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कैबिनेट ने इसरो के नई पीढ़ी के रॉकेटों के लिए तीसरे लॉन्चपैड को मंजूरी दी

Utkarsh Classes Last Updated 17-01-2025
Cabinet Approves 3rd Launchpad for ISRO’s New Generation Rockets Space 4 min read

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तीसरे लॉन्च पैड के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जो इसरो के भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान और इसके अगली पीढ़ी के रॉकेटों को प्रक्षेपित करने में सक्षम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित एक बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह मंजूरी दी।

तीसरा लॉन्च पैड कहाँ बनाया जाएगा?

लॉन्च पैड का निर्माण भारत के मौजूदा स्पेस पोर्ट- सतीश धवन स्पेस सेंटर,श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में  किया जाएगा। सतीश धवन स्पेस सेंटर में पहले से ही दो कार्यात्मक लॉन्च पैड हैं जहाँ से अंतरिक्ष में रॉकेटप्रक्षेपित किए जाते हैं।

तीसरे लॉन्च पैड का बजट

भारत सरकार ने इस लॉन्च पैड के लिए 3984.86 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है। इस परियोजना के 48 महीने या 4 साल में पूरा होने की उम्मीद है।

इसरो का लॉन्च पैड

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत 21 नवंबर 1963 को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्च स्टेशन (टीईआरएलएस), तिरुवनंतपुरम,केरल से ध्वनि रॉकेट के प्रक्षेपण के साथ हुई थी।

1969 में इसरो के गठन और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विस्तार के साथ भारी रॉकेट प्रक्षेपित  करने के लिए एक नए लॉन्च पैड के निर्माण की आवश्यकता महसूस की गई और इसके लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा द्वीप में की गई थी।

इस अंतरिक्ष केंद्र का पहला रॉकेट-ध्वनि रॉकेट आरएच-125,1971 में प्रक्षेपित किया गया था।

वर्तमान में केंद्र के पास दो कार्यात्मक लॉन्च पैड हैं, जहाँ से अंतरिक्ष में रॉकेट प्रक्षेपित किए जाते हैं।

पहला लॉन्च पैड

  • पहला लॉन्च पैड 1990 के दशक की शुरुआत में बनाया गया था और पहला प्रक्षेपण, 20 सितंबर 1993 को हुआ था। 
  • यह लॉन्च पैड ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) और लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) को प्रक्षेपित करने में सक्षम है।

दूसरा लॉन्च पैड

  • दूसरा लॉन्च पैड 2005 में चालू हुआ।
  • दूसरे लॉन्च पैड का इस्तेमाल भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) और एलवीएम3 (भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान एमके III) को प्रक्षेपित करने के लिए किया जाता है। 
  • ये दोनों रॉकेट क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल करते हैं।
  • दूसरे लॉन्च पैड का इस्तेमाल पीएसएलवी रॉकेट के लिए स्टैंड बाई के तौर पर भी किया जाता है।
  • चंद्रयान-3 मिशन को भी दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया गया था।

तीसरे लॉन्च पैड की आवश्यकता

भारत सरकार ने अमृत काल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।

इसमें 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और चालू करना  और 2040 तक चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन भेजना शामिल है। 

इसरो को नई पीढ़ी के भारी रॉकेटों की आवश्यकता है, जिसमें नई पीढ़ी की प्रणोदन प्रणाली हो। 

इसरो के अन्य दो मौजूदा लॉन्च पैड इन नई श्रेणी के रॉकेटों को प्रक्षेपित करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तीसरे लॉन्च पैड का निर्माण किया जा रहा है।

 

FAQ

उत्तर: श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र।

उत्तर: 3984.86 करोड़ रुपये।

उत्तर: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र,श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में। इसरो यहाँ से रॉकेट प्रक्षेपित करता है।

उत्तर: विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, थुम्बा, तिरुवनंतपुरम, केरल। यहाँ से 21 नवंबर 1963 को एक ध्वनि रॉकेट का सफल प्रक्षेपण किया गया था।
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