भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षा में ले जाने वाले लॉन्च व्हीकल एलवीएम3 एम4 प्रक्षेपण यान का 'क्रायोजेनिक' ऊपरी भाग 15 नवबंर 2023 को पृथ्वी के वायुमंडल में अनियंत्रित होकर पुनः प्रवेश कर गया।
- 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को लॉन्च किया गया था। इस रॉकेट की वापसी चंद्रयान-3 के लॉन्च के 124 दिनों के बाद हुई है।
रॉकेट के गिरने का स्थान
- इसरो के अनुसार, संभावित प्रभाव बिंदु का अनुमान उत्तरी प्रशांत महासागर के ऊपर लगाया गया है।
- यह अंतरराष्ट्रीय समयानुसार दोपहर दो बजकर 42 मिनट के आसपास पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर गया।
- चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के बाद संयुक्त राष्ट्र और इंटर-एजेंसी स्पेस डेब्रिस कोऑर्डिनेशन कमेटी (आईएडीसी) द्वारा निर्धारित अंतरिक्ष मलबा शमन दिशानिर्देशों के अनुसार, अचानक होने वाले विस्फोटों के जोखिम को कम करने के लिए सभी अवशिष्ट प्रणोदक और ऊर्जा स्रोतों को हटाने के लिए ऊपरी चरण को 'निष्क्रिय' किया गया था।
- इसरो के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत दिशानिर्देशों के अनुपालन में इस रॉकेट बॉडी को निष्क्रिय करना और मिशन के बाद उसका निपटान करना, यह बाहरी अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
- इस प्रकार, आईएडीसी द्वारा अनुशंसित- एलवीएम3 एम4 क्रायोजेनिक ऊपरी चरण का मिशन के बाद का कक्षीय जीवनकाल पृथ्वी की कक्षा की वस्तुओं के लिए "25-वर्षीय नियम" के पूरी तरह से अनुपालन सम्मत है।
इंटर-एजेंसी स्पेस डेब्रिस कोऑर्डिनेशन कमेटी (आईएडीसी):
- आईएडीसी एक अंतर्राष्ट्रीय आधिकारिक मंच है जिसकी स्थापना वर्ष 1993 में की गई थी ताकि अंतरिक्ष मलबे के निपटान से संबंधित मुद्दे को प्रबंधित करने के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण करने वाले देशों के बीच प्रयासों को समन्वित किया जा सके।
अंतरिक्ष कचरा/मलबा:
- अंतरिक्ष कचरा से अभिप्राय पृथ्वी की कक्षा में मानव निर्मित वस्तुओं से है जो अंतरिक्ष में अब किसी भी उपयोगी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है।
- अंतरिक्ष कचरे में, प्रयोग किये गए रॉकेट, निष्क्रिय उपग्रह, अंतरिक्ष निकायों के टुकड़े और एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (एएसएटी) से उत्पन्न मलबा शामिल होता है।
अंतरिक्ष कचरे के संभावित खतरे:
- अंतरिक्ष में तैरता हुआ कचरा परिचालन उपग्रहों हेतु संभावित खतरा है। क्योंकि इन मलबों से टकराने से उपग्रह नष्ट हो सकते हैं।
- विशिष्ट कक्षीय क्षेत्रों में अंतरिक्ष मलबे का संचय भविष्य के मिशनों हेतु वांछित कक्षीय स्लॉट की उपलब्धता को सीमित कर सकता है।
- अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे की मात्रा, उपग्रह संचालकों एवं अंतरिक्ष एजेंसियों हेतु अंतरिक्ष में वस्तुओं की कक्षाओं को सटीक रूप से ट्रैक करने तथा भविष्यवाणी करने के संदर्भ में और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देगी।
अंतरिक्ष कचरे पर अंकुश लगाने हेतु भारतीय पहल:
- इसरो ने वर्ष 2022 में अंतरिक्ष में टकराव के संभावित खतरों वाली वस्तुओं की निगरानी करने, अंतरिक्ष मलबे के विकास की संभावनाओं का आकलन करने और अंतरिक्ष कचरे से उत्पन्न जोखिम को कम करने हेतु सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशन मैनेजमेंट की स्थापना की।
- 'नेत्रा परियोजना' यह भारतीय उपग्रहों को कचरे और अन्य संभावित खतरों का पता लगाने हेतु अंतरिक्ष में स्थापित एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली है।
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