वैश्विक एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग निकाय, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा भारत को 'नियमित अनुवर्ती श्रेणी' में रखा गया है।यह निर्णय, 26-28 जून 2024 को सिंगापुर में आयोजित एफएटीएफ की पूर्ण बैठक में किया गया । बैठक में मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई।
इस बैठक में मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी मुद्दों, आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण और प्रसार विरोधी वित्तपोषण पर एफएटीएफ द्वारा अनिवार्य कार्यों के अनुपालन और कार्रवाई पर भारत सहित 17 देशों के प्रदर्शन की भी समीक्षा की गई।
सिंगापुर बैठक के दौरान, एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी, आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण और प्रसार विरोधी वित्तपोषण से संबंधित प्रावधानों को लागू करने में भारत के प्रदर्शन की समीक्षा की।
इस बैठक के दौरान भारत को रूस, फ्रांस, इटली और यूनाइटेड किंगडम के साथ 'नियमित अनुवर्ती' श्रेणी में रखा गया। एक देश को ग्रे सूची में डाल दिया गया, और बाकी देशों को 'उच्च अनुवर्ती' श्रेणी में रखा गया।
एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण से निपटने में भारत के प्रयासों की सराहना की, लेकिन उसने यह भी कहा की भारत को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक वित्तपोषण के मामलों में अभियोजन के समापन में देरी से निपटने के लिए उपाय करने की जरूरत है।
भारत 2010 में एफएटीएफ में शामिल हुआ और एफएटीएफ द्वारा भारत का पहला मूल्यांकन 2010 में किया गया था।
भारत का अगला मूल्यांकन कोरोनोवायरस महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था और यह 2023 में आयोजित किया गया था। सिंगापुर की बैठक में भारत की 2023 मूल्यांकन रिपोर्ट पर चर्चा हुई।
भारत को अब अक्टूबर 2027 तक एफएटीएफ को एक रिपोर्ट सौंपनी है कि उसने एफएटीएफ द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को दूर करने के लिए क्या उपाय किए हैं।
एफएटीएफ की अंतिम रिपोर्ट गुणवत्ता और निरंतरता की समीक्षा के बाद जारी की जाएगी।
एफएटीएफ के मूल्यांकन में राजस्व विभाग और केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा एफएटीएफ की सहायता की गई।
नियमित अनुवर्ती श्रेणी में रखे जाने से भारत को कई तरह से लाभ होने की संभावना है।
सबसे पहले, इससे भारत और शेष विश्व के बीच वित्तीय लेनदेन में आसानी बढ़ेगी।
भारत और भारतीय कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से सस्ती दर पर पैसा जुटाना आसान हो जाएगा।
इससे देश में विदेशी निवेश को आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि विदेशी निवेशकों का भारत की कानूनी प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा।
इससे भारतीय भुगतान प्रणाली में विदेशी विश्वास बढ़ेगा जिससे यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के विस्तार में मदद मिलेगी।
सात देशों के समूह (जी-7) देशों ने 1989 में पेरिस शिखर बैठक में एफएटीएफ की स्थापना की।
एफएटीएफ का कार्य
यह एक अंतर-सरकारी निकाय है;
एफएटीएफ के सदस्य देश
वर्तमान में 39 देश एफएटीएफ के सदस्य हैं। हालाँकि रूस को 2023 से निलंबित कर दिया गया है।
भारत 2010 में एफ़एटीएफ़ में शामिल हुआ।
मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस.
एफ़एटीएफ़ के अध्यक्ष: सिंगापुर के टी राजा कुमार
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की सिफारिश पर आधारित धन-शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002, भारत में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने वाला मुख्य कानून है।
इसे 1 जुलाई 2005 को लागू किया गया था।
पीएमएलए का प्रावधान प्रवर्तन निदेशालय या ईडी द्वारा लागू किया जाता है।