केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तीसरे लॉन्च पैड के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जो इसरो के भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान और इसके अगली पीढ़ी के रॉकेटों को प्रक्षेपित करने में सक्षम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित एक बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह मंजूरी दी।
लॉन्च पैड का निर्माण भारत के मौजूदा स्पेस पोर्ट- सतीश धवन स्पेस सेंटर,श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में किया जाएगा। सतीश धवन स्पेस सेंटर में पहले से ही दो कार्यात्मक लॉन्च पैड हैं जहाँ से अंतरिक्ष में रॉकेटप्रक्षेपित किए जाते हैं।
भारत सरकार ने इस लॉन्च पैड के लिए 3984.86 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है। इस परियोजना के 48 महीने या 4 साल में पूरा होने की उम्मीद है।
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत 21 नवंबर 1963 को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्च स्टेशन (टीईआरएलएस), तिरुवनंतपुरम,केरल से ध्वनि रॉकेट के प्रक्षेपण के साथ हुई थी।
1969 में इसरो के गठन और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विस्तार के साथ भारी रॉकेट प्रक्षेपित करने के लिए एक नए लॉन्च पैड के निर्माण की आवश्यकता महसूस की गई और इसके लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा द्वीप में की गई थी।
इस अंतरिक्ष केंद्र का पहला रॉकेट-ध्वनि रॉकेट आरएच-125,1971 में प्रक्षेपित किया गया था।
वर्तमान में केंद्र के पास दो कार्यात्मक लॉन्च पैड हैं, जहाँ से अंतरिक्ष में रॉकेट प्रक्षेपित किए जाते हैं।
पहला लॉन्च पैड
दूसरा लॉन्च पैड
भारत सरकार ने अमृत काल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
इसमें 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और चालू करना और 2040 तक चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन भेजना शामिल है।
इसरो को नई पीढ़ी के भारी रॉकेटों की आवश्यकता है, जिसमें नई पीढ़ी की प्रणोदन प्रणाली हो।
इसरो के अन्य दो मौजूदा लॉन्च पैड इन नई श्रेणी के रॉकेटों को प्रक्षेपित करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तीसरे लॉन्च पैड का निर्माण किया जा रहा है।