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तमिलनाडु ने केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए कुरियन जोसेफ समिति गठित की

Utkarsh Classes Last Updated 16-04-2025
TN sets up Kurian Joseph committee to review center state relation Committee and Commission 6 min read

तमिलनाडु सरकार ने केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की है। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने 15 अप्रैल 2025 को राज्य विधानसभा में इस निर्णय की घोषणा की। 

तमिलनाडु में एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार के केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं। इसने हमेशा मेडिकल प्रवेश के लिए केंद्र की राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) और नई शिक्षा नीति 2020  का विरोध किया है। डीएमके  सरकार का मानना ​​है कि केंद्र ,इन नीतियों के माध्यम से राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण कर रहा है।

1969 में, एम के स्टालिन के पिता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पीवी राजमन्नार की अध्यक्षता में एक समान समिति का गठन किया था। 

सत्तारूढ़ डीएमके  पार्टी का भारतीय संविधान के तहत अधिक राज्य स्वायत्तता का समर्थन करने का इतिहास रहा है और उसने हमेशा  एक मजबूत केंद्र का विरोध किया है।

समिति के सदस्य और कार्य 

तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ करेंगे। 

इसमें पूर्व आईएएस अधिकारी अशोक वर्धन शेट्टी और राज्य योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एम नागनाथन भी शामिल हैं।

राज्य सरकार के अनुसार, समिति निम्नलिखित मुद्दों पर सिफारिशें करेगी;

  • संवैधानिक प्रावधानों की जांच करना और केंद्र सरकार द्वारा राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित किए गए विषयों को बहाल करने के लिए उचित उपायों की सिफारिश करना;
  • बदले हुए सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक विकास के संदर्भ में केंद्र-राज्य संबंधों पर राजमन्नार समिति, सरकारिया आयोग और पुंछी आयोगों की सिफारिशों पर विचार करना;
  • राज्यों को अधिकतम स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सुधार का सुझाव देना।

समिति द्वारा जनवरी 2026 तक अपनी अंतरिम रिपोर्ट तथा दो वर्षों के भीतर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद है।

केंद्र-राज्य संबंध

भारतीय संविधान ने एक मजबूत केंद्र के साथ संघीय ढांचे का प्रावधान किया है। केंद्र और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों का उल्लेख भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में किया गया है।

सातवीं अनुसूची शक्तियों को तीन सूचियों में विभाजित करती है - संघ, राज्य और समवर्ती।

  • संघ या सूची I में 98 विषय हैं जिन पर केवल संसद को कानून बनाने का अधिकार है।
  • राज्य या सूची II में 59 विषय हैं जिन पर राज्य विधानमंडल को कानून बनाने का अधिकार है।
  • समवर्ती या सूची III में 52 विषय हैं जिन पर केंद्र और राज्य कानून बना सकते हैं, लेकिन केंद्र और राज्य कानूनों के बीच टकराव की स्थिति में, केंद्रीय कानून, राज्य कानून पर हावी होगा।
  • अवशिष्ट शक्ति - अनुच्छेद 248 केंद्र सरकार को अवशिष्ट शक्ति देता है। इसका मतलब है कि संसद के पास सातवीं सूची में उल्लिखित किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है, जैसे सेवा कर।

केंद्र-राज्य संबंधों पर समिति और आयोग

संविधान में एक मजबूत केंद्र का प्रावधान है, जो केंद्र और राज्य के बीच संघर्ष का स्रोत बन गया है।

जब कांग्रेस की सरकार केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर सत्ता में थी, तो यह विवाद पार्टी के भीतर ही सुलझ लिया जाता था।

1967 के बाद, जब राज्यों में विपक्षी दल सत्ता में आए, तो केंद्र और राज्य के बीच वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों को लेकर विवाद सार्वजनिक और राजनीतिक हो गया।

केंद्र-राज्य संबंधों की जांच के लिए विभिन्न समितियों और आयोगों की स्थापना की गई है।

वे इस प्रकार हैं:

एम.सी. सीतलवाड़ समिति (1966)

  • इसकी स्थापना 1966 में एम.सी. सीतलवाड़ के नेतृत्व में प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा की गई थी।

राजमन्नार समिति (1969)

  • इसकी स्थापना 1969 में तमिलनाडु की एम. करुणानिधि सरकार द्वारा की गई थी। इसकी अध्यक्षता मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी.वी. राजमन्नार ने की थी।

सरकारिया आयोग (1983)

  • इंदिरा गांधी सरकार ने 1983 में केंद्र-राज्य संबंधों पर एक आयोग की स्थापना की थी।
  • इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति राजिंदर सिंह सरकारिया ने की थी।

एम.एम. पुंची आयोग (2007)

  • इसकी स्थापना 2007 में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा की गई थी। इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति मदन मोहन पुंची ने की थी।

राष्ट्रीय संविधान समीक्षा आयोग (2000)

  • इसकी स्थापना 22 फरवरी 2000 को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा की गई थी।
  • इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति एम.एन. वेंकटचलैया ने की थी।
  • इसने केन्द्र-राज्य संबंधों पर भी सिफारिशें दीं।

FAQ

उत्तर: उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ। इस समिति में पूर्व आईएएस अधिकारी अशोक वर्धन शेट्टी और राज्य योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एम नागनाथन भी शामिल हैं।

उत्तर: एमसी सीतलवाड़ समिति। इसे 1966 में प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा स्थापित किया गया था।

उत्तर: मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पीवी राजमन्नार।

उत्तर: सातवीं अनुसूची
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