राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 21 नवंबर, 2023 को बादामपहाड़ रेलवे स्टेशन, ओडिशा से तीन नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इन ट्रेनों में बादामपहाड़-टाटानगर एमईएमयू; बादामपहाड़-राउरकेला वीकली एक्सप्रेस; और बादामपहाड़-शालीमार वीकली एक्सप्रेस शामिल हैं।
नए रायरंगपुर डाक डिवीजन का उद्घाटन:
- राष्ट्रपति मुर्मू ने आभासी रूप से नए रायरंगपुर डाक डिवीजन का भी उद्घाटन किया; रायरंगपुर डाक डिवीजन का स्मारक विशेष कवर भी जारी किया; और इस अवसर पर बादामपहाड़ रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला भी रखी।
- राष्ट्रपति ने कहा कि सेल फोन और कूरियर सेवाओं के बढ़ते चलन के बावजूद, भारतीय डाक की प्रासंगिकता आज भी मौजूद है। रायरंगपुर में नए डाक डिवीजन का उद्घाटन इस क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा है। इस क्षेत्र के लोगों को अब डाक सेवाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा।
- 21 नवंबर को आरंभ की गई तीन ट्रेनें स्थानीय लोगों को झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों की यात्रा करने में मदद करेंगी।
- इन ट्रेनों के आरंभ होने से ओडिशा के औद्योगिक शहर राउरकेला के आवागमन में भी लोगों को आसानी होगी।
जनजातीय समुदायों के विकास हेतु कई कदम:
- केंद्र सरकार जनजातीय समुदायों के विकास के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। जिसमें वित्तीय वर्ष 2013-14 के बजट की तुलना में इसके लिए मौजूदा बजट में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। जनजातीय लोगों के विकास के बिना समावेशी विकास अधूरा है, इसीलिए सरकार जनजातीय समुदायों के विकास को प्राथमिकता दे रही है।
- राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के विकास के लिए इस वर्ष जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर पीएम जनमन (पीएम-जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान) योजना आरंभ की है।
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी):
- जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने "कमजोर जनजातीय समूहों के विकास" की योजना लागू की है, जिसमें उनके व्यापक सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए, 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) को शामिल किया गया है।
- इसके तहत, राज्य सरकारें उनकी आवश्यकता के आधार पर संरक्षण-सह-विकास योजनाएं प्रस्तुत करती हैं।
- योजना के प्रावधानों के अनुसार राज्यों को 100% सहायता अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।
- भारत में कुल जनसंख्या का लगभग 8.6% जनजातीय जनसंख्या निवास करती है।
- जनजातीय समूहों में पीवीटीजी अधिक संवेदनशील हैं जिसके कारण पीवीटीजी को अपने विकास के लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है। लेकिन फिर भी अधिक विकसित और मुखर आदिवासी समूह आदिवासी विकास निधि का एक बड़ा हिस्सा ले जाते हैं।
- 1973 में ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूह (पीटीजी) को एक अलग श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया था, जो अन्य जनजातीय समूहों में कम विकसित हैं।
- 2006 में, भारत सरकार ने पीटीजी का नाम बदलकर पीवीटीजी कर दिया।
- इस संदर्भ में, 1975 में, भारत सरकार ने सबसे कमजोर जनजातीय समूहों को, पीवीटीजी नामक एक अलग श्रेणी के रूप में वर्गीकृत करने की पहल की और इसमें 52 ऐसे समूहों को शामिल किया। आगे चलकर 1993 में इस श्रेणी में अतिरिक्त 23 समूह जोड़े गए, जिससे वर्तमान में इनकी संख्या 75 हो गई।