रेल मंत्रालय के तहत इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (आईआरसीओएन) और राइट्स लिमिटेड (राइट्स), दोनों ऐसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम (सीपीएसई) हैं, जिन्हें केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) में क्रमशः 15वें और 16वें नवरत्न के रूप में घोषित किया गया है।
- रेल मंत्रालय के इन उद्यमों को नवरत्न का दर्जा केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने 12 अक्टूबर 2023 को दिया है।
राइट्स लिमिटेड (राइट्स):
- अपने निगमन के 50वें वर्ष में प्रवेश करते हुए, राइट्स लिमिटेड भारत में एक अग्रणी परिवहन अवसंरचना परामर्श और इंजीनियरिंग फर्म है।
- यह परिवहन, रेलवे, रोलिंग स्टॉक के निर्यात, राजमार्ग, हवाई अड्डे, महानगर, शहरी इंजीनियरिंग व निरंतरता, बंदरगाह व जलमार्ग और ऊर्जा प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करता है।
- नवरत्न का दर्जा मिलने से राइट्स को अपने ब्रांड को आगे बढ़ाने, वैश्विक बाजार में अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने और विकास के लिए नए मोर्चे पर अधिक दमखम से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (आईआरसीओएन):
- 47वें वर्षों में इरकॉन की मुख्य क्षमता रेलवे, राजमार्ग और एक्स्ट्रा हाई टेंशन सबस्टेशन इंजीनियरिंग और निर्माण में है।
- कंपनी ने रेलवे निर्माण के क्षेत्रों में संचालित परियोजनाओं को क्रियान्वित किया है, जिसमें गिट्टी रहित ट्रैक, विद्युतीकरण, सुरंग निर्माण, सिग्नल और दूरसंचार के साथ-साथ लोकोमोटिव को पट्टे पर देना, सड़कों, राजमार्गों, वाणिज्यिक, औद्योगिक और आवासीय भवनों व परिसरों, हवाई अड्डे के रनवे, हैंगर, मेट्रो और मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम आदि का निर्माण शामिल है।
- इरकॉन का भारत के कई राज्यों और अन्य देशों में व्यापक संचालन है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 10,750 करोड़ रुपये का समेकित वार्षिक कारोबार और 765 करोड़ रुपये का कर पश्चात लाभ दर्ज किया है।
- नवरत्न का दर्जा प्राप्त होने से लाभ:
- "नवरत्न" का दर्जा दिए जाने से, कंपनियों को बाजार की विश्वसनीयता बढ़ाने और बड़े आकार की पीपीपी परियोजनाएं आरंभ करने में लाभ होगा।
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई):
- केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) ऐसी कंपनियाँ हैं जिनमें केंद्र सरकार या अन्य सीपीएसई की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी 51% या उससे अधिक होती है।
- सीपीएसई को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है यथा- महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न। वर्तमान में देश में 10 महारत्न, 14 नवरत्न और 74 मिनीरत्न सीपीएसई हैं।
- सीपीएसई के लिए महारत्न योजना मई, 2010 में आरंभ की गई थी, ताकि बड़े सीपीएसई को अपने संचालन का विस्तार करने और वैश्विक उद्यम के रूप में उभरने के लिए सशक्त बनाया जा सके।
- नवरत्न योजना वर्ष 1997 में आरंभ की गई थी ताकि उन सीपीएसई की पहचान की जा सके जो अपने संबंधित क्षेत्रों में तुलनात्मक लाभ प्राप्त करते हैं और वैश्विक उद्यम बनने के उनके अभियान में उनका समर्थन करते हैं।
- मिनीरत्न योजना की शुरूआत वर्ष 1997 में सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक कुशल एवं प्रतिस्पर्द्धी बनाने और लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अधिक स्वायत्तता तथा शक्तियों का प्रत्यायोजन प्रदान करने के नीतिगत उद्देश्य के अनुसरण में की गई थी।
किसी कंपनी को महारत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिए क्या मानदंड है?
- उसे नवरत्न का दर्जा प्राप्त होना चाहिए।
- कंपनी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियामकों के अंतर्गत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक हिस्सेदारी के साथ भारतीय शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होनी चाहिए।
- विगत तीन वर्षों की अवधि में औसत वार्षिक व्यवसाय 25,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिए।
- पिछले तीन वर्षों में औसत वार्षिक निवल मूल्य 15,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिए।
- पिछले तीन वर्षों का औसत वार्षिक शुद्ध लाभ 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए।
- कंपनियों की व्यापार के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में महत्वपूर्ण उपस्थिति होनी चाहिये।
- देश के मुख्य महारत्न कंपनी: एनटीपीसी, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, इत्यादि हैं।
किसी कंपनी को नवरत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिए क्या मानदंड है?
- मिनीरत्न श्रेणी - I और अनुसूची 'A' के तहत आने वाली सीपीएसई, जिन्होंने पिछले पाँच वर्षों में से तीन में समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत 'उत्कृष्ट' या 'बहुत अच्छी' रेटिंग प्राप्त की है और छह प्रदर्शन मापदंडों में 60 या उससे अधिक का समग्र स्कोर प्राप्त किया हो।
- ये छह मापदंड हैं:
- शुद्ध पूंजी और शुद्ध लाभ
- उत्पादन की कुल लागत के सापेक्ष मैनपॉवर पर आने वाली कुल लागत
- मूल्यह्रास के पहले कंपनी का लाभ, वर्किंग कैपिटल पर लगा टैक्स और ब्याज
- ब्याज भुगतान से पहले लाभ और कुल बिक्री पर लगा कर
- प्रति शेयर कमाई
- अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन
- भारत में मुख्य नवरत्न कंपनियों में राइट्स लिमिटेड, इरकॉन, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, इत्यादि आते हैं।
किसी कंपनी को मिनीरत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिए क्या मानदंड है?
- मिनीरत्न श्रेणी- 1: मिनीरत्न कंपनी श्रेणी 1 का दर्जा प्राप्त करने के लिये आवश्यक है कि कंपनी ने पिछले तीन वर्षों से लगातार लाभ प्राप्त किया हो तथा तीन साल में एक बार कम से कम 30 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया हो।
- मिनीरत्न श्रेणी- 2: सीपीएसई द्वारा पिछले तीन साल से लगातार लाभ अर्जित किया गया हो और उसकी निवल संपत्ति सकारात्मक हो, वे मिनीरत्न- II का दर्जा प्राप्त करने के लिए पात्र हैं।
- मिनीरत्न सीपीएसई को सरकार के किसी भी ऋण पर ऋण / ब्याज भुगतान के पुनर्भुगतान में चूक नहीं करनी चाहिए।
- मिनीरत्न सीपीएसई कंपनियाँ बजटीय सहायता या सरकारी गारंटी पर निर्भर नहीं होने चाहिए।