30 वर्षीय पूर्व भारतीय महिला हॉकी कप्तान रानी रामपाल, जिन्हें भारतीय हॉकी की रानी भी कहा जाता है, ने 24 अक्टूबर 2024 को खेल से संन्यास की घोषणा की। भारत में हॉकी की शासी निकाय, हॉकी इंडिया ने, रानी रामपाल के सम्मान के रूप में नंबर 28 जर्सी को भी सेवानिवृत करने का फैसला किया है।। रानी रामपाल ,भारत के लिए खेलते समय 28 नंबर की जर्सी पहनती थीं।
रानी रामपाल देश की पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी हैं जिनके नाम पर किसी स्टेडियम का नाम रखा गया है। भारतीय रेलवे की मॉडर्न कोच फैक्ट्री के रायबरेली स्टेडियम का नाम बदलकर रानी गर्ल्स हॉकी टर्फ कर दिया गया है।
रानी रामपाल ने 254 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले और भारत के लिए 120 गोल किये।
हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली रानी रामपाल ने 2008 में रूस के कज़ान में ओलंपिक क्वालीफायर में 14 साल की उम्र में भारत के लिएहॉकी में पदार्पण किया।
महज 15 साल की उम्र में उन्होंने अर्जेंटीना 2010 में आयोजित 12वें महिला हॉकी विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने प्रतियोगिता में भारतीय टीम द्वारा बनाए गए 7 में से 5 गोल किए। उनके शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें 'यंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' का पुरस्कार भी मिला था।
रानी रामपाल ,2009 में एशिया कप में रजत पदक और 2014 इंचियोन, दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थीं।
2018 में रानी रामपाल को भारतीय महिला हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया। उनके नेतृत्व में, भारतीय टीम ने 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में रजत पदक जीता, और लंदन, यूनाइटेड किंगडम में आयोजित 2018 विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।
2020 टोक्यो ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में उन्होंने भारत को ऐतिहासिक चौथे स्थान पर पहुंचाया।
रानी रामपाल को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए भारतीय महिला हॉकी की रानी भी कहा जाता है। हॉकी से संन्यास लेने के बाद उन्होंने कोचिंग का कार्यभार संभाला है।
2023 में उन्हें भारत की अंडर-17 टीम का कोच बनाया गया।
उन्हें हॉकी इंडिया लीग के लिए सूरमा हॉकी क्लब के कोच और संरक्षक के रूप में भी नामित किया गया है।
2020 में, रानी रामफल को भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार; मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2020 में, रानी को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया।