांति वार्ताकार एके मिश्रा से इस मुद्दे पर विस्तृत वार्ता की।
त्रिपक्षीय समझौते के मुख्य बिंदु:
असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बरकरार रखा जाएगा।
असम के लोगों के लिए और भी बेहतर रोजगार के साधन राज्य में मौजूद कराए जाएंगे।
संगठन के सदस्यों को रोजगार के पर्याप्त अवसर सरकार मुहैया करवाएगी।
उल्फा के सदस्यों को जिन्होंने सशस्त्र आंदोलन का मार्ग छोड़ दिया है, उन्हें मुख्य धारा में लाने का भारत सरकार हर संभव प्रयास करेगी।
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के बारे में:
अलगाववादी संगठन उल्फा का गठन अप्रैल 1979 में बांग्लादेश से आए बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों के खिलाफ आंदोलन के बाद हुआ था।
उल्फा का गठन 1979 में शिवसागर के ऐतिहासिक रंग घर, एक अहोम युग के रंगभूमि, में हुआ था।
इसके बाद से यह कई हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल रहा है, जिसके कारण केंद्र सरकार ने 1990 में इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया।
फरवरी 2011 में यह दो समूहों में विभाजित हो गया था।
अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले गुट ने हिंसा छोड़ दी थी। यह गुट, बिना शर्त सरकार के साथ बातचीत के लिए सहमत है।
दूसरे उल्फा गुट का नेतृत्व करने वाले परेश बरुआ बातचीत के खिलाफ रहे हैं।
वार्ता समर्थक गुट ने असम के मूल निवासियों की भूमि के अधिकार समेत उनकी पहचान और संसाधनों की सुरक्षा के लिए सुधारों की मांग की है।
परेश बरुआ की अध्यक्षता वाला उल्फा का कट्टरपंथी गुट इस समझौते का हिस्सा नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि बरुआ चीन-म्यांमार सीमा के पास रहता है।
राजखोवा गुट 3 सितंबर, 2011 को सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल हुआ। जब इसके, केंद्र और राज्य सरकार के बीच सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
FAQ
Answer:- नई दिल्ली
Answer:- अरबिंद राजखोवा
Answer:- यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) का गठन वर्ष 1979 में किया गया।
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