भारत सरकार ने राज्यसभा को सूचित किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालयों में क्षेत्रीय भाषा के उपयोग की अनुमति देने के केंद्र सरकार के अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। यह जानकारी केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन मेघवाल ने राज्यसभा में दी।
अर्जुन मेघवाल ने कहा कि उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय, गुजरात उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय न्यायालय, कलकत्ता उच्च न्यायालय और कर्नाटक उच्च न्यायालय की कार्यवाही में तमिल, गुजराती, हिंदी, बंगाली और कन्नड़ के क्रमशः उपयोग की अनुमति देने के लिए तमिलनाडु, गुजरात, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक सरकार से प्रस्ताव प्राप्त हुए थे ।
इन प्रस्तावों पर केंद्र सरकार द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह मांगी गई थी । सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को यह सूचित किया कि सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने उचित विचार-विमर्श के बाद प्रस्तावों को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 348(1) में प्रावधान है कि उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में होगी जब तक कि संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे ।
अनुच्छेद 348(2) में उपबंध है कि किसी राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से उच्च न्यायालय की कार्यवाहियों में, जिसका मुख्य स्थान उस राज्य में है, हिन्दी भाषा का या उस राज्य के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाली किसी अन्य भाषा का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।
केन्द्रीय कैबिनेट समिति के 21 मई 1965 के निर्णय में यह प्रावधान किया गया कि उच्च न्यायालय में अंग्रेजी के अलावा किसी अन्य भाषा के प्रयोग से संबंधित किसी भी प्रस्ताव पर भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश की सहमति प्राप्त की जाएगी।
राजस्थान उच्च न्यायालय की कार्यवाही में हिंदी के प्रयोग को 1950 में संविधान के अनुच्छेद 348 के खंड (2) के तहत अधिकृत किया गया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से उत्तर प्रदेश (1969), मध्य प्रदेश (1971) और बिहार (1972) के उच्च न्यायालयों में हिंदी के उपयोग को अधिकृत किया गया था।
अदालतों में क्षेत्रीय भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के तत्वावधान में बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा एक 'भारतीय भाषा समिति' का गठन किया गया है।
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे 'भारतीय भाषा समिति' के अध्यक्ष हैं।
भारतीय भाषा समिति का काम कानूनी सामग्री को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने के उद्देश्य से सभी भारतीय भाषाओं के समान एक सामान्य कोर शब्दावली विकसित करना है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश: डी.वाई.चंद्रचूड़