भारत सरकार ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनोज पांडा को 16वें वित्त आयोग का सदस्य नियुक्त किया है। मनोज पांडा निरंजन राज्याध्यक्ष का स्थान लेंगे, जिन्होंने हाल ही में व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया था।
सोलहवें वित्त आयोग का गठन 31 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया गया था। अनुच्छेद 280 में प्रावधान है कि राष्ट्रपति को हर पांच साल में या उसके पहले एक वित्त आयोग का गठन करना होगा।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, मनोज पांडा 16वें वित्त आयोग के सदस्य तब तक बने रहेंगे जब तक आयोग रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करता या 31 अक्टूबर 2025 तक,जो भी पहले हो।
संविधान के अनुच्छेद 280 के अनुसार, वित्त आयोग में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य शामिल होते हैं। संसद द्वारा अधिनियमित वित्त आयोग (विविध प्रावधान) अधिनियम, 1951 में वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यताओं का उल्लेख है।
अध्यक्ष - डॉ. अरविंद पनगड़िया, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष
16वें वित्त आयोग के अन्य सदस्य
अजय नारायण झा - पूर्व व्यय सचिव, केंद्रीय वित्त मंत्रालय,
एनी जॉर्ज मैथ्यू- केंद्रीय वित्त मंत्रालय में व्यय के पूर्व विशेष सचिव
मनोज पांडा - एक प्रख्यात अर्थशास्त्री।
सौम्य कांति घोष- इन्हें अंशकालिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। वह भारतीय स्टेट बैंक समूह के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार थे।
16वां वित्त आयोग निम्नलिखित विषयों से संबंधित मामलों पर राष्ट्रपति को सिफारिशें करेगा जो हैं:
राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 1951 में प्रथम वित्त आयोग की नियुक्ति की। के.सी. नियोगी प्रथम वित्त आयोग के अध्यक्ष थे। प्रथम वित्त आयोग की सिफ़ारिशें 1952 से 1957 तक लागू की गयीं।
15वें वित्त आयोग की नियुक्ति 2017 में राष्ट्रपति द्वारा की गई थी, और इसकी अध्यक्षता एन.के.सिंह ने की थी। 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 से 2025-26 तक छह साल की अवधि के लिए अपनी सिफारिशें कीं।