देश का पहला और सबसे बड़ा सर्वे पोत आईएनएस संधायक (यार्ड 3025) 3 फरवरी, 2024 को औपचारिक रूप से नौसेना डॉकयार्ड, विशाखापत्तनम में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा भारतीय नौसेना में शामिल किया गया ।
आईएनएस संधायक से भारतीय नौसेना को होने वाले लाभ:
- आईएनएस संधायक के नौसेना में शामिल होने से आत्मनिर्भरता के साथ भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ेगी।
- नौसेना को समुद्री आंकड़ों के विश्लेषण में सहायता मिलेगी।
- वर्तमान में भारतीय नौसेना इतनी मजबूत है कि हिंद महासागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के मामले में हम पहले जवाब देने वाले बन गए हैं।
आईएनएस संधायक का उपयोग:
- आईएनएस संधायक महासागरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और देश के साथ-साथ अन्य देशों की रक्षा करने के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करने में सहयोगी होगा।
- इस जहाज का काम सुरक्षित समुद्री नौपरिवहन को सक्षम करना है। इसके लिए ये बंदरगाहों, नौवहन चैनलों, मार्गों, तटीय क्षेत्रों और गहरे समुद्रों का बड़े पैमाने पर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करेगा।
- यह जहाज कई प्रकार के नौसैनिक अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है।
आइएनएस संधायक में लगे हैं अत्याधुनिक उपकरण:
- आइएनएस संधायक अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से सुसज्जित है। इसमें 80 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री शामिल है। इन उपकरणों में प्रमुखतः शामिल हैं:
- गहरे पानी के मल्टीबीम इको-साउंडर्स
- पानी के नीचे चलने वाले वाहन
- दूर से संचालित होने वाले वाहन
- उपग्रह आधारित स्थिति निर्धारण प्रणाली
- साइड स्कैन सोनार
- डेटा अधिग्रहण और प्रसंस्करण प्रणाली
आइएनएस संधायक की पृष्ठभूमि:
- आइएनएस संधायक की आधारशिला 12 मार्च, 2019 को रखी गई थी और जहाज को 5 दिसंबर, 2021 को लाॅन्च किया गया था।
- भारतीय नौसेना के अनुसार, कोलकाता के मैसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में चार बड़े सर्वेक्षण पोत निर्माणाधीन हैं। आइएनएस संधायक उनमें प्रथम है।
- आइएनएस संधायक का बंदरगाह और समुद्र दोनों में परीक्षण किया गया था। इसके बाद 4 दिसंबर 2023 को इसे नौसेना को सौंप दिया गया था।
आइएनएस संधायक की विशेषता:
- जहाज का विस्थापन 3,400 टन और कुल लंबाई 110 मीटर और बीम 16 मीटर है।
- इस परियोजना का संचालन भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा किया गया है।
- यह अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से सुसज्जित है। इसमें गहरे समुद्र और उथले पानी के मल्टीबीम इको साउंडर्स, स्वायत्त पानी के नीचे के वाहन और अन्य शामिल हैं।
- स्थलीय सर्वेक्षण उपकरण जहाज दो डीजल इंजनों द्वारा संचालित है।
- यह 18 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है।
- इसमें लागत के हिसाब से 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री लगी हुई है।
- यह एमएसएमई सहित भारतीय नौसेना और उद्योग के बीच सहयोगात्मक प्रयासों के लिए एक श्रद्धांजलि स्वरूप है।
दशक में नौसेना ने भिन्न रेंज के अत्याधुनिक प्लेटफार्म को लाॅन्च किया:
- आइएनएस संधायक के लॉन्च के अवसर पर एडमिरल हरि कुमार ने कहा कि पिछले एक दशक में नौसेना ने अलग-अलग रेंज के अत्याधुनिक प्लेटफार्म को लाॅन्च किया हैं। इनमें से प्रमुख:
- शक्तिशाली विमानवाहक पोत विक्रांत
- विशाखापत्तनम क्लास का डेस्ट्रोयर
- बहुमुखी श्रेणी के फ्रिगेट
- कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां
- गोताखोरी के लिए विशेष जहाज।
- आखिरी तीन युद्धपोत और पनडुब्बियां पिछले दस वर्षों में नौसेना में शामिल किए गए हैं। इन सभी का निर्माण भारत में किया गया हैं और संधायक भारत में बनने वाला 34वां पोत है।
हिंद महासागर में भारतीय नौसेना के लिए चुनौती:
- वर्तमान में वैश्विक व्यापार में हिंद महासागर को हॉटस्पाट के तौर पर गिना जाता है।
- अदन की खाड़ी, गिनी की खाड़ी आदि कई चोक प्वाइंट हिंद महासागर में हैं, जिसके जरिए से बड़ी मात्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है।
- इन चोक प्वाइंट्स पर कई खतरे बने हुए हैं लेकिन सबसे बड़ा खतरा समुद्री डाकुओं का है।