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2025-26 सत्र के लिए कच्चे जूट का एमएसपी बढ़ाकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल किया गया

Utkarsh Classes Last Updated 23-01-2025
MSP of Raw Jute increased to Rs.5,650 per quintal for 2025-26 season Agriculture 5 min read

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने कृषि विपणन सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट (टीडी-3 ग्रेड) का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5650 रुपये प्रति क्विंटल तय करने को मंजूरी दे दी है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक 22 जनवरी 2025 को नई दिल्ली में हुई और इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।

2025-26 सत्र में कच्चे जूट के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि

2025-26 सत्र  के लिए 5,650 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी 2024-25 सीजन की तुलना में 315 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि है।

सरकार पिछले कुछ समय से कच्चे जूट के लिए एमएसपी में लगातार वृद्धि कर रही है। 2014-15 में एमएसपी 2400 रुपये प्रति क्विंटल थी जिसे 2025-26 में बढ़ाकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

2025-26 में 5,650 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर 66.8 प्रतिशत अधिक की वापसी सुनिश्चित करेगा सुनिश्चित करेगा।

गोल्डन फाइबर- जूट के बारे में

  • जूट को गोल्डन फाइबर के नाम से भी जाना जाता है और भारत दुनिया में कच्चे जूट का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  • कपास के बाद भारत में जूट दूसरी सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसल है।
  • जूट भारत के छह राज्यों- पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, ओडिशा, त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश में उगाया जाता है।
  • पश्चिम बंगाल भारत में जूट का प्रमुख उत्पादक है, उसके बाद असम और बिहार का स्थान आता है।
  • लगभग 40 लाख किसान परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जूट उद्योग पर निर्भर हैं।

किसानों से जूट कौन खरीदता है?

  •  भारत सरकार के स्वामित्व वाली भारतीय जूट निगम को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कच्चा जूट खरीदने का अधिकार है। 
  • भारत सरकार ने 1971 में घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से बिना किसी मात्रात्मक प्रतिबंध के कच्चा जूट/मेस्ता खरीदने के लिए भारतीय जूट निगम की स्थापना की थी।

न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में

  • 1966-67 में भारत सरकार ने चुनिंदा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन फसल (MSP) की शुरुआत की।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की सिफारिश केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा की जाती है।
  • हालाँकि भारत सरकार सीएसीपी की सिफारिश को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है।

एमएसपी के अंतर्गत आने वाली फसलें

सीएसीपी 22 अनिवार्य फसलों के लिए एमएसपी और गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की सिफारिश करता है।

अनिवार्य फसलें हैं;

  • अनाज -गेहूँ, धान, मक्का, ज्वार, जौ, रागी, बाजरा
  • दालें - चना/चना, अरहर, उड़द, मसूर, मूंग
  • तिलहन - सोयाबीन, तिल, मूंगफली, रेपसीड, कुसुम, नाइजर बीज और सूरजमुखी
  • वाणिज्यिक फसलें - खोपरा, कपास, कच्चा जूट और गन्ना

भारत सरकार का कृषि और सहकारिता विभाग रेपसीड/सरसों और कोपरा के एमएसपी के आधार पर क्रमशः तोरिया और बिना छिलके वाले नारियल का एमएसपी तय करता है।

फुल फॉर्म

  • सीसीईए /CCEA: कैबिनेट कमेटी ऑन इकनॉमिक अफेर्ज़ (Cabinet Committee on Economic Affairs)
  • एमएसपी /MSP: मिनिमम सपोर्ट प्राइस (Minimum Support Price )
  • सीएसीपी /CACP : कैबिनेट कमेटी ऑन इकनॉमिक अफेर्ज़ (Commission for Agricultural Costs & Prices)

यह भी पढ़ें: सरकार ने 2025-26 रबी सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया

 

FAQ

उत्तर: 5650 रुपये प्रति क्विंटल, पिछले वर्ष की तुलना में 315 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि।

उत्तर: आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए)

उत्तर: कच्चा जूट

उत्तर: छह; पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, ओडिशा, त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश। पश्चिम बंगाल जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है।
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