भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 17 अगस्त 2023 को जनता के लिए एक ही स्थान पर कई बैंकों में अपनी लावारिस जमा राशि(Unclaimed Deposits) की खोज करने के लिए एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल उदगम (अनक्लेम्ड डिपॉजिट- गेटवे टू एक्सेस इंफॉर्मेशन) लॉन्च किया है ।
यह पोर्टल आरबीआई द्वारा जनता के उपयोग के लिए विकसित किया गया है ताकि उन्हें एक ही स्थान पर कई बैंकों में अपनी लावारिस जमा राशि की खोज करना और आसान हो सके।
उदगम वेब पोर्टल को रिज़र्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड(आरईबीआईटी) , भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी(आईएफ़टीएएस) और संबद्ध सेवाएँ और भाग लेने वाले बैंकों द्वारा विकसित किया गया है।
वर्तमान में उपयोगकर्ता पोर्टल पर उपलब्ध सात बैंकों के संबंध में अपनी लावारिस जमा राशि का विवरण प्राप्त कर सकेंगे।इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, धनलक्ष्मी बैंक लिमिटेड, साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड, डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड और सिटीबैंक शामिल हैं।
आरबीआई के मुताबिक पोर्टल पर बाकी बैंकों के लिए सर्च सुविधा चरणबद्ध तरीके से 15 अक्टूबर 2023 तक उपलब्ध कराई जाएगी।
इससे पहले जुलाई 2023 में आरबीआई ने 100 दिनों के भीतर प्रत्येक जिले में प्रत्येक बैंक की शीर्ष 100 लावारिस जमाओं का पता लगाने और उनका निपटान करने के लिए '100 दिन, 100 भुगतान' अभियान शुरू किया था।
उदगम पोर्टल का लॉन्च बैंकिंग प्रणाली में लावारिस जमा की मात्रा को कम करने और ऐसी जमा राशि को उनके सही मालिकों/दावेदारों को वापस करने के आरबीआई के प्रयास का एक हिस्सा है।
यदि ग्राहक द्वारा अपने बैंक खाते में पिछले 10 वर्षों से कोई लेनदेन (निकासी या जमा) नहीं किया गया है तो बैंक खाते को लावारिस जमा घोषित कर दिया जाता है। इसमें सभी प्रकार के बैंक खाते जैसे चालू खाता, बचत खाता, सावधि जमा, आवर्ती जमा, नकद क्रेडिट खाते आदि शामिल हैं।
वे बैंक खाते जिनमें पिछले दो वर्षों से ग्राहक द्वारा कोई लेनदेन (जमा या निकासी) नहीं किया गया है, निष्क्रिय खाते कहलाते हैं।
बैंकों को लावारिस जमा के रूप में घोषित खातों में पड़े पैसे को आरबीआई द्वारा प्रबंधित जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष (डीईएएफ़) में स्थानांतरण करना होता है।
बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 के तहत, आरबीआई ने 2014 में जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष की स्थापना की है।
इस कोष का उपयोग आरबीआई द्वारा जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने और ऐसे अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाएगा जो रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक हो सकते हैं।
कोष का प्रबंधन आरबीआई द्वारा नियुक्त सात सदस्यों की एक समिति द्वारा किया जाता है। आरबीआई का एक डिप्टी गवर्नर कोष का अध्यक्ष होता है।
आरबीआई का कहना है कि अगर ग्राहक या उसका कानूनी उत्तराधिकारी खाते पर दोबारा दावा करता है तो बैंक को जहां भी लागू हो, ब्याज के साथ राशि वापस लौटानी होगी। आरबीआई बैंक को राशि लौटा देगा और बैंक ग्राहक को राशि वापस कर देगा।
आरबीआई के अनुसार प्रत्येक बैंक को कुछ पहचान योग्य विवरणों के साथ अपनी वेबसाइट पर दावा न किए गए खातों का विवरण दिखाना आवश्यक है। वेबसाइट पर विवरण की जांच करने के बाद, ग्राहक दावा प्रपत्र और जमा की रसीदों के साथ बैंक शाखा में जा सकते हैं और पैसे का दावा करने के लिए अपने ग्राहकों को जानें (केवाईसी) दस्तावेजों दिखाना होगा ।
आरबीआई के अनुसार बैंकों में लावारिस जमा में वृद्धि के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
ग्राहक द्वारा उन बचत/चालू खातों को बंद न करना, जिन्हें वे अब संचालित करने का इरादा नहीं रखते हैं
जमाकर्ता परिपक्व सावधि जमा के लिए बैंकों के पास मोचन दावे प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं।
मृत जमाकर्ताओं के नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी बैंक पर दावा करने के लिए आगे नहीं आते हैं।
आरबीआई के गवर्नर: शक्तिकांत दास
आरबीआई के चार डिप्टी गवर्नर हैं। वर्तमान में वे हैं:
एम.के.जैन.
स्वामीनाथन.जे
टी.रबी शंकर
एम.डी.पात्रा
यूडीजीएएम (उदगम)/UDGAM: अनक्लेम्ड डिपॉजिट- गेटवे टू एक्सेस इंफॉर्मेशन ((Unclaimed Deposits – Gateway to Access inforMation)
डीईएएफ़/DEAF: डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड(Depositor Education and Awareness Fund )
आईएफ़टीएएस/ IFTAS : इंडियन फाइनैन्शल टेक्नालजी एंड ऐलाइड सर्विसेस (Indian Financial Technology & Allied Services )
आरईबीआईटी / ReBIT : रिजर्व बैंक इन्फॉर्मेशन टेक्नालजी प्राइवेट लिमिटेड (Reserve Bank Information Technology Pvt Ltd )