प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2023 को 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधन के दौरान कृषकों को किफायती मूल्य पर यूरिया उपलब्ध कराने हेतु 10 लाख करोड़ रु की सब्सिडी की घोषणा किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि वैश्विक स्तर पर 3,000 रुपये प्रति बोरी कीमत वाली यूरिया, किसानों को 300 रुपये प्रति बोरी की सस्ती कीमत पर दी जा रही है।
उर्वरक:
उर्वरक कृषि में उपज बढ़ाने के लिए प्रयुक्त रसायन हैं जो पेड-पौधों की वृद्धि में सहायता के लिए उपयोग किए जाते हैं। जल में शीघ्र घुलने वाले ये रसायन मिट्टी में या पत्तियों पर छिड़काव करके प्रयुक्त किये जाते हैं।
उर्वरक मुख्यतः एक प्राकृतिक या कृत्रिम पदार्थ होता है जिसमें नाइट्रोजन (एन), फास्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) रासायनिक तत्त्व होते हैं, जो पौधों की वृद्धि और उत्पादकता में सुधार करते हैं।
देश में मुख्यतः तीन प्रकार के उर्वरकों का उपयोग किया जाता है, ये हैं- यूरिया, डीएपी और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी)।
उर्वरक सब्सिडी:
सरकार उर्वरक उत्पादकों को सब्सिडी का भुगतान करती है जिससे कि कृषकों को बाज़ार मूल्य से कम मूल्य पर उर्वरक प्राप्त हो सके।
उर्वरक के उत्पादन/आयात की लागत और किसानों द्वारा भुगतान की गई वास्तविक राशि के बीच का अंतर सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में वहन की जाती है।
यूरिया पर सब्सिडी:
भारत में, यूरिया सबसे अधिक उत्पादित, आयातित, खपत और भौतिक रूप से विनियमित की जाने वाली उर्वरक है। यह केवल कृषकों के उपयोग हेतु अनुदानित है।
सरकार प्रत्येक संयंत्र में उत्पादन लागत के आधार पर उर्वरक निर्माताओं को यूरिया पर सब्सिडी का भुगतान करती है और इकाइयों को सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर उर्वरक विक्रय करती है।
गैर-यूरिया उर्वरकों पर सब्सिडी:
गैर-यूरिया उर्वरकों की अधिकतम खुदरा मूल्य कंपनियों द्वारा निर्धारित नहीं की जाती है। परन्तु सरकार ने विशेष रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद उर्वरकों के वैश्विक मूल्य में वृद्धि के पश्चात उर्वरकों को सरकारी नियंत्रण व्यवस्था के अंतर्गत शामिल कर दिया है।
सभी गैर-यूरिया आधारित उर्वरकों को पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी योजना के तहत विनियमित किया जाता है।