भारत सरकार की प्रमुख वित्तीय समावेशन योजना प्रधान मंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) ने अपने सफल कार्यान्वयन के 9 साल पूरे कर लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रत्येक बैंक रहित वयस्क को सार्वभौमिक बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए पीएमजेडीवाई की घोषणा की थी। हालाँकि यह योजना आधिकारिक तौर पर 28 अगस्त 2014 को शुरू की गई थी। प्रधान मंत्री जन धन योजना का नारा है "मेरा खाता, भाग्य विधाता"।
पीएमजेडीवाई की पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री जनधन योजना को पहले स्वाभिमान योजना कहा जाता था। स्वाभिमान योजना 2009 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा गठित लीड बैंक योजना पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश पर 2010 में शुरू की गई थी। लीड बैंक पर उच्च स्तरीय समिति की अध्यक्ष आरबीआई की तत्कालीन डिप्टी गवर्नर उषा थोराट थीं।
स्वाभिमान योजना सरकार द्वारा शुरू किए गए वित्तीय समावेशन के राष्ट्रीय मिशन का हिस्सा थी। वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन के तहत परिवार के कम से कम एक सदस्य, जिसके पास बैंक खाते नहीं हैं, को संगठित वित्तीय प्रणाली (जैसे बैंक) में शामिल किया जाएगा।
वित्तीय समावेशन का लक्ष्य निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करना है;
- बेसिक सेविंग्स डिपॉजिट अकाउंट (बीएसबीडीए) नामक एक विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया बचत खाता,
- खाता खोलने के लिए एक सरलीकृत केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) अपनाई गयी।
- खाताधारक को धन प्रेषण सुविधाएं (फंड ट्रांसफर),
- बीमा सुविधा,
- पेंशन सुविधा
योजना के तहत, बिना खाते वाले व्यक्तियों द्वारा किसी भी बैंक शाखा या बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट (बैंक मित्र) आउटलेट में एक बुनियादी बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाता खोला जा सकता है।
स्वाभिमान योजना का लक्ष्य मार्च 2012 तक 2000 की आबादी वाले प्रत्येक गांव में बैंकिंग आउटलेट के माध्यम से बुनियादी बैंकिंग सेवा प्रदान करना था।
हालाँकि स्वाभिमान योजना में अपर्याप्तताओं के कारण इस योजना को नया रूप दिया गया और इसका नाम बदलकर पीएमजेडीवाई कर दिया गया।
पीएमजेडीवाई की मुख्य विशेषताएं
- स्वाभिमान योजना के विपरीत, जिसका उद्देश्य परिवार के एक सदस्य का बैंक खाता खोलना था, अब ध्यान हर उस वयस्क का बैंक खाता खोलने पर है जिसके पास बैंक खाता नहीं है।
- पीएमजेडीवाई के तहत, खाताधारकों को बीएसबीडीए (बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट) की पेशकश की जाती है। बीएसबीडीए खाते को पहले नो-फ्रिल खातों के रूप में जाना जाता था।
- आरबीआई के मुताबिक एक व्यक्ति एक बैंक में केवल एक ही बीएसबीडीए खाता खोल सकता है।
- पीएमजेडीवाई खातों में कोई न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।
- बचत खाता होने के कारण बैंक जमा पर ब्याज देता है।
- पीएमजेडीवाई खाताधारक को एक रुपे डेबिट कार्ड प्रदान किया जाता है।
- पीएमजेडीवाई के तहत रुपे डेबिट कार्ड खाताधारक को एक लाख रुपये का आकस्मिक मृत्यु बीमा कवर प्रदान करता है। 28 अगस्त 2018 के बाद खोले गए खातों पर दुर्घटना मृत्यु बीमा लाभ बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया है।
- पात्र खाताधारकों को 10,000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा उपलब्ध हैं। (यह एक अपवाद है क्योंकि ओवरड्राफ्ट सुविधा चालू खातों की एक विशेषता है। बीएसबीडीए खाता एक बचत खाता है।)
- पीएमजेडीवाई खाते प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के लिए पात्र हैं।
- बीमा सुविधाएं दो योजनाओं के माध्यम से दी जाती हैं; प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई),
- अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के माध्यम से पेंशन योजनाएं पेश की जाती हैं
- ऋण सुविधा के लिए माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी बैंक (मुद्रा) योजना के तहत ऋण प्रदान किया जाता है।
पीएमजेडीवाई योजना की उपलब्धियां
- 100% वित्तीय समावेशन हासिल करने वाला भारत का पहला जिला केरल का एरानाकुलम जिला था।
- 2007 में 100% वित्तीय समावेशन हासिल करने वाला पहला राज्य केरल था।
- भारत सरकार के अनुसार 16 8 2023 तक पीएमजेडीवाई की उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:
- 50.09 करोड़ लोगों ने जनधन खाते खोले हैं,
- इन खातों में लगभग 55.5% खाते महिलाओं के हैं और 67% खाते ग्रामीण/अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं,
- इन खातों में संचयी जमाराशि रुपये 2,03,505 करोड़,
- अब तक 33.98 करोड़ रुपे कार्ड जारी किए गए हैं।