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डीआरडीओ ने ओडिशा के चांदीपुर में वीएल-एसआरएसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण किया

Utkarsh Classes Last Updated 27-03-2025
DRDO successfully tests VL-SRSAM missile at Chandipur, Odisha Defence 4 min read

भारत के प्रमुख रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 26 मार्च 2025 को स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित ऊर्ध्वाधर प्रक्षेपित कम दूरी की  सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। 

यह परीक्षण ओडिशा के तट के पास बंगाल की खाड़ी में स्थित चांदीपुर द्वीप के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से किया गया था।

इस प्मिसाइल को डीआरडीओ द्वारा भारतीय नौसेना के लिए विकसित किया जा रहा है और भारतीय नौसेना के कर्मी मिसाइल के परीक्षण में शामिल थे।

डीआरडीओ द्वारा विकसित किए जा रहे यह  मिसाइल, भविष्य में भारतीय नौसेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इजरायल की कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, बराक-1 की जगह लेगी।

निकट-सीमा-निम्न ऊंचाई क्षमता का सत्यापन

वीएल-एसआरएएम मिसाइल के नवीनतम परीक्षण ने मिसाइल प्रणाली की निकट-सीमा-निम्न ऊंचाई क्षमता का सफलतापूर्वक सत्यापन किया।

भूमि-आधारित ऊर्ध्वाधर लांचर से प्रक्षेपित की गई यह मिसाइल बहुत ही निकट सीमा और कम ऊंचाई पर एक तेज गति से चलने वाले मानव रहित हवाई लक्ष्य को सफलतापूर्वक रोकने में सक्षम रही ।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, मिसाइल ने शत्रुतापूर्ण निकट लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाकर उन्हें सटीक सटीकता के साथ नष्ट करने की अपनी क्षमता और चपलता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया।

स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर, मल्टी-फंक्शन रडार और हथियार नियंत्रण प्रणाली से लैस इस मिसाइल ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया।

मिसाइल का निर्माण कौन कर रहा है? 

स्वदेशी मिसाइल का निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनी भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल द्वारा किया जा रहा है। 

भारत डायनेमिक्स की स्थापना भारत सरकार द्वारा 1970 में रक्षा मंत्रालय के तहत की गई थी। 

इसका मुख्यालय हैदराबाद, तेलंगाना में है। 

यह कंपनी भारतीय सशस्त्र बलों के लिए स्वदेशी रूप से विकसित निर्देशित मिसाइल प्रणाली, पानी के नीचे के हथियार, हवाई उत्पाद और संबद्ध रक्षा उपकरण बनाती है।

वीएल-एसआरएएम मिसाइल की क्षमता

मिसाइल को नौसेना के जहाज से लंबवत रूप से प्रक्षेपित किया जा सकता है।

यह सतह से हवा में मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है जिसे किसी भी मौसम में प्रक्षेपित किया जा सकता है।

यह मिसाइल एक त्वरित प्रतिक्रिया मिसाइल है जो मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी), विमान और मिसाइलों जैसे सुपरसोनिक समुद्री-स्किमिंग लक्ष्यों को निशाना बना सकती है।

वीएल-एसआरएसएएम का वजन 170 किलोग्राम है, इसकी लंबाई 3,931 मिमी लंबा और व्यास 178 मिमी है।

मिसाइल की मारक क्षमता 50 किमी तक है।

इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर्स (ईसीसीएम) सुविधाओं से लैस मिसाइल में धुआं रहित प्रणोदन प्रणाली है।

मिसाइल को ठोस प्रणोदक के साथ एकल पल्स रॉकेट मोटर द्वारा संचालित किया जाता है।

मिसाइल एक उच्च विस्फोटक पूर्व-निर्मित विखंडन वारहेड ले जा सकती है, जिसे एक सक्रिय रडार निकटता फ्यूज द्वारा विस्फोटित किया जाता है।

डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) 

भारत सरकार द्वारा डीआरडीओ की स्थापना 1958 में किया और यह संस्था रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है ।

यह भारतीय सशस्त्र बलों के लिए हथियार प्रणालियों के निर्माण में अनुसंधान और विकास का कार्य करता है।

डीआरडीओ के अध्यक्ष: डॉ. समीर वी. कामथ

मुख्यालय: नई दिल्ली

फुल फॉर्म

  • वीएल-एसआरएसएएम / VL-SRSAM  -वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (Vertical Launch Short Range Surface to Air Missile)
  • डीआरडीओ /DRDO : डिफेन्स रिसर्च एंड  डिवेलप्मन्ट ऑर्गनिज़ैशन (Defence Research and Development Organisation) 

FAQ

उत्तर: यह ओडिशा के बालासोर जिले में है।

उत्तर: हैदराबाद, तेलंगाना

उत्तर: 50 किलोमीटर तक।
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