भारतीय समानांतर सिनेमा के दिग्गज श्याम बेनेगल का 23 दिसंबर 2024 को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे और गंभीर गुर्दा विकार से पीड़ित थे। अंकुर’ और ‘मंथन’ जैसी फिल्मों के जनक श्याम बेनेगल को सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक और गोविंद निहालिनी के साथ भारत में समानांतर सिनेमा आंदोलन के अग्रणी माने जाते है।
श्याम बेनेगल का जन्म 1934 में तिरुमालागिरी, जो अब तेलंगाना में है,में हुआ था। उनके पिता एक फ़ोटोग्राफ़र थे, जो लघु फ़िल्में भी बनाते थे।
बारह वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने पिता श्रीधर बेनेगल द्वारा दिए गए कैमरे पर अपनी पहली फ़िल्म बनाई।
उन्होंने एक विज्ञापन एजेंसी में कॉपीराइटर के रूप में अपना करियर शुरू किया और 1962 में गुजराती में अपनी पहली डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘घेर बैठा गंगा (गंगा दरवाज़े पर)’ बनाई।
बाद में उन्होंने फ़िल्म डिवीज़न ऑफ़ इंडिया के लिए वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री) बनाना शुरू किया और उनकी पहली फ़ीचर फ़िल्म अंकुर थी जो शबाना आज़मी की पहली फ़िल्म थी
अपने शानदार करियर के दौरान, उन्होंने फ़ीचर फ़िल्में, वृत्तचित्र, टेलीविज़न शो आदि बनाए।
फ़िल्में
बायोपिक फ़िल्में
टेलीविज़न शो
शिक्षण
कान्स फ़िल्म महोत्सव
गुजरात के आणंद में वर्गीस कुरियन के दुग्ध सहकारी आंदोलन पर आधारित उनकी फ़िल्म मंथन, जिसमें स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह और गिरीश कर्नाड ने अभिनय किया था, को पुनर्स्थापित किया गया और 2024 में कान्स फ़िल्म महोत्सव केई कान्स क्लासिक्स सेगमेंट में प्रदर्शित किया गया था।
समानांतर सिनेमा, बॉलीवुड जैसे मुख्यधारा के सिनेमा के विपरीत होता है, जो गीत और नृत्य से भरी एक काल्पनिक दुनिया को चित्रित करता है।
समानांतर सिनेमा समाज द्वारा सामना किए जाने वाले वास्तविक मुद्दों जैसे गरीबी, जातिगत भेदभाव, लैंगिक असमानता, वर्ग संघर्ष आदि को चित्रित करता है।
यह फिल्म समाज की समस्याओं के बारे में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के लिए बनाई गई है।
सत्यजीत रे औए उनकी फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ के साथ भारत में समानांतर सिनेमा का अग्रदूत माना जाता है। श्याम बेनेगल की अंकुर फिल्म को समानांतर सिनेमा में एक नया मील का पत्थर माना जाता है।
अन्य उल्लेखनीय समानांतर सिनेमा के हस्तियां मृणाल सेन, गोविंद निहलानी, ऋत्विक कुमार घटक हैं।