पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी और भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के कोच अंशुमन गायकवाड़ का 31 जुलाई 2024 को निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे और ब्लड कैंसर से पीड़ित थे। उनका इंग्लैंड के किंग्स कॉलेज लंदन में ब्लड कैंसर का इलाज चल रहा था और वह हाल ही में वडोदरा,गुजरात लौटे थे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने लंदन में इलाज के लिए अंशुमन गायकवाड़ को 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि भी दी थी।
अंशुमन गायकवाड़ ने 1974 में कोलकाता के ईडन गार्डन स्टेडियम में खेले गए टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत के लिए पदार्पण किया। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच 1984-85 में इंग्लैंड के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डन में खेला था।
कुल मिलाकर, उन्होंने 1975 से 1987 तक के करियर में भारत के लिए 40 टेस्ट और 15 एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (वनडे) खेले।
उन्होंने 1975 में पहले विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे में भारत के लिए पदार्पण किया।
उन्होंने टेस्ट में 1985 रन बनाए, जिसमें 1982-83 श्रृंखला में जालंधर में पाकिस्तान के खिलाफ 201 रन का उनका उच्चतम स्कोर था। 671 मिनट में बनाया गया दोहरा शतक टेस्ट क्रिकेट में उस समय का सबसे धीमा दोहरा शतक था।
वह अपनी धीमी और रक्षात्मक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे और उन्होंने वनडे में कुल 269 रन बनाए।
सेवानिवृत्ति के बाद, अंशुमन गायकवाड़ ने 1997 से 2000 के बीच दो कार्यकालों में भारतीय पुरुष क्रिकेट के कोच के रूप में कार्य किया।
जब अनिल कुंबले ने 7 फरवरी 1999 को नई दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में पाकिस्तान के खिलाफ एक टेस्ट पारी में 10 विकेट लिए थे,तब भारतीय टीम के कोच अंशुमन गायकवाड़ थे ।
अंशुमन गायकवाड़ ने राष्ट्रीय चयनकर्ता और बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया था । बीमार पड़ने से ठीक पहले, वह बीसीसीआई एपेक्स काउंसिल के सदस्य और आईसीए प्रतिनिधि थे।
2018 में, बीसीसीआई ने उन्हें सी.के. नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया।
यह पुरस्कार 1974 में बीसीसीआई द्वारा शुरू किया गया था और यह बीसीसीआई द्वारा किसी पूर्व भारतीय क्रिकेटर को दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है।
2023 में उनकी आत्मकथा 'गट्स एमिड ब्लडबाथ' रिलीज हुई थी ।