इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 13 से 15 जून 2024 तक बोर्गो एग्नाज़िया, अपुलिया, इटली में आयोजित होने वाले ग्रुप ऑफ सेवन (जी 7) आउटरीच सत्र में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा है। वर्तमान में, जी 7 की अध्यक्षता इटली के पास है
पीएम मेलोनी ने पीएम मोदी को फोन कर व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में पीएम मेलोनी को धन्यवाद दिया और इटली को उसके मुक्ति दिवस के जश्न पर शुभकामनाएं दीं।
इटली में नाजी कब्जे से देश की मुक्ति और फासीवादी शासन के अंत का जश्न मनाने के लिए हर वर्ष 25 अप्रैल को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत में अभी आम चुनाव हो रहे हैं और चुनाव परिणाम 4 जून 2024 को घोषित किया जाना है। नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री जी7 आउटरीच सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
जी 7 के मेजबान देश को समूह की वार्षिक शिखर बैठक में भाग लेने के लिए महत्वपूर्ण गैर-सदस्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठन को आमंत्रित करने का अधिकार है।
वे बैठकें जिनमें जी 7 के सदस्य देश और आमंत्रित गैर सदस्य देश और संगठन भाग लेते हैं, उन्हें "आउटरीच सत्र" कहा जाता है। इन आउटरीच सत्रों में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
2003 में जी 7 आउटरीच सत्र में भाग लेने का निमंत्रण पाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। उस समय फ्रांस जी 7 का मेजबान देश था।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ऐसी पांच बैठकों में भाग ले चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019,2021,2022,2023 में (चार बार) जी 7 आउटरीच सत्र में भाग ले चुके हैं। अमेरिका द्वारा आयोजित होने वाला 2020 का जी 7 शिखर सम्मेलन कोविड के कारण रद्द कर दिया गया था।
जी 7 सात सर्वाधिक औद्योगिकीकरण वाले लोकतांत्रिक देशों का एक अनौपचारिक समूह है जिसका अपना कोई स्थायी सचिवालय नहीं है।
1973 में अरब देशों द्वारा कच्चे पेट्रोलियम तेलों की कीमत में अचानक से वृद्धि करने के कारण उत्पन्न संकट पर चर्चा करने के लिए फ्रांस की पहल पर जी 7 का गठन किया गया था। 1973 में उपजे इस अचानक कच्चे पेट्रोलियम तेलों की कीमत मे वृद्धि को पहला वैश्विक तेल झटका भी कहा जाता है।
जी 7 को वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने और ऐसे आर्थिक मुद्दों पर समन्वित प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए एक अनौपचारिक समूह बनाया गया था।
बाद में इसमें शांति और सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन सहित वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा शुरू हुई।
प्रारंभ में समूह छह सदस्यों- फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, जापान और इटली के साथ जी 6 के रूप में शुरू हुआ।
1976 में यह जी 7 बन गया जब कनाडा इसका सातवां सदस्य बना।
1997 में रूस के शामिल होने से यह जी 8 बन गया। हालाँकि, बाद में 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के बाद रूस को समूह से बाहर कर दिया गया था। रूस के निष्कासन के बाद, समूह का नाम फिर से जी 7 कर दिया गया।
यूरोपीय संघ ,1977 से लगातार जी 7 के बैठकों में भाग लेता आया है । यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
जी 7 के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों की पहली शिखर बैठक 1975 में फ्रांस के रैमबोइलेट में आयोजित की गई थी।
हर साल, जी 7 का एक सदस्य वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है।
मेजबान देश, जिसे जी 7 प्रेसीडेंसी के रूप में भी जाना जाता है, निम्नलिखित क्रम में सदस्य देशों (फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा) के बीच प्रतिवर्ष घूमता(रोटेट होता) रहता है।
इटली के पास वर्तमान में जी 7 की अध्यक्षता है और वह 13 से 15 जून, 2024 तक अपुलीया में 50वें जी 7 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।