संसद ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 पारित किया, यह विधेयक केंद्र सरकार को दिल्ली के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है।
7 अगस्त 2023 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 को राज्यसभा से मंजूरी मिलते ही यह विधेयक पारित हो गया।
राज्यसभा में 131 सांसदों ने बिल के पक्ष में वोट किया, जबकि 102 सांसदों ने बिल के विपक्ष में वोट किया। जबकि लोकसभा द्वारा इस विधेयक को 3 अगस्त 2023 को ही पारित कर दिया गया था।
इस विधेयक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 में संशोधन का प्रावधान है। यह केंद्र सरकार को अधिकारियों के कार्यों, नियमों और सेवा की अन्य शर्तों सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के मामलों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है।
केंद्र सरकार इस संबंध में इसी वर्ष मई 2023 में ही अध्यादेश लाई थी। जिसपर दोनों पक्षों के मध्य काफी विवाद हुआ था।
राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण:
इसमें राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन का भी प्रावधान किया गया है।
इस प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे।
प्राधिकरण अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्तियों तथा अनुशासनात्मक कार्रवाईयों के मामलों के संबंध में दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) को सिफारिशें देगा।
विधेयक एलजी को राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण द्वारा अनुशंसित मामलों और दिल्ली विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने सहित कई मामलों पर अपने विवेक का प्रयोग करने का अधिकार देता है।
यह विभाग के सचिवों को किसी भी मामले को एलजी, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के संज्ञान में लाने के लिए अधिकृत करता है जो दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार के साथ विवाद में ला सकता है।
विधेयक में उपराज्यपाल (एलजी) की शक्तियां:
अधिनियम के तहत, ऐसे मामले जहां एलजी अपने विवेक से कार्य कर सकते हैं:-
दिल्ली विधान सभा की विधायी क्षमता से बाहर के मामले, लेकिन जिन्हें एलजी को सौंपा गया है, या
ऐसे मामले जहां वह कानून के अनुसार उसे अपने विवेक से कार्य करना या कोई न्यायिक या अर्ध-न्यायिक कार्य करना आवश्यक है।
विधेयक निर्दिष्ट करता है कि इन मामलों में, एलजी अपने विवेक से कार्य करेंगे। यह एलजी की विवेकाधीन भूमिका का विस्तार करता है और उन्हें प्राधिकरण की सिफारिशों को मंजूरी देने या उन्हें पुनर्विचार के लिए वापस करने की शक्ति देता है।
उपराज्यपाल और प्राधिकरण के बीच मतभेद की स्थिति में एलजी का निर्णय अंतिम होगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991
69वाँ संशोधन अधिनियम, 1991 के द्वारा भारतीय संविधान में अनुच्छेद 239AA और 239AB जोड़े गये थे।
इस संशोधन के अंतर्गत केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली या ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली’ के लिए विशेष उपबंध किए गए थे।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के प्रशासक को उपराज्यपाल नाम दिया गया तथा यहाँ विधायिका के गठन का प्रावधान किया गया।
विधायिका को लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर सभी मामलों में कानून बनाने की शक्ति प्रदान की गई थी।