केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया के अनुसार भारत 2025 के अंत तक यूरिया का आयात बंद कर देगा। मंत्री के अनुसार भारत में उर्वरक संयंत्रों के चालू होने के कारण स्वदेशी यूरिया उत्पादन के क्षमता में वृद्धि हो रही है जिसके कारण भारत 2025 के अंत तक यूरिया का आयात बंद कर देगा।
भारत यूरिया का एक बड़ा आयातक है और अपनी 35 मिलियन टन वार्षिक यूरिया आवश्यकता का लगभग 30% आयात से पूरा करता है।
देश में यूरिया उत्पादन 2014-15 में 225.08 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 284.95 लाख टन हो गया।
2022-23 में यूरिया का कुल आयात 75.8 लाख टन था, जो घरेलू मांग का लगभग 30% है। यूरिया के आयात के मुख्य स्रोत ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात हैं।
सरकार ने यूरिया का आयात खत्म करने के लिए दोतरफा रणनीति अपनाई है। एक रणनीति देश में बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों को पुनर्जीवित कर यूरिया की घरेलू आपूर्ति बढ़ाना है। दूसरी रणनीति किसानों को नैनो-तरल यूरिया जैसे वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
घरेलू उत्पादन बढ़ाना
भारत सरकार ने स्वदेशी यूरिया उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई यूरिया नीति 2015 लागू की है।
नई यूरिया नीति के तहत, सरकार घरेलू यूरिया उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, तेलंगाना के रामागुंडम, ओडिशा के तालचर, बिहार के बरौनी और झारखंड के सिंदरी, में बंद उर्वरक संयंत्रों को पुनर्जीवित करने की योजना पर कार्य कर रही है। सरकार पहले ही चार संयंत्रों को पुनर्जीवित कर चुकी है और जल्द ही पांचवें को भी पुनर्जीवित करेगी।
नैनो तरल यूरिया जैसे वैकल्पिक उर्वरक को बढ़ावा देना
धरती माता के पुनरुद्धार, जागरूकता, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम' (पीएम-प्रणाम)
पृथ्वी माता के पुनर्रूद्धार, इसके प्रति जागरूकता, पोषण और सुधार हेतु प्रधानमंत्री कार्यक्रम’ (पीएम-प्रणाम) राज्यों और संघ राज्य-क्षेत्रों को रसायनिक उर्वरकों के संतुलित प्रयोग तथा इनके स्थान पर वैकल्पिक उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए 2023 में यह योजना शुरू की गई।
मंडाविया के अनुसार पांचवें संयंत्र के चालू होने के बाद यूरिया की वार्षिक घरेलू उत्पादन क्षमता लगभग 325 लाख टन तक पहुंच जाएगी, और साथ ही 20-25 लाख टन पारंपरिक यूरिया के उपयोग को नैनो तरल यूरिया से प्रतिस्थापित करने का भी लक्ष्य है।