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डोनाल्ड ट्रम्प: अमेरिका डब्ल्यूएचओ और पेरिस जलवायु समझौते से बाहर

Utkarsh Classes Last Updated 22-01-2025
Donald Trump:  US to withdraw from WHO and Paris Climate Accord Person in News 7 min read

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने दूसरे राष्ट्रपति पद के कार्यकाल के पहले दिन,अपने चुनावी वादे को लागू करने के लिए कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। 20 जनवरी 2025 को हस्ताक्षरित कार्यकारी आदेश में कई विवादास्पद मुद्दे शामिल हैं और कई आदेश पिछले जो बिडेन प्रशासन के फैसलों को उलट देते है।

इस आदेश में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता 2015 से अमेरिका की निकासी शामिल है। इसके अलावा एक आदेश में अमरीवा में पैदा हुए विदेशी माता-पिता के बच्चों को स्वतः  नागरिकता के अधिकार को भी समाप्त करता है। 

आदेश में मैक्सिकन सीमा पर आपातकाल की स्थिति की घोषणा भी शामिल है ताकि मैक्सिकन सीमा पार करके अमरीका में शरण मांगने वाले अवैध प्रवासियों पर अंकुश लगाया जा सके। राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करने के 12 महीने बाद अंतरराष्ट्रीय समझौतों से अमेरिका की निकासी लागू होगी।

 डब्ल्यूएचओ से निकासी 

डोनाल्ड ट्रम्प ने 2020 में राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल में कोविड-19 महामारी से निपटने में डबल्यूएचओ की अक्षमता के कारण डब्ल्यूएचओ से अमेरिका सदस्यता समाप्त करने का आदेश दिया था।

 लेकिन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही वे अगला राष्ट्रपति चुनाव हर गए और जो बिडेन की सरकार ने इस आदेश को निरस्त कर दिया था। 

राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रम्प ने फिर से डब्ल्यूएचओ से अमेरिका सदस्यता समाप्त करने का आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं ।

अमेरिका सदस्यता समाप्त करने  का कारण

  • डबल्यूएचओ  द्वारा कोविड-19  महामारी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकटों को ठीक से न संभालना।
  • परोक्ष रूप से चीन के संदर्भ में, ट्रम्प प्रशासन ने डबल्यूएचओ पर सदस्य देशों के अनुचित राजनीतिक प्रभाव से स्वतंत्र रूप से कार्य करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
  • चीन जैसे देशों की तुलना में अमरीका द्वारा किया गया योगदान अनुचित रूप से बहुत अधिक है।

डबल्यूएचओ में योगदान

संयुक्त राज्य अमेरिका डबल्यूएचओ में सबसे बड़ा योगदानकर्ता देश/संस्था है।

  • डबल्यूएचओ  के सभी 194 सदस्य देशों को डबल्यूएचओ में योगदान देना अनिवार्य है। योगदान का आकार देश की अर्थव्यवस्था के आकार पर निर्भर करता है और सदस्य देश स्वेच्छा से अपने अनिवार्य योगदान से अधिक योगदान कर सकते हैं।
  • डबल्यूएचओ बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन आदि जैसे गैर-सरकारी संगठनों से भी दान स्वीकार करता है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका डबल्यूएचओ का सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जो डबल्यूएचओ के कुल वित्त पोषण का लगभग 18% योगदान देता है। 
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद, डबल्यूएचओ  का सबसे बड़ा योगदानकर्ता बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन है, हालांकि यह मुख्यतः डबल्यूएचओ के पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम को वित्तपोषित करता है। 
  • संयुक्त अनिवार्य और स्वैच्छिक योगदान के मामले में अगला सबसे बड़ा राज्य दाता जर्मनी है। 
  • भारत डबल्यूएचओ  का 18वां सबसे बड़ा योगदानकर्ता देश है। 

संयुक्त राज्य अमेरिका के कदम का प्रभाव

  • संयुक्त राज्य अमेरिका के इस कदम से डबल्यूएचओ वित्तीय रूप से कमजोर होगा।
  • इससे डबल्यूएचओ के दुनिया भर में तपेदिक, एचआईवी/एड्स और अन्य स्वास्थ्य आपात स्थितियों में इसके प्रमुख स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रभावित होंगे और इसका सबसे ज़्यादा प्रतिकूल प्रभाव विकासशील देशों पर पड़ेगा।

2015 पेरिस जलवायु समझौते से वापसी 

डोनाल्ड ट्रम्प ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से संयुक्त राज्य अमेरिका की वापसी के लिए एक आदेश पर भी हस्ताक्षर किए।

अमेरिका अब ईरान, यमन और लीबिया के साथ इस समझौते से बाहर रहने वाले देशों में शामिल हो जाएगा।

यह दूसरी बार है जब ट्रम्प ने पेरिस समझौते से वापसी की आदेश पारित किया है।

2017 में, डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राज्य अमेरिका को पेरिस समझौते से अलगा कर  लिया था, लेकिन जब जो बिडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो संयुक्त राज्य अमेरिका फरवरी 2021 में फिर से इसमें शामिल हो गया।

पेरिस समझौते के बारे में

पेरिस समझौता एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है जो जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सदस्य देशों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करने का प्रयास करता है।

यह पूर्व-औद्योगिकीकरण के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान में दो डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि को सीमित करने का भी प्रयास करता है।

चीन दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है, उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत का स्थान है।

समझौते से वापसी का कारण

  • डोनाल्ड ट्रम्प देश में सस्ती बिजली का उत्पादन करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए देश में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में तेल और गैस के बड़े भंडार हैं और ट्रम्प प्रशासन का लक्ष्य तेल और गैस का निर्यात करना है।

विदेशी सहायता पर रोक

  • राष्ट्रपति ट्रम्प ने अगले 90 दिनों के लिए विदेशी सरकारों और संगठनों को दी जाने वाली सभी अमरीका सरकार द्वारा दिये जाने वाले सहायता पर रोक लगाने का भी आदेश दिया है ।
  • उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस बात की समीक्षा करेगी कि यह सहायता अमेरिकी राष्ट्रीय हितों की पूर्ति करती है या नहीं?
  • उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी विदेशी सहायता ने "विदेशी देशों में ऐसे विचारों को बढ़ावा देकर विश्व शांति को अस्थिर करने का काम किया है जो देशों के बीच आंतरिक और आंतरिक सामंजस्यपूर्ण और स्थिर संबंधों के बिल्कुल विपरीत हैं।"

यह भी पढ़ें: डॉ. एस जयशंकर ने डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व किया

 

FAQ

उत्तर: विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: पेरिस जलवायु समझौता 2015

उत्तर: 20 जनवरी 2025 से शुरू होकर 90 दिन।
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