1947 में विभाजन के दौरान लाखों भारतीयों के कष्टों और बलिदानों को याद करने के लिए भारत सरकार हर साल 14 अगस्त को ' विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस' के रूप में मनाती है। 1947 में इसी दिन भारत का विभाजन पाकिस्तान और भारत में हुआ था।
भारत के विभाजन के कारण बड़े पैमाने पर आबादी का सीमा पार प्रवास हुआ और बड़े पैमाने पर दंगे हुए जिसके कारण सीमा के दोनों ओर हिंदू, सिख और मुसलमानों की हत्याएं हुईं। विभाजन से 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए और लगभग 200,000 से 10 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई।
इस दिन की पृष्ठभूमि
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में, 14 अगस्त को “विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस ” मनाने की घोषणा की थी ताकि लाखों भारतीयों के कष्टों और बलिदानों को राष्ट्र को याद करे और सामाजिक विभाजन, असामंजस्य के जहर को दूर करने और एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तिकरण की भावना को मजबूत करे ।
पाकिस्तान की मांग और भारत का विभाजन
मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग विभिन्न मुस्लिम नेताओं द्वारा समय -समय पर उठाई गई थी। सर मुहम्मद इकबाल ने 1930 में इलाहाबाद में एक मुस्लिम लीग सम्मेलन के दौरान , भारत के भीतर एक मुस्लिम राष्ट्र की मांग की थी।
"पाकिस्तान" शब्द 1930 के दशक में चौधरी रहमत अली द्वारा गढ़ा गया था जब वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ रहे थे।
मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग ने 23 मार्च 1940 को लाहौर में मुस्लिम लीग की एक बैठक में एक प्रस्ताव पारित करके मुसलमानों के लिए एक अलग देश बनाने का आह्वान किया। इस प्रस्ताव को लाहौर घोषणा के नाम से जाना जाता है।
पहली विभाजन योजना की रूपरेखा अप्रैल 1947 में बनाई गई थी। जवाहरलाल नेहरू विभाजन के विचार के ही खिलाफ थे।संशोधित योजना लंदन भेजी गई और ब्रिटिश कैबिनेट की मंजूरी के साथ वापस आ गई।
4 जून 1947 को, भारत के विभाजन की योजना की घोषणा वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने की और ऑल इंडिया रेडियो पर नेहरू और जिन्ना के भाषणों में इसका समर्थन किया गया।
भारत का विभाजन 14 अगस्त 1947 को हुआ।
भारत में विभाजन संग्रहालय
विभाजन पर दुनिया का पहला संग्रहालय और स्मारक पंजाब के अमृतसर में स्थापित किया गया है।
इसे 17 अगस्त 2017 को जनता के लिए खोला गया था
इसे पंजाब सरकार के पंजाब विरासत और पर्यटन संवर्धन बोर्ड के सहयोग से कला और सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट द्वारा स्थापित किया गया है।
17 अगस्त 1947 को ब्रिटिश न्यायविद् सिरिल रैडक्लिफ की अध्यक्षता वाले सीमा आयोग ने पंजाब और बंगाल के मानचित्र को भारत और पाकिस्तान में विभाजित करने की घोषणा की थी ।