धर्मेंद्र प्रधान ने युवाओं को सशक्त बनाने हेतु CRIIIO 4 गुड मॉड्यूल लॉन्च किया
Utkarsh ClassesLast Updated
07-02-2025
Government Scheme
7 min read
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लड़कियों और लड़कों के बीच लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए एक नया ऑनलाइन, जीवन कौशल सीखने का मॉड्यूल 'सीआरआईआईआईओ 4 गुड' लॉन्च किया।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार,सीआरआईआईआईओ 4 गुड मॉड्यूल बालिकाओं को सशक्त बनाने और लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता फैलाने का माध्यम बनेंगे।
आईसीसी और यूनिसेफ और बीसीसीआई के सहयोग से आरंभ:
यह कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद, यूनिसेफ और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सहयोग से अहमदाबाद के नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में आरंभ किया गया था।
कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति:
इस कार्यक्रम में गुजरात सरकार के जनजातीय विकास, प्राथमिक, माध्यमिक और वयस्क शिक्षा मंत्री, डॉ. कुबेर डिंडोर; यूनिसेफ की प्रतिनिधि सुश्री सिंथिया मैककैफ़्रे; भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के मानद सचिव जय शाह; भारतीय क्रिकेटर और आईसीसी-यूनिसेफ 'सीआरआईआईआईओ 4 गुड पहल की सेलिब्रिटी समर्थक स्मृति मंधाना;
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने मौलिक सिद्धांत के रूप में लैंगिक समानता और समान अवसरों पर एनईपी 2020 के जोर को रेखांकित किया।
'सीआरआईआईआईओ 4 गुड' के माध्यम से, खेल की शक्ति और क्रिकेट की लोकप्रियता का उपयोग बालिकाओं को सशक्त बनाने और लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता फैलाने के माध्यम के रूप में किया जा सकता है।
देश नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने और भारत को महिला-केंद्रित विकास में सबसे आगे ले जाने के साथ इतिहास का साक्षी बना।
स्मृति मंधाना ने स्टेडियम में 1000 से अधिक स्कूली बच्चों के साथ 'सीआरआईआईआईओ 4 गुड' का पहला शिक्षण मॉड्यूल साझा किया।
सीआरआईआईआईओ 4 गुड:
यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, लड़कियों को जीवन कौशल से अवगत कराने और खेलों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए 8 क्रिकेट-आधारित एनीमेशन फिल्मों की एक श्रृंखला है।
क्रिकेट को लेकर युवा दर्शकों की लोकप्रियता और उनके जुनून का उपयोग करते हुए, आईसीसी और यूनिसेफ ने बच्चों और युवाओं को महत्वपूर्ण जीवन कौशल अपनाने और लैंगिक समानता के महत्व की सराहना करने के लिए प्रेरित करने के लिए ये मॉड्यूल जारी किए।
आठ मॉड्यूल के विषय हैं:
नेतृत्व, समस्या-समाधान, आत्मविश्वास, निर्णय लेना, बातचीत, सहानुभूति, टीम वर्क और लक्ष्य निर्धारण तथा क्रिकेट उदाहरणों का उपयोग करके अत्याधुनिक एनीमेशन के माध्यम से इनकी कल्पना की जाती है।
स्थानीय बारीकियों पर गहन शोध ने इन फिल्मों को वास्तविक और प्रासंगिक बना दिया है।
लैंगिक अंतर को कम करने हेतु सरकारी पहल:
आर्थिक भागीदारी और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहल:
सुकन्या समृद्धि योजना: इस योजना के तहत लड़कियों के बैंक खाते खुलवाकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है।
महिला शक्ति केंद्र: इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को कौशल विकास और रोज़गार के अवसर प्रदान करके सशक्त बनाना है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: यह पहल बालिकाओं की सुरक्षा, अस्तित्व और शिक्षा सुनिश्चित करती है।
राष्ट्रीय महिला कोष: यह एक शीर्ष सूक्ष्म-वित्त संगठन है जो गरीब महिलाओं को विभिन्न आजीविका और आय सृजन गतिविधियों के लिये रियायती शर्तों पर सूक्ष्म ऋण प्रदान करता है।
महिला उद्यमिता: महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया और महिला ई-हाट (महिला उद्यमियों/स्वयं सहायता समूह/एनजीओ का समर्थन करने हेतु ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म), उद्यमिता एवं कौशल विकास कार्यक्रम आरंभ किये हैं।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय: इन्हें शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉक में खोला गया है।
राजनीतिक रूप से सशक्तीकरण के लिए पहल:
राजनीतिक आरक्षण: सरकार ने महिलाओं के लिये पंचायती राज संस्थाओं में 33% सीटें आरक्षित की हैं।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम: सरकार ने महिलाओं के लिये लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें आरक्षित की हैं।
निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों का क्षमता निर्माण: यह महिलाओं को शासन प्रक्रियाओं में प्रभावी ढंग से भाग लेने के लिये सशक्त बनाने की दृष्टि से आयोजित किया जाता है।
विश्व भर में महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता की स्थिति:
जनवरी 2023 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में विश्व भर में महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है।
इसमें यू.एन. वीमेन और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किये गए व्यापक विश्लेषण में महिला सशक्तीकरण सूचकांक और वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक के आधार पर 114 देशों का मूल्यांकन किया गया है।
वैश्विक स्तर पर केवल 1% महिलाएँ उच्च महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता वाले देशों में रहती हैं।
नेतृत्व भूमिका और निर्णय-प्रक्रिया मुख्य रूप से पुरुष-प्रधान बनी हुई है जिससे महिलाओं के लिये अवसर सीमित हो गए हैं।
महिलाएँ औसतन अपनी पूरी क्षमता का केवल 60% ही प्राप्त कर पाती हैं।
मानव विकास के प्रमुख आयामों में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में 28% पीछे हैं।
विश्लेषण किये गए 114 देशों में से किसी ने भी पूर्ण महिला सशक्तीकरण या लैंगिक समानता प्राप्त नहीं की।
विश्व स्तर पर 90% से अधिक महिलाएँ उन देशों में रहती हैं जो लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण प्राप्त करने में खराब या औसत दर्जे का प्रदर्शन करती हैं।
अत्यधिक विकसित देशों में भी लैंगिक समानता की चुनौतियाँ बरकरार हैं। अर्थात् केवल आर्थिक प्रगति ही लैंगिक समानता सुनिश्चित नहीं करती।
FAQ
Answer - धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री)
Answer - अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद, यूनिसेफ और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड
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