भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने के संजय मूर्ति को भारत का अगला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी ) नियुक्त किया है। वह निवर्तमान गिरीश चंद्र मुर्मू का स्थान लेंगे, जो 21 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
भारत का नियंत्रक महानियंत्रक, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) का प्रमुख होता है, जो देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करता है।
1985 गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू को 8 अगस्त 2020 को भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक नियुक्त किया गया था। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक नियुक्त होने से पहले, गिरीश चंद्र मुर्मू केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के पहले उपराज्यपाल थे।
के. संजय मूर्ति हिमाचल प्रदेश कैडर के 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जो वर्तमान में शिक्षा मंत्रालय के तहत उच्च शिक्षा विभाग में सचिव हैं। वह 31 दिसंबर 2024 को सेवानिवृत्त होने वाले थे।
संविधान संसद को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की सेवाओं के नियमों और शर्तों के संबंध में कानून बनाने की शक्ति देता है।
संसद ने 1953 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सेवा शर्तें) अधिनियम, 1953 अधिनियमित किया और इस 1971 में 1971 में संशोधित किया गया है।
इस अधिनियम के तहत भारत के कागा का कार्यकाल निन्म्लिखित होगा:
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत एक संवैधानिक निकाय है।
भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक सार्वजनिक वित्त का संरक्षक और देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली का नियंत्रक है। इसे सार्वजनिक धन का संरक्षक भी कहा जाता है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कुछ महत्वपूर्ण कार्य हैं;