भारत ने रूस से लाल मसूर का आयात शुरू कर दिया है। रूसी मसूर दाल की एक खेप हाल ही में तमिलनाडु के चेन्नई बंदरगाह पर उतरी है । इससे पहले रूस , ही इराक को पीछे छोड़ते हुए भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है।
भारत, जो दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और आयातक है, वर्तमान में लाल मसूर मुख्य रूप से कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से खरीदता है।
सितंबर 2021 में भारत सरकार ने रूस से मसूर के आयात की अनुमति दी थी , लेकिन फाइटोसैनिटरी चिंताओं और रूसी दालों की उच्च लागत के कारण, रूस से दालों का आयात नहीं किया जा रहा था।
भारत सरकार ने रूसी दालों का आयात शुरू कर दिया है क्योंकि वे अब तुलनात्मक रूप से सस्ती कीमतों पर उपलब्ध हैं और भारत सरकार कनाडा और ऑस्ट्रेलिया पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है।
दलहन और भारत
भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा आयातकउत्पादक, और उपभोक्ता है, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 28%, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 15% और वैश्विक खपत का लगभग 27% हिस्सा है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तीसरे अनुमान के अनुसार 2022-23 (जुलाई-जून फसल सीजन) में दालों का उत्पादन 275.04 लाख टन होने का अनुमान है।
दालों के उत्पादन में सबसे ज्यादा योगदान चने का है और दूसरा सबसे ज्यादा योगदान मूंग का है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तीसरे अनुमान के मुताबिक, 2022-23 में चने का उत्पादन 135.43 लाख टन और मूंग का 37.40 लाख टन होने का अनुमान है।
आयात निर्भरता
भारत चना और मूंग की दालों में आत्मनिर्भर है। लेकिन अरहर, उड़द या मसूर जैसी व्यापक रूप से खपत वाली दालों के मामले में यह अभी भी आत्मनिर्भर नहीं है।
परिणामस्वरूप इन दालों की हमेशा कमी रहती है और परिणामस्वरूप बाजार में इन दालों की कीमतें उच्च रहती हैं। दालों की मांग को पूरा करने के लिए भारत कई देशों से दालों का आयात करता है। भारत दालों की अपनी सम्पूर्ण मांग का लगभग 10-12% आयात के माध्यम से पूरा करता है।
दालों के आयात के स्रोत
भारत अरहर के दालों का आयात मुख्य रूप से पूर्वी अफ्रीका और म्यांमार से करता है।
भारत मे मसूर मुख्य रूप से कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से आयात किया जाता है।
भारत मे उड़द मुख्यतः म्यांमार से आयात होती है।
उदार आयात नीति-
उत्पादन की कमी को पूरा करने के लिए और इन वस्तुओं की कीमत को नियंत्रित करने के लिए भारत ने दालों की आपूर्ति के लिए कई देशों के साथ दीर्घकालिक अनुबंध हस्ताक्षरित किया है।
भारत 2021 से लेकर अगले पांच वर्षों तक के लिए मोजाम्बिक से प्रति वर्ष 2 लाख टन अरहर(तुअर) की दाल का आयात करेगा।
यह 2025 तक मलावी से 50,000 टन अरहर(तुअर) की दाल आयात करेगा।
यह 2025 तक प्रति वर्ष म्यांमार से 100,000 टन अरहर(तुअर) की दाल आयात करेगा।
दालों के आयात के लिए अधिसूचित बंदरगाह-
दालों के आयात की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए, भारत सरकार ने म्यांमार, मलावी और मोज़ाम्बिक से दालों के आयात के लिए पांच बंदरगाहों को अधिसूचित किया है।
ये बंदरगाह हैं-
महाराष्ट्र में मुंबई बंदरगाह,
तमिलनाडु के थूथुकुडी में वी.ओ.चिदंबरनार बंदरगाह। इसे पहले तूतीकोरिन कहा जाता था।
चेन्नई बंदरगाह भी तमिलनाडु में है
श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
हजीरा बंदरगाह, गुजरात
भारत में शीर्ष दाल उत्पादक राज्य (2020-21 के आंकड़े)
क्रम संख्या |
राज्य |
दालें |
1 |
राजस्थान |
मूंग, अरहर, चना और मोठ |
2 |
मध्यप्रदेश |
चना, अरहर और उड़द |
3 |
महाराष्ट्र |
मुख्य रूप से तुअर |
4 |
उत्तरप्रदेश |
चना |
5 |
कर्नाटक |
कुलथी दाल, अरहर दाल, काला चना, हरा चना, |
स्रोत-पीआईबी
विभिन्न कृषि मौसम जिसमें दालें उगाई जाती हैं
दालें खरीफ, रबी और जायद तीनों फसल मौसमों में उगाई जाती हैं।
ख़रीफ़: अरहर (तूर), उर्द (काला चना), मूंग (हरा चना), लोबिया (लोबिया), कुल्थी (घोड़ा) और मोठ;
रबी: चना, मसूर, मटर, लैथिरस और राजमाश;
ग्रीष्म/जायद: हरा चना, उड़द और लोबिया।