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नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रुटे को नाटो का नया महासचिव नियुक्त किया गया

Utkarsh Classes Last Updated 27-06-2024
Netherlands P.M Mark Rutte Appointed New Secretary General of NATO Appointment 5 min read

संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी सैन्य गठबंधन उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने नीदरलैंड के प्रधान मंत्री मार्क रुटे को अगले महासचिव के रूप में नियुक्त किया है। नाटो के 32 सदस्यों ने 26 जून को ब्रुसेल्स, बेल्जियम में अपने मुख्यालय में आयोजित एक बैठक में मार्क रुटे की उम्मीदवारी को मंजूरी दे दी। मार्क रूट नॉर्वे के वर्तमान महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग का स्थान लेंगे।

नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री जेन्स स्टोलटेनबर्ग को 1 अक्टूबर 2014 को नाटो महासचिव नियुक्त किया गया था।.

पिछले 10 वर्षों से नाटो के महासचिव रहे जेन्स स्टोलटेनबर्ग की सेवानिवृत्ति के बाद मार्क रूट 1 अक्टूबर 2024 को अपना पद ग्रहण करेंगे।

रूटे का नाटो महासचिव तक का रास्ता

मार्क रुटे ने पिछले साल नीदरलैंड में अपनी गठबंधन सरकार के पतन के  बाद नाटो महासचिव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। इस पद के लिए उनके प्रतिद्वंद्वी रोमानियाई राष्ट्रपति क्लॉस इओहानिस थे। 

मार्क रुटे को अधिकांश सदस्य देशों का समर्थन हासिल था सिवाय हंगरी और तुर्की के। बाद में  हंगरी और तुर्की ने  मार्क रूटे की उम्मीदवारी पर अपनी आपत्तियां वापस ले ली और उसके बाद रोमानियाई राष्ट्रपति क्लॉस इओहानिस ने भी अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली।

इस प्रकार, नाटो महासचिव के दौड़ में सिर्फ एकमात्र उम्मीदवार मार्क रूटे रह गए जिन्हें सर्वसम्मति से नाटो का महासचिव नियुक्त किया गया।

नाटो महासचिव का कार्यकाल और कार्य 

  • नाटो महासचिव का पद का सृजन 1952 में किया गया था। यूनाइटेड किंगडम के लॉर्ड हेस्टिंग्स लियोनेल इस्मे को इसके पहले महासचिव (1952-57) के रूप में नियुक्त किया गया था।
  • महासचिव आम तौर पर एक वरिष्ठ यूरोपीय राजनेता होता है जिसे नाटो के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से नियुक्त किया जाता है।
  • महासचिव का कार्यकाल चार वर्ष का होता है और उन्हें पुनः नियुक्त किया जा सकता है।
  • महासचिव नाटो का शीर्ष सिविल सेवक है।
  • वह नाटो के प्रमुख प्रवक्ता हैं। 
  • वह नाटो की सर्वोच्च राजनीतिक निर्णय लेने वाली संस्था, उत्तरी अटलांटिक परिषद के अध्यक्ष हैं। वह गठबंधन की अन्य वरिष्ठ निर्णय लेने वाली समितियों की अध्यक्षता भी करते हैं।
  • वह संगठन में परामर्श और निर्णय लेने की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार है और साथ ही यह भी  सुनिश्चित करना की संगठन द्वारा लिए गए सभी निर्णयों का कार्यान्वयन हो ।

नाटो के बारे में 

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन एक पश्चिमी सैन्य गठबंधन है जिसकी स्थापना दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों और सोवियत संघ के नेतृत्व वाले पूर्वी यूरोपीय कम्युनिस्ट देशों के बीच शीत युद्ध के दौरान हुई थी।

नाटो का प्राथमिक उद्देश्य सोवियत संघ और उसकी साम्यवादी विचारधारा को यूरोप में फैलने से रोकना था।

4 अप्रैल 1949 को, संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन डी.सी. में एक आयोजित शिखर बैठक  में  12 देश-  संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल और यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका के शीर्ष नेता मिले और एक पारस्परिक रक्षा संधि पर हस्ताक्षर किए।

यह रक्षा संधि, जिसे उत्तरी अटलांटिक संधि या वाशिंगटन संधि के रूप में भी जाना जाता है, नाटो की स्थापना का कारण बनी।

नाटो एक सामूहिक रक्षा संधि है जिसमें एक सदस्य देश पर हमला अन्य देशों को उस सदस्य देश की रक्षा करने के लिए बाध्य करता है जिस पर हमला किया गया है। 

यही मुख्य कारण है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनना चाहता है।

बाद में, संगठन की सदस्यता बढ़ा दी गई और वर्तमान में इसके 32 सदस्य हैं। 

स्वीडन नाटो का 32वां सदस्य है, जो 7 मार्च 2024 को शामिल होगा।

मुख्यालय: प्रारंभ में, लंदन नाटो का मुख्यालय था, लेकिन 1967 में इसे ब्रुसेल्स, बेल्जियम में स्थानांतरित कर दिया गया।

FAQ

उत्तर: मार्के रुटे। वह वर्तमान में नीदरलैंड के प्रधान मंत्री हैं।

उत्तर: वह नॉर्वे के पूर्व प्रधान मंत्री हैं।

उत्तर: यूनाइटेड किंगडम के लॉर्ड हेस्टिंग्स लियोनेल इस्मे (1952-57)।

उत्तर: चार वर्ष

उत्तर: ब्रुसेल्स, बेल्जियम

उत्तर: स्वीडन,मार्च 2024 में नाटो में शामिल हुआ।
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