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पद्म विभूषण कथक प्रणेता कुमुदिनी लाखिया का निधन

Utkarsh Classes Last Updated 14-04-2025
Padma Vibhushan Kathak pioneer Kumudini Lakhia passes away Death 4 min read

 

प्रख्यात कथक नृत्यांगना और पद्म विभूषण से सम्मानित कुमुदिनी लाखिया का 12 अप्रैल 2025 को गुजरात के अहमदाबाद  शहर में निधन हो गया। कथक में नई अवधारणाएँ पेश करने के लिए जानी जाने वाली कुमुदिनी लाखिया ,95 वर्ष की थीं और उम्र से संबंधित जटिलताओं से पीड़ित थीं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी संवेदना व्यक्त की और उन्हें भारत का एक उत्कृष्ट सांस्कृतिक प्रतीक बताया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित अन्य लोगों ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

कुमुदिनी लाखिया के बारे में

कुमुदिनी लाखिया, जिन्हें प्यार से कुमीबेन कहा जाता था , का जन्म 17 मई 1930 को अहमदाबाद में हुआ था। उन्होंने शुरुआत में जयपुर घराने के पंडित सुंदर प्रसाद से प्रशिक्षण लिया था। बाद में, उन्होंने लखनऊ घराने के पंडित शंभू महाराज से नृत्य सीखा और पंडित बिरजू महाराज के साथ काम किया।

उन्होंने कथक की पारंपरिक जड़ों को बनाए रखते हुए इसे आधुनिक बनाया। उन्होंने कथक में नई तकनीकें, शब्दावली और भाव विकसित किए, जिससे शास्त्रीय नृत्य शैली में बदलाव आया।

उन्होंने 1964 में अहमदाबाद में कदम्ब नृत्य और संगीत केंद्र की स्थापना की और कथक में नर्तकियों की एक पीढ़ी को प्रशिक्षित किया।

नृत्य निर्देशिका  के तौर पर

अपने स्टेज परफॉर्मेंस के अलावा, कुमदिनी लाखिया एक मशहूर नृत्य निर्देशिका भी थीं। उन्होंने,गोपी कृष्ण के साथ मिलकर,  मुजफ्फर अली की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म ‘उमराव जान’ में फिल्म अभिनेत्री रेखा को निर्देशित किया था।

उन्होंने भारत और विदेश में भी अपने उत्कृष्ट काला का प्रदर्शन किया। उन्होंने भारत, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के विश्वविद्यालयों में रचनात्मकता और नृत्य प्रदर्शन पर व्याख्यान भी दिए।

पुरस्कार और सम्मान

कथक नृत्य और शिक्षण करियर के दौरान कुमुदिनी लाखिया को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण पुरस्कार इस प्रकार हैं:

  • पद्म विभूषण 2025- भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार।
  • पद्म भूषण 2010- भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार
  • पद्म श्री 1987- भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार
  • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 1982
  • कालिदास सम्मान 2022-03- मध्य प्रदेश सरकार यह पुरस्कार देती है।

कथक नृत्य के बारे में

कथक, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त आठ शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। अन्य नृत्य हैं कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश), भरतनाट्यम (तमिलनाडु), मणिपुरी (मणिपुर), सत्रिया (असम), ओडिसी (ओडिशा), मोहिनीअट्टम और कथकली (केरल)।

कथक, कथा और कथकार का मिश्रण है। नर्तक नृत्य के माध्यम से कहानी सुनाते हैं। कहानी मुख्य रूप से कृष्ण-राधा और शिव-पार्वती तथा अन्य के बारे में होता है।

उत्तर भारत कथक का उद्गम स्थल है, जिसे बाद में मुगलों ने समृद्ध किया। यह एकमात्र शास्त्रीय नृत्य शैली है, जिसे मुस्लिम संस्कृति ने समृद्ध किया है।

कथक के तीन मुख्य घराने हैं- अवध, जयपुर और बनारस। अवध (अवध) के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने कथक के लखनऊ घराने की स्थापना की।

कथक के सबसे प्रसिद्ध समकालीन प्रतिपादक पंडित बिरजू महाराज हैं।

FAQ

उत्तर: कथक

उत्तर: उमराव जान फिल्म,जो अभिनेत्री रेखा पर फिल्माई गई थी।

उत्तर: 2025
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