हर साल 3 मई को दुनिया भर में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2024 विश्व प्रेस दिवस 31वां विश्व प्रेस दिवस है। यह दिवस एक स्वस्थ और कार्यशील लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस के महत्व को रेखांकित करता है।
सूचना के अधिकार के लिए प्रेस की स्वतंत्रता भी आवश्यक है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने मौलिक अधिकार घोषित किया है। प्रेस एक सामान्य शब्द है जिसमें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों शामिल हैं।
प्रेस को चौथा स्तंभ भी कहा जाता है। "एस्टेट" या स्तंभ शब्द का इस्तेमाल सर्वप्रथम मध्यकालीन यूरोप में किया गया। इसका तात्पर्य सत्ता के केंद्रों से था। पहला स्तंभ राजा को संदर्भित करता था जबकि पादरी (चर्च) दूसरा स्तंभ और तीसरा स्तंभ आम आदमी को संदर्भित करता था। चौथे स्तंभ के रूप में प्रेस का उल्लेख होता था जो जनता की राय को प्रतिबिंबित और आकार देता है।
आधुनिक समय में, चार स्तंभ या शक्ति केंद्र विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और प्रेस हैं।
1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मई को प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया था । यह संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सिफारिश पर किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र और यूनेस्को ने 29 अप्रैल से 3 मई 1991 तक नामीबिया की राजधानी विंडहोक में एक स्वतंत्र और बहुलवादी प्रेस को बढ़ावा देने पर एक सेमिनार का आयोजन किया था ।
इस दिन के महत्व को चिह्नित करने के लिए, यूनेस्को ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को 3 मई को विश्व प्रेस दिवस के रूप में मनाने की सिफारिश की थी।
पहला विश्व प्रेस दिवस 1994 में मनाया गया था।
हर साल यूनेस्को विश्व प्रेस दिवस के विषय की घोषणा करता है।
31वें विश्व प्रेस दिवस का विषय है ग्रह के लिए एक प्रेस: पर्यावरण संकट के सामने पत्रकारिता।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यह विषय वर्तमान वैश्विक पर्यावरण संकट के संदर्भ में पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करता है।
भारतीय संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार के रूप में उल्लेखित नहीं किया गया है। हालाँकि, संविधान का अनुच्छेद 19 1(क) भारत के सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
1984 में इंडियन एक्सप्रेस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यद्यपि प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लेख संविधान में नहीं है, फिर भी प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है।
कोर्ट ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19 1(क ) में निहित है।