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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024: तिथि, विषय, महत्व और इतिहास

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
National Science Day 2024: Date, theme, importance and history Important Day 5 min read

भारत में प्रति वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन द्वारा 'रमन प्रभाव' की खोज के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 का थीम: 

  • प्रति वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने के लिए एक निश्चित विषय का चयन किया जाता है। इसी तरह राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 का विषय 'विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक' है। 
  • जबकि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 का विषय 'वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान' था।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का महत्व:

  • एनएसडी के अवसर पर पूरा देश कार्यशालाओं, विज्ञान फिल्मों की प्रदर्शनियों, सेमिनार आदि का आयोजन करके इसे एक विज्ञान उत्सव के रूप में मनाता है। 
  • इसका मुख्य उद्देश्य लोगों के मन में वैज्ञानिक सोच पैदा करना है। सभी आयु वर्ग के लोग बड़ी संख्या में  एक साथ इकट्ठा होकर राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह में भाग लेते हैं। एनएसडी के अवसर पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं, वाद-विवाद, परियोजनाओं आदि जैसी गतिविधियों में भाग लेते हैं।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास: 

  • 1928 में, एक भारतीय वैज्ञानिक, सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने एक घटना की खोज की जिसे रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। 1930 में उनकी उल्लेखनीय खोज के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो विज्ञान के क्षेत्र में भारत का पहला नोबेल पुरस्कार था। इस खोज को चिह्नित करने के लिए हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 
  • 1986 में, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) ने भारत सरकार से 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने की सलाह दी। जिसे सरकार ने स्वीकार कर 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित किया था।
  • इस तरह से पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी, 1987 को मनाया गया था।

रमन प्रभाव प्रकाश प्रकीर्णन: 

  • यह एक ऐसी घटना है जिसमें प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन तब होता है जब प्रकाश की किरण अणुओं द्वारा विक्षेपित होती है। जब प्रकाश की किरण किसी रासायनिक यौगिक के धूल रहित, पारदर्शी नमूने से यात्रा करती है, तो प्रकाश का एक छोटा सा अंश आपतित प्रकाश के अलावा किसी अन्य दिशा में निकलता है। 
  • अधिकांश प्रकीर्णित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य अपरिवर्तित होती है, और छोटे हिस्से में, यदि तरंगदैर्ध्य आपतित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य से भिन्न होती है, तो यह रमन प्रभाव के कारण होता है।

सीवी रमन द्वारा प्राप्त किए गए पुरस्कार: 

  • सीवी रमन को विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने के लिए उन्हें कई पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:   
    • माटेउची मेडल
    • ह्यूजेस मेडल
    • रॉयल सोसाइटी के फेलो (1924)
    • नाइट बैचलर (1929)
    • भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (1930)
    • भारत रत्न (1954)
    • लेनिन शांति पुरस्कार (1957)।

चन्द्रशेखर वेंकट रमन (सीवी रमन) का संक्षिप्त परिचय:

  • सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर, 1888 को दक्षिणी भारत के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। उनके पिता गणित और भौतिकी के व्याख्याता थे। छोटी उम्र में ही उन्हें शैक्षणिक माहौल का सामना करना पड़ा। विज्ञान और नवीन अनुसंधान में उनके योगदान से भारत और दुनिया को मदद मिली।
  • सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन एक तमिल ब्राह्मण थे। उन्होंने 1907 से 1933 तक इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता, पश्चिम बंगाल में काम किया। यहां उन्होंने भौतिकी के विभिन्न विषयों पर शोध किया था, जिनमें से एक रमन प्रभाव भी है। यह भारतीय इतिहास में विज्ञान के क्षेत्र में सबसे बड़ी खोज मानी जाती है।
  • प्रति वर्ष 28 फरवरी को नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ सीवी रमन को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
  • जन्म: 7 नवंबर, 1888
  • जन्म स्थान: तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु
  • पिता का नाम: आर.चंद्रशेखर अय्यर
  • माता का नाम: पार्वती अम्माल
  • जीवनसाथी का नाम: लोकसुंदरी अम्मल
  • निधन: 21 नवंबर, 1970
  • मृत्यु का स्थान: बैंगलोर, भारत
  • खोज: रमन प्रभाव

FAQ

उत्तर : 28 फरवरी

उत्तर : सीवी रमन द्वारा रमण प्रभाव की खोज के उपलक्ष्य में

उत्तर : रमण प्रभाव की खोज के लिए

उत्तर : 1930

उत्तर : 1987

उत्तर : तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु
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