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मनोज पांडा 16वें वित्त आयोग के सदस्य नियुक्त

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Manoj Panda Appointed member of the 16th Finance Commission Appointment 6 min read

भारत सरकार ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनोज पांडा को 16वें वित्त आयोग का सदस्य नियुक्त किया है। मनोज पांडा निरंजन राज्याध्यक्ष का स्थान लेंगे, जिन्होंने हाल ही में व्यक्तिगत कारणों से  इस्तीफा दे दिया था।

सोलहवें वित्त आयोग का गठन 31 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया गया था। अनुच्छेद 280 में प्रावधान है कि राष्ट्रपति को हर पांच साल में या उसके पहले एक वित्त आयोग का गठन करना होगा।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, मनोज पांडा 16वें वित्त आयोग के सदस्य तब तक बने रहेंगे जब तक आयोग रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करता या 31 अक्टूबर 2025 तक,जो भी पहले हो।

 

मनोज पांडा के बारे में

  • मनोज पांडा एक प्रख्यात अर्थशास्त्री हैं। उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता से अर्थशास्त्र में पीएचडी की है, और वे  येल विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका में पोस्टडॉक्टरल फेलो थे।
  • उन्होंने सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड सोशल स्टडीज (सीईएसएस), हैदराबाद के निदेशक के रूप में, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च (आईजीआईडीआर), मुंबई में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया है ।
  • पांडा नई दिल्ली स्थित नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च में वरिष्ठ अर्थशास्त्री भी थे।

16वें वित्त आयोग के सदस्य

संविधान के अनुच्छेद 280 के अनुसार, वित्त आयोग में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य शामिल होते हैं। संसद द्वारा अधिनियमित वित्त आयोग (विविध प्रावधान) अधिनियम, 1951 में वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यताओं का उल्लेख है।

अध्यक्ष - डॉ. अरविंद पनगड़िया, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष

16वें वित्त आयोग के अन्य सदस्य

अजय नारायण झा - पूर्व व्यय सचिव, केंद्रीय वित्त मंत्रालय,

एनी जॉर्ज मैथ्यू- केंद्रीय वित्त मंत्रालय में व्यय के पूर्व विशेष सचिव

मनोज पांडा - एक प्रख्यात अर्थशास्त्री।

सौम्य कांति घोष- इन्हें अंशकालिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। वह भारतीय स्टेट बैंक समूह के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार थे।

16वें वित्त आयोग के कार्य

16वां वित्त आयोग निम्नलिखित विषयों से संबंधित मामलों पर राष्ट्रपति को सिफारिशें करेगा जो हैं:

  • केंद्र सरकार के करों की शुद्ध आय का संघ और राज्यों के बीच वितरण।
  • विभाज्य  कर आय को संघ और राज्यों के बीच वितरित करने के लिए एक फार्मूला सुझाना।
  • भारत की संचित निधि से राज्यों को अनुच्छेद 275 के अंतर्गत सहायता अनुदान निर्धारित करने वाले सिद्धांतों के संबंध में।
  • राज्य वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में नगरपालिकाओं और पंचायतों के संसाधनों की  अनुपूर्ति के लिए राज्य की संचित निधि के संवर्द्धन के लिए आवश्यक उपाए ।
  • आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत गठित निधियों के संदर्भ में आपदा प्रबंधन पहल के वित्तपोषण की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा करते हुए उस पर उचित सिफारिशें करना।

16वें वित्त आयोग का कार्यकाल

  • 16वां वित्त आयोग द्वारा 31 अक्टूबर 2025 तक राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
  • 16वें वित्त आयोग की सिफारिश 1 अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2032 तक लागू रहेगी। वित्त आयोग की सिफारिशों की प्रकृति सलाहकारी होती है तथा इसे मानने के लिए राष्ट्रपति बाध्य नही है।
  • यह केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वह राज्य सरकारों को दी जाने वाली सहायता के संबंध में आयोग की सिफारिशों को लागू करे या न करे।

प्रथम वित्त आयोग 1951

राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 1951 में प्रथम वित्त आयोग की नियुक्ति की। के.सी. नियोगी प्रथम वित्त आयोग के अध्यक्ष थे। प्रथम वित्त आयोग की सिफ़ारिशें 1952 से 1957 तक लागू की गयीं।

15वें वित्त आयोग की नियुक्ति 2017 में राष्ट्रपति द्वारा की गई थी, और इसकी अध्यक्षता एन.के.सिंह ने की थी। 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 से 2025-26 तक छह साल की अवधि के लिए अपनी सिफारिशें कीं।

FAQ

उत्तर : मनोज पांडा। अन्य सदस्य अजय नारायण झा, एनी जॉर्ज मैथ्यू और अंशकालिक सदस्य सौम्या कांति घोष हैं।

उत्तर : अरविन्द पनगड़िया

उत्तर: इसकी अनुशंसा को 1 अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2032 तक लागू किया जाएगा।

उत्तर: अनुच्छेद 280, राष्ट्रपति हर पांच साल में या पांच साल से पहले एक वित्त आयोग की नियुक्ति करता है।

उत्तर : के.सी.नियोगी।
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