प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा सावित्रीबाई फुले और रानी वेलु नचियार की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की, प्रधानमंत्री मोदी ने इनके संदर्भ में कहा कि इन्होंने करुणा और साहस से समाज को प्रेरित किया, साथ ही राष्ट्र के लिए उनके अमूल्य योगदान को भी रेखांकित किया।
सावित्रीबाई फुले के बारे में
महाराष्ट्र की सावित्रीबाई फुले लड़कियों और समाज के वंचित वर्गों के लिए शिक्षा प्रदान करने वाली एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं।
- वह भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं (1848) और उन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ एक गर्ल्स स्कूल भी खोला।
- उन्होंने निराश्रित महिलाओं के लिए एक आश्रय स्थल की स्थापना की (1864) और ज्योतिबा फुले की अग्रणी संस्था, सत्यशोधक समाज, (1873) में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- सावित्रीबाई को भारत में महिलाओं के अधिकारों की चैंपियन के रूप में जाना जाता है और उन्हें व्यापक रूप से भारतीय नारीवाद की जननी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- 1897 में महाराष्ट्र में ब्यूबोनिक प्लेग के प्रकोप के दौरान, सावित्रीबाई ने पुणे के हडपसर में प्लेग पीड़ितों के लिए एक क्लिनिक स्थापित करके प्लेग पीड़ितों की सक्रिय रूप से मदद की । वह केवल पर्यवेक्षक की भूमिका नहीं निभा रहीं थीं वह पीड़ितों की व्यक्तिगत तौर पर जाकर भी सेवा करती थीं।
सत्यशोधक समाज के बारे में
सत्यशोधक समाज की स्थापना 1873 में महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक प्रमुख समाज सुधारक ज्योतिबा फुले द्वारा की गई थी।
- संगठन का प्राथमिक उद्देश्य महाराष्ट्र में दलित वर्गों की स्थितियों में सुधार करना और साहूकारों और औपनिवेशिक प्रशासन के दमनकारी गठजोड़ द्वारा उनके शोषण को रोकना था।
- यह आंदोलन सतारा में काफी विस्तृत हुआ परिणामस्वरूप यहाँ पर सत्यशोधक समाज ने कई गांवों में अपनी शाखाएं खोलीं।
- सामंतवाद और जमींदारीवाद के खिलाफ किसान संघर्ष ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन का एक अनिवार्य हिस्सा था, क्योंकि दमनकारी और शोषणकारी आर्थिक और सामाजिक शासन को बनाए रखने की अंतिम जिम्मेदारी औपनिवेशिक प्रशासन की थी।
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रानी वेलु नचियार के बारे में
- रानी वेलु नचियार, जिन्हें तमिल लोग वीरमंगई के नाम से भी जानते हैं, भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शक्ति के खिलाफ लड़ने वाली पहली रानी थीं।
- उनका जन्म रामनाथपुरम के शाही परिवार में हुआ था, जो रामनाद साम्राज्य के राजा चेल्लामुथु विजयरागुनाथ सेतुपति और रानी सकंधीमुथल की एकमात्र संतान थीं।
- रानी वेलु नचियार भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाली पहली रानी थीं। 1780 में, उन्होंने मारुडु भाइयों को देश का प्रशासन करने की शक्तियाँ प्रदान कीं। कुछ साल बाद 25 दिसंबर 1796 को वेलु नचियार का निधन हो गया।