9 अक्टूबर 2024 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के विकास को मंजूरी दे दी है।प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता स्थल , लोथल के पास ,विकसित होने वाले राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर को दो चरणों में विकसित किया जाएगा।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक की भारत की समुद्री विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा और लोगों में भारत की समुद्री विरासत के बारे में जागरूक किया जाएगा।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का विकास कौन कर रहा है?
लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर को गुजरात राज्य सरकार के सहयोग से सागरमाला परियोजना के तहत केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा विकसित किया जा रहा है।
इसे गुजरात के भावनगर जिले में लगभग 4500 करोड़ रुपये की लागत से लगभग 400 एकड़ भूमि पर बनाया जा रहा है। इस परियोजना पर काम मार्च 2022 में शुरू हो गया था।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के चरण
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर को दो चरणों- चरण I और II में विकसित किया जा रहा है।
चरण I को दो चरणों IA और IB में विभाजित किया गया है।
चरण IA
- राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर की 6 गैलरी बनाई जाएंगी।
- इसमें भारत की सबसे बड़ी नौसेना और तटरक्षक गैलरी शामिल होगी, जिसमें आईएनएस निशंक, सी हैरियर युद्ध विमान, यूएच3 हेलीकॉप्टर आदि जैसी नौसेना कलाकृतियां प्रदर्शित होंगी।
- दुनिया की सबसे बड़ी खुली जलीय गैलरी और जेटी वॉकवे से घिरे लोथल टाउनशिप का प्रतिकृति मॉडल भी बनेगा।
चरण I B
- राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर की 8 और गैलरी बनाई जाएंगी।
- दुनिया का सबसे ऊंचा लाइटहाउस संग्रहालय बनेगा,जिसे लाइटहाउस और लाइटशिप महानिदेशालय द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा।
- विरासत परिसर का भ्रमण करने वाले पर्यटक के जन - सुविधा के लिए एक बगीचा परिसर भी विकसित किया जाएगा।
चरण II
- संबंधित तटीय राज्य/केंद्र शासित प्रदेश, राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर में अपने स्वयं के मंडप विकसित करेंगे ताकि वे अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान के साथ ही मूर्त एवं अमूर्त विरासत को पेश कर सकें।
- 4 थीम आधारित पार्क -समुद्री और नौसेना थीम पार्क, स्मारक पार्क, जलवायु परिवर्तन थीम पार्क, साहसिक और मनोरंजन थीम पार्क बनाए जाएंगे।
- वास्तविक समय के लोथल शहर का पुनर्निर्माण किया जाएगा ताकि हड़प्पा वास्तुकला और जीवनशैली को फिर से जीवंत बना कर प्रदर्शित किया जा सके।
लोथल के बारे में
- लोथल सिंधु घाटी सभ्यता का एकमात्र ज्ञात बंदरगाह शहर है।
- 4500 साल पुराना पुरातात्विक स्थल भोगवा नदी के किनारे स्थित है, जो साबरमती नदी की सहायक नदी है।
- लोथल को दुनिया के सबसे पुराने जहाज निर्माण सुविधा के साथ बंदरगाह शहरों में से एक माना जाता है।
- गुजराती में लोथल का अर्थ है 'मुर्दों का टीला'।
इसकी खोज 1952 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पुरातत्वविद् एसआर राव ने की थी।