केरल सरकार ने राज्य के मलप्पुरम जिले में निपाह वायरस के नए प्रकोप की पुष्टि की है। यह पुष्टि,जिले में एक 42 वर्षीय महिला में वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण के बाद की गई। 2018 में पहला मामला सामने आने के बाद से राज्य में निपाह वायरस का यह सातवां प्रकोप है।
निपाह एक जूनोटिक बीमारी है जिसकी मृत्यु दर बहुत अधिक है।
केरल आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने वैलनचेरी नगर पालिका में रोगी के निवास के आसपास तीन किलोमीटर का नियंत्रण क्षेत्र घोषित किया है।
प्रशासन ने यह कदम मलप्पुरम जिले के एक निजी अस्पताल में भर्ती एक महिला में निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उठाया, जब पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने उसके नमूने को पॉजिटिव बताया।
राज्य में निपाह प्रकोप का पहला मामला 2018 में सामने आया था। इसके बाद 2019, 2021, 2023, 2024 और 2025 में वायरस का प्रकोप सामने आया।
इस बीमारी की मृत्यु दर बहुत अधिक है, जिसमें अब तक राज्य में केवल छह लोग ही वायरस के संक्रमण से बच पाए हैं। 2018 से अब तक राज्य में निपाह वायरस के कारण कुल मौतों की संख्या 22 है।
दुनिया में निपाह वायरस का पहला मामला 1999 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में सुअर पालने वालों लोगों में सामने आया था। चूंकि यह पहली बार सुंगई निपाह गांव से रिपोर्ट किया गया था, इसलिए इसे निपाह वायरस नाम दिया गया।
निपाह वायरस एक जूनोटिक बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के अनुसार, वायरस का प्राकृतिक मेजबान टेरोपोडिडे परिवार के फल चमगादड़ हैं।
डबल्यूएचओ ने निपाह वायरस के दो प्रमुख प्रकारों की पहचान की है - मलेशियाई और बांग्लादेशी।
चमगादड़ पक्षी नहीं हैं; वे स्तनधारी (जानवर) हैं।
डबल्यूएचओ ने निपाह वायरस के दो मुख्य प्रकारों की पहचान की है - मलेशियाई और बांग्लादेशी।
मलेशियाई प्रकार बीमार सूअरों या उनके दूषित ऊतकों के सीधे संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में संचारित पाया गया।
बांग्लादेशी प्रकार, जो केरल में पाया गया है, संक्रमित फल चमगादड़ों के मूत्र या लार से दूषित फलों के सेवन से फैलता है।
यह संक्रमित व्यक्ति से दूषित भोजन दूसरों द्वारा साझा करने के माध्यम से भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे और राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (एनआईएचएसएडी), भोपाल द्वारा 2024 में किए गए एक सर्वेक्षण में केरल में संक्रमण के स्रोत के रूप में फल चमगादड़ पाए गए।