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भारत के चावल निर्यात प्रतिबंध से अफ्रीका में अशांति फैलने का खतरा: अल्वारो लारियो

Utkarsh Classes Last Updated 13-01-2024
Africa faces social unrest due to rice export ban by India : Alvaro Lario Economy 5 min read

संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ,अल्वारो लारियो ,ने चेतावनी दी है कि चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत सरकार के फैसले से अफ्रीका में संभावित संघर्ष और अशांति का खतरा है।

भारत और अन्य निर्यातक देशों द्वारा निर्यात पर आंशिक  प्रतिबंधों की घोषणा के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमत 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। 

भारत दुनिया में चावल का अग्रणी निर्यातक है, थाईलैंड दूसरा और वियतनाम तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक हैं।

अंतर्राष्ट्रीय  कृषि विकास कोष (आईएफएडी) के प्रमुख, अल्वारो लारियो ने कहा: "निर्यात प्रतिबंध 2008 की यादें वापस ला रहा है, जब वैश्विक चावल संकट ने 100 मिलियन लोगों,मुख्य रूप से उप-सहारा अफ्रीका में , को संकट में  डाल दिया था।"

उस समय, दुनिया में चावल के दो प्रमुख निर्यातकों भारत और वियतनाम ने चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था।

अल्वारो लारियो ने कहा कि अतीत में भोजन की कमी ने देशों में अशांति में योगदान दिया है। गेहूं की कमी और परिणामी मूल्य वृद्धि के कारण अरब स्प्रिंग हुआ, जहां लोकप्रिय विरोध के कारण कई सरकारें गिर गईं।

अरब स्प्रिंग 2010,2011 में उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को संदर्भित करता है। इसकी शुरुआत ट्यूनीशिया में हुई, जहां सरकार को जनता के के प्रदर्शन के कारण इस्तीफा देना पड़ा और जल्द ही यह मिस्र, यमन, बहरीन और सीरिया तक फैल गया।

चावल विश्व का मुख्य भोजन है और विश्व में गेहूँ से भी अधिक महत्वपूर्ण है। आयातित चावल पर निर्भर कई अफ्रीकी देश पहले से ही चावल की ऊंची कीमतों के कारण आर्थिक और सामाजिक संकट से गुजर रहें हैं।

भारत सरकार का चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय

  • भारत सरकार ने आगामी त्योहारी सीजन के दौरान पर्याप्त मात्र में घरेलू आपूर्ति को सुनिश्चित करना तथा खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए जुलाई 2023 में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया।
  • पिछले साल सितंबर महीने में भारत ने टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • हालाँकि सरकार ने मित्र सरकारों के अनुरोध पर, मामले-दर-मामले के आधार पर चावल के निर्यात की अनुमति दी है।
  • सरकार ने उबले और बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दे राखी हैं और फिलहाल इनके निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

चावल बाजार में भारत की भूमिका

  • 2011-12 से भारत दुनिया में चावल का नंबर एक निर्यातक रहा है।
  • भारत ने 2021-22 में लगभग 22 मिलियन टन चावल का निर्यात किया, जिसका मूल्य 9.66 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • 2021-22 में 140 से अधिक  देशों को चावल निर्यात किया गया था।
  • 2021-22 में विश्व चावल निर्यात में भारत का योगदान 40% था।
  • चावल निर्यात में बड़ा हिस्सा गैर-बासमती चावल का है। 2021-22 में गैर-बासमती चावल का कुल निर्यात 6.12 बिलियनअमेरिकी डॉलर और बासमती चावल का 3.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • 2021-22 में, ईरान भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा खरीदार था, उसके बाद सऊदी अरब, इराक और संयुक्त अरब अमीरात थे।
  • 2021-22 में, बांग्लादेश गैर-बासमती चावल का सबसे बड़ा खरीदार था, उसके बाद बेनिन, चीन और नेपाल थे।

अंतर्राष्ट्रीय  कृषि विकास कोष (आईएफएडी) 

कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष (आईएफएडी) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जिसे 1977 में स्थापित किया गया था।

इसकी स्थापना विकासशील देशों में कृषि क्षेत्र, विशेषकर खाद्य उत्पादन क्षेत्र को वित्तपोषण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए की गई थी।

राष्ट्रपति: अल्वारो लारियो

मुख्यालय: रोम, इटली

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण फुल फॉर्म

आईएफ़एडी/IFAD:  इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट(International Fund for Agriculture Development)

FAQ

उत्तर: भारत, 2011-2012 से चावल का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है।

उत्तर : उबले चावल और बासमती चावल। भारत सरकार द्वारा गैर बासमती सफेद चावल और टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

उत्तर : रोम, इटली

उत्तर : अल्वारो लारियो

उत्तर: बांग्लादेश
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