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संसद ने पारित किया भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2023

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Parliament passed the IIM (Amendment) Bill 2023 Bill and Act 6 min read

संसद ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी है। विधेयक को राज्यसभा में 8 अगस्त को पारित किया गया। लोकसभा इसे 4 अगस्त 2023 पारित कर चुकी है।

विधेयक में भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम 2017 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। 

  • अधिनियम भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करता है और उनकी कार्यप्रणाली को नियंत्रित करता है। आईआईएम प्रबंधन और संबद्ध क्षेत्रों में स्नातकोत्तर शिक्षा प्रदान करते हैं।

  • नए अधिनियम के अंतर्गत आईआईएम निदेशक की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा की जाएगी। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को संस्थान के निदेशक की नियुक्ति से पहले कुलाध्यक्ष की मंजूरी लेनी होगी। 

  • विधेयक भारत के राष्ट्रपति को अधिनियम के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक संस्थान के आगंतुक के रूप में नामित करता है।

आईआईएम निदेशकों की नियुक्ति और निष्कासन:

  • अधिनियम के तहत, एक आईआईएम के निदेशक की नियुक्ति एक खोज-सह-चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर, गवर्नर्स बोर्ड द्वारा की जाएगी।

  • विधेयक बोर्ड को संस्थान निदेशक नियुक्त करने से पूर्व विजिटर की पूर्व मंजूरी लेने का आदेश देता है।

  • निदेशक के चयन की प्रक्रिया केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी। अधिनियम के तहत, खोज समिति में बोर्ड के अध्यक्ष और प्रतिष्ठित प्रशासकों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों में से तीन सदस्य शामिल होते हैं। इस विधेयक में इन तीन सदस्यों को कमकर दो कर दिया है, और विज़िटर द्वारा नामित एक और सदस्य जोड़ दिया है।

  • अधिनियम के तहत, बोर्ड निम्न आधारों पर निदेशक को पद से हटा सकता है: 

    • दिवालियापन,

    • मानसिक और शारीरिक अक्षमता,

    • हितों का टकराव। 

  • विधेयक के अनुसार, निदेशक को हटाने से पूर्व बोर्ड को विजिटर की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होगी। विधेयक विज़िटर को निदेशक की सेवाओं को समाप्त करने का अधिकार भी देता है।

बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष की नियुक्ति:

  • अधिनियम के तहत, प्रत्येक संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष की नियुक्ति बोर्ड द्वारा की जाती है। विधेयक इसमें संशोधन करता है और प्रावधान करता है कि बोर्ड के अध्यक्ष को विजिटर द्वारा नामित किया जाएगा।

आईआईएम के विरुद्ध जांच:

  • अधिनियम बोर्ड को किसी संस्थान के विरुद्ध जांच आरंभ करने का अधिकार देता है यदि वह अधिनियम के अनुसार कार्य नहीं कर रहा है। उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश ऐसी जांच करते हैं।

  • अपने निष्कर्षों के आधार पर, बोर्ड कोई भी कार्रवाई जो वह उचित समझे कर सकता है। 

बोर्ड का विघटन:

  • विधेयक में प्रावधान है कि केंद्र सरकार किसी संस्थान के बोर्ड को भंग करने या निलंबित करने के लिए शर्तें और प्रक्रिया निर्धारित कर सकती है। यदि किसी बोर्ड को निलंबित या भंग कर दिया जाता है, तो केंद्र सरकार छह महीने हेतु या नए बोर्ड के गठन तक एक अंतरिम बोर्ड का गठन करेगी।

समन्वय मंच: 

  • अधिनियम सभी संस्थानों के लिए एक समन्वय मंच का प्रावधान करता है। फोरम के अध्यक्ष का चयन फोरम द्वारा गठित एक खोज-सह-चयन समिति द्वारा किया जाता है।

  • विधेयक में यह प्रावधान करते हुए संशोधन किया गया है कि अध्यक्ष को विजिटर द्वारा नामित किया जाएगा। 

  • अधिनियम के तहत, फोरम में दो वर्षों के लिए रोटेशन के आधार पर चार संस्थानों के अध्यक्ष भी शामिल होते हैं। इन चार अध्यक्षों को फोरम के अध्यक्ष द्वारा नामित किया जाता है। विधेयक में यह संशोधन किया गया है कि सभी संस्थानों के अध्यक्ष फोरम के पदेन सदस्य होंगे।

संस्थानों का निगमन:

  • अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि जब कोई मौजूदा संस्थान इस अधिनियम के तहत आईआईएम में परिवर्तित हो जाता है, तो ऐसे संस्थान के प्रत्येक कर्मचारी को पहले की तरह ही कार्यकाल, वेतन, पेंशन बरकरार रहेगी। विधेयक ऐसे संस्थानों के निदेशक को इस प्रावधान से बाहर रखता है।

  • विधेयक राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान (एनआईटीआईई), मुंबई को आईआईएम, मुंबई के रूप में वर्गीकृत करता है।
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