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मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन

Utkarsh Classes Last Updated 14-02-2025
President Rule Imposed in Manipur after CM Biren Singh's resignation State news 7 min read

केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के तहत 13 फरवरी 2025 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के चार दिन बाद,राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है।

मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की रिपोर्ट के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने निर्णय लिया  की राज्य में संवैधानिक तंत्र टूट गया है और राज्य में संविधान के अनुसार सरकार नहीं चलाया जा सकता है। राष्ट्रपति मुर्मू के सहमति के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 फरवरी 2025 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के संबंध में एक अधिसूचना जारी की।

राष्ट्रपति ने अपने आदेश में मणिपुर राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया है। 12वीं मणिपुर विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 2027 में समाप्त हो रहा है।

यह 11वीं बार है जब मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।  भारत के राज्यों में सबसे अधिक, 11 बार राष्ट्रपति शासन मणिपुर में लगाया गया है।

मई 2023 से मणिपुर बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और अल्पसंख्यक कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा से हिल गया है, जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों विस्थापित हुए हैं।

एन बीरेन सिंह का इस्तीफा 

राज्य में भाजपा सरकार का नेतृत्व करने वाले चार बार के मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने 9 फरवरी 2025 को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद इस्तीफा दे दिया।

60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में बीजेपी के 37 सदस्य हैं। एन.बीरेन सिंह सरकार को नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के 6 सदस्यों और कुकी पीपुल्स अलायंस के 2 सदस्यों का समर्थन प्राप्त था।

नवंबर 2024 में, दोनों पार्टियों ने राज्य में जारी जातीय हिंसा के विरोध में एन बीरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।

राष्ट्रपति शासन एवं अनुच्छेद 356 के संबंध में प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि किसी राज्य का शासन इस संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है , तो राष्ट्रपति, राज्य सरकार को बर्खास्त कर सकते हैं और राज्य विधान सभा को भंग या निलंबित कर सकते हैं।

राष्ट्रपति यह कार्रवाई राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर या अन्यथा कर सकते हैं।

इसे लोकप्रिय रूप से राष्ट्रपति शासन या राज्यपाल का शासन कहा जाता है क्योंकि राज्य सरकार की सभी कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति द्वारा ग्रहण की जाती हैं, और राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति द्वारा सौंपें गए इन शक्तियों का इस्तेमाल करता है।

राष्ट्रपति शासन का प्रभाव

  • राज्य की समस्त कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति को हस्तांतरित कर दी जाती हैं।
  • राज्य विधान सभा के  भंग या निलंबित होने के स्थिति में, राज्य का विधायी कार्य संसद द्वारा किया जाता है। इसका मतलब है कि राष्ट्रपति शासन के दौरान संसद राज्य का बजट आदि पारित करेगी।
  • उच्च न्यायालय की शक्ति नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

राष्ट्रपति शासन की अवधि 

राष्ट्रपति शासन 6 महीने की अवधि के लिए वैध होता है और यदि इसे संसद द्वारा साधारण बहुमत से मंजूरी दे दी जाती है तो इसे 6-6  महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है।

किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगातार अधिकतम 3 वर्ष की अवधि के लिए लगाया जा सकता है।

हालाँकि, एक वर्ष के बाद, राष्ट्रपति शासन को संसद द्वारा केवल इनमें से किसी एक  स्थिति में बढ़ाया जा सकता है:

  • यदि भारत का चुनाव आयोग प्रमाणित करता है कि वह राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं कराया जा सकता है 
  • या 
  • उस समय, अनुच्छेद 352 के प्रावधानों के तहत राष्ट्रपति द्वारा पूरे भारत या भारत के कुछ हिस्सों में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया है।

भारत में राष्ट्रपति शासन का इतिहास

अनुच्छेद 356, भारतीय संविधान के सबसे अधिक दुरुपयोग किये जाने वाले अनुच्छेदों में से एक है। राज्य में विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य सरकारों को बर्खास्त करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा इसका उदारतापूर्वक दुरुपयोग गया है। हालाँकि 1994 में एस.आर.बोम्मई मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस अनुच्छेद का दुरुपयोग लगभग बंद हो गया है। 

26 जनवरी 1956 को संविधान लागू होने के बाद से अब तक देश में 135 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है।

पहली बार- 20 जून 1951 को पंजाब में।

अधिकतम बार - मणिपुर (11बार ), उत्तर प्रदेश (10), जम्मू-कश्मीर और पंजाब (प्रत्येक 9 बार)।

सबसे लंबी समयावधि - जम्मू और कश्मीर 4668 दिन (12 वर्ष 9 महीने), पंजाब 3878 दिन (10 वर्ष 7 महीने), पुडुचेरी -2739 दिन। 

एक प्रधानमंत्री द्वारा अनुच्छेद 356 का अधिकतम उपयोग 

इंदिरा गांधी - अपने लगभग 16 वर्षों के शासनकाल में 51 बार

पंडित जवाहर लाल नेहरू - 7 बार 

चन्द्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेई, चौधरी चरण सिंह - 5-5 बार 

कभी भी किसी प्रधानमंत्री द्वारा इसका उपयोग कभी नहीं किया गया -

 इंद्र कुमार गुजराल एकमात्र ऐसे प्रधान मंत्री हैं जिनके कार्यकाल के दौरान अनुच्छेद 356 का उपयोग नहीं किया गया था।

FAQ

उत्तर: मणिपुर

उत्तर: मणिपुर 11 बार, उसके बाद उत्तर प्रदेश 10 बार।इसे अब तक 135 बार लगाया जा चुका है।

उत्तर: इंदिरा गांधी, 51 बार।

उत्तर : इंद्र कुमार गुजराल।

उत्तर: जम्मू और कश्मीर, 4668 दिनो तक।
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