भारत सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी योजना के अंतर्गत पात्र स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी को वर्तमान 10 करोड़ रुपये प्रति उधारकर्ता से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया है। इस आशय की अधिसूचना, 9 मई 2025 को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा किया गया था।
डीपीआईआईटी, भारत सरकार के लिए स्टार्टअप इंडिया योजना को लागू करने के लिए नोडल निकाय है। 2025-26 के केंद्रीय बजट भाषण में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रेडिट गारंटी कवरेज को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये करने की घोषणा की। क्रेडिट गारंटी राशि में वृद्धि का उद्देश्य स्टार्टअप्स के लिए अधिक से अधिक फंडिंग की सुविधा प्रदान करना है।
स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी योजना में बदलाव
स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी योजना में निम्नलिखित बदलाव किए गए हैं।
- स्टार्टअप लोन पर ऋण गारंटी 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दी गई है।
- 10 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए अगर उधारकर्ता ऋण चुकाने में विफल रहता तो उसके बाकी बचे हुए ऋण राशि का 85% तक ऋण गारंटी योजना में आएगा।
- इस तरह 10 लाख रुपये से अधिक और 20 लाख रुपये तक के ऋण के लिए यह ऋण गारंटी 75% तक बढ़ा दिया गया है।
- 27 चैंपियन सेक्टर में स्टार्टअप के लिए वार्षिक गारंटी शुल्क को 2% प्रति वर्ष से घटाकर 1% कर दिया गया है।
स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी योजना क्या है?
स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी योजना भारत सरकार द्वारा 2022 में शुरू की गई थी।
उद्देश्य
- डीपीआईआईटी-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को पात्र वित्तीय संस्थानों द्वारा प्रदान किए गए ऋण पर ऋण गारंटी प्रदान करना।
- पात्र वित्तीय संस्थान -अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसी) और सेबी-पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोष के तहत वेंचर डेट फंड (वीडीएफ) हैं।
- गारंटी सीधे डीपीआईआईटी द्वारा नहीं बल्कि नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) के माध्यम से प्रदान की जाती है।
नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी)
- एनसीजीटीसी की स्थापना भारत सरकार द्वारा मार्च 2014 में कंपनी अधिनियम 1956 के तहत की गई थी।
- यह केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के अधीन है।
- एनसीजीटीसी एक आम ट्रस्टी कंपनी है जो भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न ऋण गारंटी फंडों का प्रबंधन करती है।
स्टार्ट अप इंडिया और चैंपियंस स्टार्टअप
भारत सरकार ने 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया योजना शुरू की।
इसका उद्देश्य देश में एक जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम का निर्माण करना और उद्यमियों का समर्थन करना है।
स्टार्टअप इंडिया को लागू करने के लिए नोडल निकाय डीपीआईआईटी है।
चैंपियन स्टार्टअप्स
- डीपीआईआईटी ने 27 क्षेत्रों को चैंपियन क्षेत्र के रूप में मान्यता दी है, जिसमें 15 विनिर्माण क्षेत्र और 12 सेवा क्षेत्र शामिल हैं।
- विनिर्माण क्षेत्रों में ऑटोमोटिव और ऑटो घटक, एयरोस्पेस और रक्षा, फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स, जैव-प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण शामिल हैं।
- सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी-सक्षम सेवाएँ (आईटी और आईटीईएस), चिकित्सा मूल्य यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य, लेखा और वित्त सेवाएँ, और दृश्य-श्रव्य सेवाएँ चैंपियन स्टार्टअप्स के तहत आने वाले कुछ सेवा क्षेत्र हैं।