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नए हिट-एंड-रन कानून का ट्रक ड्राइवरों द्वारा राष्ट्र व्यापी विरोध

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Nationwide Protest By Truck Drivers Against New Hit-And-Run Law Transport 7 min read

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए हिट एंड रन कानून पर देशभर में विरोध किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा दिसंबर 2023 के अंत में हिट एंड रन कानून में किए गए संशोधन का देशभर में विरोध किया जा रहा है।

  • मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों में ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल के कारण काफी अव्यवस्था उत्पन्न हुई है। इस बीच ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस और सरकार के बीच 2 जनवरी 2024 को दिल्ली में बैठक हुई। इसमें सरकार के आश्वासन के बाद हड़ताल को खत्म करने का निर्णय लिया गया।

हिट एंड रन के बारे में: 

  • हिट एंड रन के मामले, सड़क दुर्घटना से जुड़े होते हैं। हिट एंड रन का अर्थ होता है कि तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण जान-माल को नुकसान पहुंचाकर भाग जाना।
  • ऐसे में सबूतों और प्रत्यक्षदर्शियों के अभाव के कारण दोषियों को पकड़ना और सजा देना बहुत मुश्किल हो जाता है।

हिट एंड रन के नए नियम बारे में

  • यह हाल ही में संसद से पारित तीन नए कानूनों का हिस्सा है। आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 104 में हिट एंड रन का जिक्र किया गया है।
    • यह धारा लापरवाही से मौत का कारण के लिए दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करती है।
  • धारा 104(1) के अनुसार, 'कोई भी व्यक्ति बिना सोचे-समझे या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करके किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है। जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आता है। तो ऐसा कृत्य करने वाले व्यक्ति को पाँच साल का कारावास और जुर्माने या फिर दोनों से दंडित किया जाएगा। 
  • धारा 104(2) के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति लापरवाही से वाहन चलाकर किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है। जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आता है। घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना दिए बिना भाग जाता है। तब उसे दस साल तक का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है।

पहले हिट एंड रन कानून के बारे में: 

  • भारत में पहले हिट एंड रन के मामले, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विशेष रूप से दंडनीय नहीं थे। इसमें मुख्यतः आईपीसी की तीन धारा के तहत सजा का प्रावधान शामिल था:  
  • आईपीसी की धारा 279 लापरवाह ड्राइविंग की परिभाषा और सजा का प्रावधान करती है। इसके तहत सजा का प्रावधान: 
    • छह महीने तक की कारावास का प्रावधान है या 
    • एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है 
    • या एक हजार रुपए और कारावास  दोनों दंडित किया जा सकता है।
  • आईपीसी की धारा 304ए में लापरवाही से मौत के लिए सजा का प्रावधान है। इसमें दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।
  • आईपीसी की धारा 338 उस स्थिति में सजा का प्रावधान करती है जब पीड़ित की मृत्यु नहीं हुई हो लेकिन वह गंभीर रूप से घायल हो। उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जाएगा। 

मोटर वाहन अधिनियम 1988 से भी संबद्ध है हिट एंड रन: 

  • मोटर वाहन अधिनियम 1988 भी हिट एंड रन के मामलों में लागू होता है। इस कानून में धारा 161, 134(ए) और 134(बी) हिट एंड रन के मामलों से संबंधित हैं। 

नए नियम की आवश्यता क्यों पड़ी? 

  • हिट एंड रन के मामलों में सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि अपराध स्थल पर अपराधी के विरुद्ध किसी भी प्रत्यक्ष सबूत का अभाव होता है। इस वजह से पुलिस अधिकारियों के लिए जांच को आगे बढ़ाना और अपराधी को ढूंढना बेहद मुश्किल हो जाता है। इससे अधिकतर अपराधी भाग जाते हैं।
  • जिन गवाहों पर जांच निर्भर करती है वे भी मदद करने से कतराते हैं। क्योंकि वो किसी भी तरह के कानूनी मसले में फंसना नहीं चाहते हैं। 

देश में हिट-एंड-रन आंकड़े: 

  • सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में सड़क दुर्घटनाओं में हिट-एंड-रन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। 
  • 2020 में कुल 52,448 हिट एंड रन के मामले सामने आए जिसमें 23,159 लोगों की जान चली गई।
  • 2021 में यह आंकड़ा बढ़ा और इस साल ऐसी 57,415 घटनाएं हुईं जिनमें 25,938 लोगों मृत्यु हुई।  

हिट-एंड-रन कानून का विरोध क्यों? 

  • नए नियम आने से ड्राइवरों में इस बात का डर है कि यह उनके खिलाफ बनाया गया है। यदि नए नियम के अनुसार वो  घायल की मदद करने जाते हैं ऐसे में उन्हें भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है।
  • भीड़ से बचे तो 2 वर्ष के स्थान पर अब दस वर्ष जेल में काटना पड़ सकता है।  
  • देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है। 
  • पुलिस वैज्ञानिक जांच किए बिना ही दोष बड़े वाहन पर मढ़ देती है।

हिट-एंड-रन कानून विवाद पर सरकारी रुख: 

  • सरकार ने उन लोगों के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया है जो सड़क दुर्घटना करने के बाद पीड़ितों को मरने के लिए छोड़कर भाग जाते हैं। 
  • इसमें उन लोगों के लिए कुछ उदारता दिखाई जाएगी जो खुद से पुलिस को सूचित करेंगे और घायलों को अस्पताल ले जाएंगे। हालांकि, भारतीय दंड संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। 

FAQ

Answer:- दस वर्ष की सजा और जुर्माना

Answer:- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 104(2)

Answer:- दो वर्ष
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